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जंगल सफारी में बंद पैंगोलिन को जंगल में रिहा करने की मांग, याचिका पर 31 मई को सुनवाई

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Published : May 26, 2022, 9:47 PM IST

pangolin locked in jungle safari raipur
पैंगोलिन को जंगल में रिहा करने की मांग

तस्करी के दौरान जब्त किए गए पैंगोलिन को जंगल सफारी रायपुर में रखा गया है. अब इस पैंगोलिन को जंगल में रिहा करने की मांग हो रही है. पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पैंगोलिन की रिहाई को लेकर याचिका लगाई है. उन्होंने याचिका में पैंगोलिन को रिहा करने की मांग की है.

बिलासपुर: बस्तर के उमरकोट जगदलपुर मार्ग पर ओडिश सीमा से 25 अप्रैल 2022 को बेचने ले जाये जा रहे एक जीवित पैंगोलिन को जब्त किया गया था. वन विभाग ने उसे रायपुर लाकर जंगल सफारी में रखा था. इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. समय अभाव के कारण अब इस मामले की सुनवाई सोमवार यानी 30 मई 2022 को होगी.

रायपुर जंगल सफारी में इस पैंगोलिन को रखा गया है. रायपुर के समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पेंगोलिन की रिहाई को लेकर याचिका लगाई है. याचिका में कहा गया है कि पैंगोलिन ऐसा जानवर है जो जंगल में ही जीवित रह सकता है. उसे जू में रखने पर उसकी मौत हो जाती है. इस मामले में हाईकोर्ट में गुरुवार को याचिका लगी थी. लेकिन सुनवाई का समय नहीं होने की वजह से इसे सोमवार को सुनवाई के लिए रखा गया है.



WWI का मानना है कि जू में जिंदा नहीं रहते पैंगोलिन:याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि "वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने अध्यन में कहा है कि चींटी दीमक खाने की विशेष आदत के कारण और इनके सामाजिक और प्रजनन की समझ नहीं होने के कारण ये बंधक जीवन नहीं जी पाते. यह जानकारी होने के बावजूद वन विभाग और जंगल सफारी प्रबंधन ने अनुसूची-1 के तहत संरक्षित और आईसीयूएन की रेड बुक में संकटग्रस्त घोषित भारतीय पैंगोलिन को बंधक बना रखा है. पैंगोलिन को चींटी दीमक जुगाड़ कर यहां खिलाया जा रहा है.


जू अथॉरिटी की बात भी नहीं मान रहे अधिकारी: सिंघवी ने बताया कि केंद्रीय जू अथॉरिटी ने वर्ष 2021 में पैंगोलिन के पुनर्वास के लिए मार्गदर्शिका जारी कर रखी है. जिसके तहत जब्त पैंगोलिन को उसी जंगल के घने इलाके में छोड़ा जाना है जहां से उसे पकड़ा गया है. जहां रोड, रेल और मानव बस्ती ना हो.



प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पूरे मामले की है जानकारी: सिंघवी ने बताया कि उन्होंने 6 मई को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखकर बंधक पैंगोलिन को छोड़ने की मांग की थी और यह भी बताया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत किसी भी अनुसूची एक के वन्य जीव को बिना उनके आदेश के बंधक नहीं बनाया जा सकता है. खुद उनके कार्यालय ने बताया है कि पैंगोलिन को बंधक बनाने का आदेश उन्होंने जारी नहीं किया है. इसके बावजूद भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और ना ही बंधक पेंगोलिन को छोड़ रहे हैं.

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डीएफओ जगदलपुर से भी नहीं ली गई परमिशन: पैंगोलिन जब्त करने के बाद, वन परीक्षेत्र अधिकारी करपावंद, जिला बस्तर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर को आवेदन देकर कहा की जब्त वन्य प्राणी पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्य प्राणी है. इसे जंगल में छोड़ने पर ग्रामीणों के द्वारा हानि पहुंचाई जा सकती है. सुरक्षा की दृष्टि से शासन द्वारा वर्तमान में निर्मित जंगल सफारी नया रायपुर में रखना उचित होगा.

न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर द्वारा वन परीक्षेत्र अधिकारी के आवेदन पर ही आदेशित किया गया कि प्रकरण में जब्त शुदा वन्यजीव पैंगोलिन को वनमंडल अधिकारी जगदलपुर के माध्यम से जंगल सफारी नया रायपुर में विधि अनुसार रखे जाने को आदेशित किया जाता है. परन्तु वन परीक्षेत्र अधिकारी द्वारा बिना वनमंडल अधिकारी जगदलपुर के आदेश पर पैंगोलिन को जंगल सफारी ला कर छोड़ दिया. आश्चर्य की बात है कि जंगल सफारी ने उसे डीएफओ जगदलपुर के पत्र के बिना रख भी लिया

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सिंघवी ने बताया कि अगर ऐसा ही चलता रहेगा तो वे वन्यजीव जो, तस्करी की दौरान जब्त किये गए वे सब जंगल सफारी में पाए जायेंगे. उन्होंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को प्रेषित पत्र में बताया कि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई पूर्णता विधि विरुद्ध तथा वन्य प्राणियों के विरुद्ध है. परन्तु प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

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