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Bilaspur : कौमी एकता की मिसाल बाबा मदार शाह की मजार, पुलिस लाइन का है सुरक्षा कवच

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Published : May 11, 2023, 2:25 PM IST

Updated : May 13, 2023, 1:49 PM IST

Baba Madar Shah tomb
बाबा मदार शाह की मजार

बिलासपुर जिले के पुलिस लाइन में सैंकड़ों साल पुराना सूफी संत बाबा मदार शाह की मजार है. ऐसी मान्यता है कि मजार कई वर्षों से पुलिस लाइन की सुरक्षा करती आ रही है. पुलिस लाइन का असलहा घर भी इसी क्षेत्र में है जहां मदरशाह बाबा की मजार है.

बिलासपुर : जिले के पुलिस थानों में बंदूक, पिस्टल, गोली और अन्य सुरक्षा उपकरण पुलिस लाइन से इश्यू किया जाता है. इसके अलावा जिले में होने वाली अप्रिय घटनाओं के दौरान सुरक्षा कायम रखने के लिए भी जरुरी साजो सामान पुलिस लाइन से ही भेजी जाती है. ऐसे में पुलिस लाइन के अंदर जहां सारी सुरक्षा सामग्रियां रखी हुईं हैं. उनकी सुरक्षा भी महत्वपूर्ण हो जाती है.लिहाजा पुलिस इस जगह में कड़े सुरक्षा इंतजाम करके रखती है.लेकिन इसके साथ पुलिस लाइन के अंदर एक और चीज है जो पुलिस के लिए सुरक्षा कवच का काम कर रही है. ये चीज है सूफी संत बाबा मदरशाह की मजार. जहां हर धर्म के लोग अपना सिर झुकाते हैं.

पुलिस लाइन का सुरक्षा कवच : ये मजार पुलिस लाइन के अंदर है. सूफी संत मदार शाह बाबा के दरबार में सभी धर्म के लोगों की आस्था है. इस मजार की खास बात ये है कि यह पुलिस लाइन के अंदर है. साथ ही मजार के चारों तरफ पुलिस क्वॉर्टर के साथ पुलिस का क्वॉर्टर गार्ड है. क्वॉर्टर गार्ड में बंदूक, राइफल, मशीन गन, असलहा, बारूद जैसी कई चीजें रखीं हुई है. बाबा मदार शाह से जुड़े बहुत सारी किस्से और कहानियां हैं. जो बताते हैं कि बाबा मदार शाह एक नेक दिल इंसान थे.इसलिए आज भी शहर की सुरक्षा कर रहे हैं.

क्या है जगह का इतिहास : सूफी संत बाबा मदार शाह के संचालक मंडल के उपाध्यक्ष मुर्तुजा वनक ने बताया कि '' ऐसी मान्यता है कि बिलासपुर के राजा बाबा मदार शाह रहमतुल्ला अलेह एक सैनिक हुआ करते थे. पुलिस लाइन के आसपास के कई एकड़ जमीन के इलाके उनकी अपनी निजी भूमि थी. वे यहां रहा करते थे. उस समय राजा महाराजा के जमाने में बिलासपुर का यह हिस्सा लड़ाई का मैदान हुआ करता था. जहां दो राज्यों के बीच जब लड़ाई छिड़ जाती थी तो इसी मैदान में जंग होती थी. इसके बाद ब्रिटिश गवर्नमेंट आने के बाद पुराने लोगों से ब्रिटिश गवर्नमेंट ने जमीन छीनना शुरू किया. बाबा मदरसा की जमीन को भी ब्रिटिश गवर्नमेंट ने अपने अधिकार में ले लिया. समय बीता और यहां पुलिस लाइन स्थापित कर दिया गया. तब से लेकर अब तक यहां पुलिस लाइन मौजूद है. उस समय बाबा की मृत्यु के बाद उनका यहां मजार बना दिया गया था. तबसे बाबा का मजार भी यहीं है. तभी से लोग मानते हैं कि बाबा पुलिस लाइन में रखे बारुद और असलहों की सुरक्षा करते हैं.''

72 वर्षों से उर्स का कार्यक्रम : इस साल बाबा का 72 वां उर्स का आयोजन हो रहा है. 11, 12 और 13 मई को उर्स का आयोजन होता है. जिसमें देश के नामचीन कव्वाल शामिल होंगे . माना जा रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 11 से 13 मई तक बिलासपुर में रहेंगे.ऐसे में वो भी मदार शाह बाबा की दरगाह पर आ सकते हैं. यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मदरसा बाबा की दरगाह आए तो ये पहला मौका होगा कि प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री मजार में आया हो.

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कौमी एकता की मिसाल है मजार : मदार शाह बाबा के चाहने वाले किसी एक धर्म के नहीं है. सभी धर्म के लोगों की आस्था मजार से जुड़ी हुई है. वह यहां रोजाना ही आते हैं और अपने दुख तकलीफों को दूर करते हैं. बाबा से अपनी तकलीफों को दूर करने फरियाद करते हैं. यहां की कमेटी भी कई अलग-अलग धर्मों के लोगों से मिलकर बनी हुई है. इसमें पदाधिकारी सभी धर्मों के लोग हैं. यही कारण है कि इसे कौमी एकता की मिसाल कहा जाता है.

Last Updated :May 13, 2023, 1:49 PM IST
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