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बिलासपुर में बढ़ते क्राइम की घटनाओं में नाबालिग भी शामिल, पुलिस जांच में खुलासा

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Published : Nov 29, 2022, 8:54 PM IST

Minors fast coming into world of crime in Bilaspur
बिलासपुर मे बढ़ता क्राइम

bilaspur crime news बिलासपुर जिले में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. पिछले 1 साल में 46 हत्याएं हो गई है. जिनमें से 44 हत्याओं के मामले को सुलझा लिया गया है. आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. लेकिन अपराध में लगातार इजाफा चिंता का कारण बना हुआ है.

बिलासपुर: bilaspur crime news. 11 महीनों में बिलासपुर जिले में 46 हत्याओं के साथ कई हत्या की कोशिश का मामला सामने आया है. 46 हत्याओं के मामले में दो हत्याओं में आरोपी फरार हैं. वहीं हत्या की कोशिश के मामले में सभी आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा लिया है. आंकड़ों में देखा गया है कि ज्यादातर मामलों में नाबालिग ग्रुप में जाकर हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं.

बिलासपुर मे बढ़ता क्राइम

नाबालिग बच्चे भी गुंडागर्दी और चाकूबाजी में लिप्त: जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है कि गैंग जाकर हत्या करता है और क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाता है. समय के साथ ही फैशन, रुतबे को लेकर भी युवाओं में एक अलग ही होड़ है. फिल्मों से इंस्पायर होकर अब नाबालिग बच्चे भी गुंडागर्दी और चाकूबाजी में लिप्त हो रहे हैं. हत्याओं के मामले में हत्यारे के नाम पर नाबालिग के शामिल होने की बात सामने आई है. नाबालिग वर्चस्व और रुतबा बनाए रखने के लिए हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं. पुलिस ने ऐसे मामलों में ज्यादा गंभीरता से कार्रवाई की और आरोपियों को धर दबोचा है. लेकिन पुलिस की चिंता इस बात पर ज्यादा है कि आखिर नबालिको का तेजी से जुर्म की दुनिया में कदम रखने का क्या कारण है.



ज्यादातर हत्या में आपसी रंजिश और विवाद वजह : समाज में हत्याओं के मामलों में इजाफा हो रहा है. ज्यादातर मामले चिन्हांकित होती हैं. जिसमें हत्याएं होती है. जैसे पत्नी से अवैध संबंध, जमीन संबंधी, लूटपाट और किसी कारणवश आपसी रंजिश. इन मामलों में हत्या और हत्या के प्रयास ज्यादा होते हैं. जिसमें हत्या करने वाले और हत्या होने वाले का किसी न किसी तौर पर एक दूसरे से संबंध होता है. लेकिन ऐसी हत्याओं में आरोपी भी हत्या के बाद ही नामजद होते हैं.

"दहशत पैदा करना हत्या की मुख्य वजह": पिछले 11 महीने में जिले में 46 हत्याएं हुई हैं. इन मामलों में कई हत्याओं में बालिगों के साथ नाबालिगों की संलिप्तता भी सामने आई है. हत्याओं की पुलिस जब जांच करती है तब कारण जानकर पुलिस के होश उड़ जाते हैं. हत्या करने का कोई ठोस कारण सामने नहीं आता. त्वरित विवाद के चलते हत्या करना और फिल्मों की तर्ज पर आम लोगों के सामने हत्या कर दहशत पैदा करना मुख्य वजह होता है. ऐसी घटनाओं को अंजाम अंजाम देने के बाद नाबालिग जोर शोर से इसका प्रचार करते हैं, और अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश करते हैं.



नशे के कारोबार से जुड़े अपराध: पिछले कुछ समय से नाबालिगों में ग्रुप में जाकर मारपीट और हत्या करना फैशन बन रहा है. इससे दहशत पैदा कर अपने आपको प्रसिद्धि दिला सकते हैं. इस दहशत के माध्यम से नाबालिग कई ऐसे कार्य भी करते हैं जो अवैध तो होते ही हैं. साथ ही खुद को नशे की ओर धकेल रहे होते हैं. नशे के कारोबार से जुड़े अपराधी शुरुआत में इसी तरह के कार्यों को अंजाम देने के बाद दहशत फैलाकर नशे का कारोबार करते हैं.

पिछले दिनों शहर के सिविल लाइन थाना इलाके में हुए एक हत्या में ये बात भी सामने आई थी. इस हत्या में लगभग 18 से 20 लोग शामिल थे जिनमे ज्यादातर नाबालिग रहे. इस हत्या में त्वरित विवाद के बाद हत्या कर दी गई थी. यह हत्या शहर के एक नशे के कारोबार से जुड़े नशाकारोबारी के ग्रुप के साथी थे और हत्या कर दहशत फैला कर अपने कारोबार को आगे बढ़ाने इस तरह की हरकत किए थे.

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नाबालिगों का जुर्म बिलासपुर पुलिस के लिए चिंता का विषय: बिलासपुर एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि "पिछले 1 साल में 46 हत्याएं हो गई है. जिनमें से 44 हत्याओं के मामले को सुलझा लिया गया है. आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. 1 सालों में जितनी हत्याएं हुई हैं. उनमें बालिगों के साथ नाबालिगों की संख्या भी शामिल है. यह नाबालिक फिल्मी स्टाइल में ग्रुप बनाकर मोटरसाइकिल में घूमते हैं और त्वरित विवाद के चलते हत्या करते हैं. चाकू लेकर घूमना अब फैशन में शामिल हो गया है. ऐसे बच्चों को शुरुआत से ही स्कूल, कॉलेजेस और परिवार के माध्यम से शिक्षा देना चाहिए कि अपराध के क्या अंजाम होते हैं. ऐसे बच्चे आने वाले समय में समाज के लिए खतरनाक तो हो सकते हैं साथ ही स्वयं की भी जिंदगी खराब कर सकते हैं. नाबालिगों की भूमिका जुर्म की दुनिया में बढ़ती जा रही है, और इन्हें रोकने में पुलिस प्रयास तो करती है, लेकिन पुलिस का प्रयास अपराध होने के बाद से शुरू होता है. यदि परिवार और स्कूल कॉलेज में शुरुआत से ही बच्चों को अपराध के परिणाम बताया जाए तो बच्चो में अपराध और उसके नुकसान की समझ आएगी और वह जुर्म नहीं करेंगे और तभी समाज में धीरे-धीरे अपराध कम हो सकते हैं."

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