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छत्तीसगढ़ में डीजल से महंगा केरोसिन: अब न ग्राहक खरीद रहे और न डीलर

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Published : Aug 9, 2022, 3:57 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 5:37 PM IST

kerosene costlier in chhattisgarh
केरोसिन की आसमान छूती कीमत

केरोसिन की कीमत डीजल से भी ज्यादा हो गई है. केरोसिन की आसमान छूती कीमतों के कारण शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से ग्राहक और डीलरों ने इसे लेने से इनकार (kerosene costlier than diesel in Chhattisgarh) कर दिया है.

बिलासपुर: केरोसिन की कीमत सौ रुपए के करीब पहुंच गई है. केरोसिन की कीमत 99 रुपए 23 पैसे प्रति लीटर तक (kerosene costlier than diesel in Chhattisgarh) जा पहुंची है. यह कीमत पेट्रोल से महज 4 रुपए ही कम और डीजल से 3 रुपए 11 पैसे ज्यादा है. यही वजह है कि अब आम आदमी खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग में केरोसिन को नहीं ला रहा है. वह लकड़ी जलाकर खाना पका रहा है.

केरोसिन की आसमान छूती कीमत

आम आदमी ईंधन के रूप में करता था केरोसिन का उपयोग: किसी जमाने में केरोसीन का उपयोग कई अलग अलग कार्यों के लिए किया जाता था. केरोसिन का ईंधन के रूप में इस्तेमाल खाना पकाने के साथ ही लालटेन जलाने और आग सुलगाने के तौर पर किया जाता रहा है, लेकिन अब केरोसिन की बढ़ी कीमत ने आम आदमी को केरोसिन से दूर कर दिया है.

पीडीएस की राशन दुकानों से होता था वितरण: छत्तीसगढ़ में पीडीएस की राशन दुकान को केरोसिन आवंटन का लाइसेंस दिया गया है. राशन दुकान से ही केरोसिन का वितरण किया जाता था. यहां बीपीएल राशन कार्डधारियों को कम कीमत में केरोसिन उपलब्ध कराया जाता रहा है, लेकिन केरोसिन को भी बाजार मूल्य पर बिक्री करने के निर्णय के बाद इसके दाम बढ़ गए हैं. ऐसे में लोगों ने केरोसिन लेना बंद कर दिया है.

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डीलर नहीं खरीद रहे केरोसिन, राशन दुकान भी नहीं लेना चाहते: बिलासपुर जिले में 6 साल पहले तक केरोसिन की खपत 72 हजार लीटर तक हो जाती थी, लेकिन कीमत पर धीरे धीरे बाजार भाव हावी होने लगा. इसकी कीमत महज एक साल में ही 40 रुपए से बढ़ते बढ़ते 99 रुपए पहुंच गई. जिले के केरोसिन डीलर ने इस माह 1 लीटर भी केरोसिन का उठाव नहीं किया है. राशन दुकानदारों ने भी इससे हाथ खींच लिए हैं. राशन दुकानदारों का कहना है कि पहले से रखे केरोसीन की बिक्री नहीं हुई है तो वे नया स्टॉक कैसे लें? राशन दुकानदारों के केरोसिन खरीदी नहीं करने की वजह से डीलरों ने भी केरोसिन का उठाव नहीं किया है.

केरोसिन की होने लगी थी कालाबाजारी: केरोसिन की कीमत को केंद्र सरकार ने बाजार मूल्य पर छोड़ दिया है. इसके पीछे केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि केरोसिन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जाता है. जैसे गाड़ियों में ईंधन के रूप में केरोसिन के उपयोग के साथ ही फैक्ट्रियों और कई जगह डीजल और पेट्रोल के उपयोग की बजाए केरोसिन का उपयोग होने लगा था. यही कारण है कि केंद्र सरकार ने कालाबाजारी की वजह से इसका बाजार भाव में बिक्री का निर्णय लिया.

डीजल से कम ज्वलंतशील होता है केरोसिन: यदि ईंधन की बात करें तो पेट्रोल, डीजल और केरोसीन में सबसे ज्यादा ज्वलनशील पेट्रोल है. इसके बाद डीजल और आखिरी में केरोसिन आता है. केरोसिन डीजल से कम ज्वलनशील होता है. इसका उपयोग सामान्य कार्यों के लिए किया जाता है. इसकी कालाबाजारी भी इसीलिए हो रही थी कि डीजल अधिक कीमत में मिलने की वजह से केरोसिन का उपयोग कर गाड़ी चला रहे थे. डीजल जितना ज्वलंतशील तो केरोसिन नहीं होता है, लेकिन डीजल से भी अधिक कीमत होने की वजह से अब इसका उठाव बंद हो गया है.

Last Updated :Aug 9, 2022, 5:37 PM IST
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