बिलासपुर: पोड़ी गांव में सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से खोदाई के दौरान कलचुरी काल की प्रतिमाएं मिली हैं, जिसे अब संरक्षित किया जा रहा है. रतनपुर और कोटा क्षेत्र भोंसले वंशज और कलचुरी काल के राजाओं के शासनकाल में राजधानी रही है. यही कारण है कि यहां सैकड़ों मंदिर और प्रतिमाएं हैं. कई मंदिर और प्रतिमाएं जमीन के अंदर भी दबी हुई हैं, जिसके अवशेष समय-समय पर खोदाई के दौरान मिलते रहते हैं.
पुरातत्व विभान ने कब्जे में ली सरकारी जमीन: 28 मार्च को पोड़ी गांव के एक किसान ने अपने खेत के साथ ही पीछे की सरकारी जमीन की खोदाई शुरू करा दी. इस दौरान यहां किसान को खोदाई के दौरान कुछ प्रतिमाएं मिली. प्रतिमाओं की मिलने की खबर फैलने के बाद रायपुर और बिलासपुर के पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई और जांच शुरू कर दी. किसान ने अपनी जमीन के साथ ही शासकीय जमीन में भी खेती करने के लिए खोदाई कराई थी, लेकिन अब पटवारी के सीमांकन के बाद सरकारी जमीन को पुरातत्व विभाग अपने कब्जे में ले लिया है. विभाग अपने तरीके से अब इसकी खोदाई कर रहा है, साथ ही खुदाई में मिले प्रतिमाओं को अपने कब्जे में लेकर इसकी जांच भी कर रहा है.
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कलचुरी काल की प्रतीत हो रही हैं प्रतिमाएं: पुरातत्व विभाग रायपुर और बिलासपुर की टीम ने मौके पर पहुंचकर प्राचीन धरोहर को सुरक्षित करने के लिए जांच शुरू कर दी है. पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों ने मूर्तियों की बनावट देखकर इसे कलचुरी काल प्रतिमाएं बताया. अधिकारियों ने बताया कि "13-14वीं शताब्दी में नन्दी क्वार्टजाइट पत्थर और शेष बलुआ पत्थर से इसका निर्माण हुआ है. मंदिर के अवशेष मिलने से पहले यहां नीम के पेड़ के नीचे पत्थर का खंड द्वार, स्तंभ और आमलक के खंडित अवशेष मौजूद थे. यह ग्रामीणों की आस्था का केंद्र भी रहा है. जेसीबी से खुदाई के दौरान योनि पीठ, नंदी और अलंकृत स्थापत्य खंड मिला है.