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वन विभाग की उदासीनता से घट रहे हैं बाघ, हाई कोर्ट ने नोटिस भेजकर 8 सप्ताह में जवाब मांगा

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Published : Oct 25, 2021, 8:12 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 10:13 PM IST

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बाघों के संरक्षण को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई. छत्तीसगढ़ में समितियों की बैठक (Committees Meeting) गठन के 12 वर्ष तक नहीं हुई. बैठक नहीं होने के कारण आज हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस और जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बैंच ने नोटिस जारी किया है.

बिलासपुर: बाघों को संरक्षण (Conservation of Tigers) देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी. इस याचिका की सुनवाई आज कोर्ट में हुई. याचिका में बताया गया है कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 2006 (Wildlife Act 2006) में नए प्रावधान जोड़े गए हैं. जिसके तहत अलग-अलग स्तर पर तीन प्रकार की वैधानिक समितियां गठित कर बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करना है.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि छत्तीसगढ़ में समितियों की बैठक (Committees Meeting) गठन के 12 वर्ष तक नहीं हुई. बैठक नहीं होने के कारण आज हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस और जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बैंच ने नोटिस जारी किया है. नोटिस पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, सचिव वन छत्तीसगढ़ शासन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) और एनटीसीए को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिका कर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ में लगातार बाघों की संख्या कम हो रही है, शिकार हो रहा है. वर्ष 2014 में 46 बाघ थे और वर्ष 2018 में 19 बाघ ही बचे हैं.

2008 में जारी की गई थी अधिसूचना

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली 14 सदस्यीय इस समिति के गठन की अधिसूचना मई 2008 में जारी की है. इस समिति का कार्य बाघ संरक्षण, परभक्षी तथा शिकार किये जाने वाले वन्यजीवों के लिए समन्वय, संरक्षण को सुनिश्चित करना है. लेरिन आज तक इस समिति की कोई भी बैठक वन विभाग ने नहीं करवाई.

इंद्रावती बाघ संरक्षण फाउंडेशन की अधिसूचना 2012 में हुई जारी

छत्तीसगढ़ में पब्लिक ट्रस्ट के रूप में उदंती सीतानदी बाघ संरक्षण फाउंडेशन (Udanti Sitanadi Tiger Conservation Foundation) और अचानकमार बाघ संरक्षण फाउंडेशन की अधिसूचना वर्ष 2010 में जारी की गई है. इंद्रावती बाघ संरक्षण फाउंडेशन की अधिसूचना 2012 में जारी की गई थी. इस समिति का कार्य मार्गदर्शन और निर्देश देना है. 10 सदस्यीय गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष वन मंत्री होते हैं. तीनों टाइगर रिजर्व के फाउंडेशन के लिए आज तक कोई बैठक नहीं हुई है.

आज तक नहीं हुई समिति की बैठक

तीनों टाइगर रिजर्व के लिए पब्लिक ट्रस्ट के तहत यह समितियां 2010 में उदंती सीतानदी और अचानकमार टाइगर रिजर्व (Achanakmar Tiger Reserve) के लिए और 2012 में इंद्रावती टाइगर रिजर्व (Indravati Tiger Conservation Foundation) के लिए गठित की गई थी. उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (Udanti Sitanadi Tiger Conservation Foundation) में आज तक के इस समिति की कोई बैठक नहीं हुई है. इंद्रावती टाइगर रिजर्व में पहली और अंतिम बैठक 2016 में तथा अचानकमार में पहली और अंतिम बैठक 2019 में हुई थी. 5 सदस्य इस समिति के अध्यक्ष फील्ड डायरेक्टर टाइगर रिजर्व होते हैं.

रैपिड रिस्पांस टीम का नहीं है अस्तित्व

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने वर्ष 2013 में गाइडलाइंस जारी किए थे. जिसके तहत रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाना था. तब सभी वनमंडलों को बजट जारी कर एनेस्थीसिया दवाइयां खरीदने के लिए आदेश दिए गए थे और खरीदे गए थे. टाइगर रिजर्व और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में रैपिड रिस्पांस टीम अस्तित्व में नहीं है. इंद्रावती टाइगर रिजर्व में इसका गठन 2020 में किया गया है.

Last Updated :Oct 25, 2021, 10:13 PM IST
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