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बीजापुर : नक्सली तोड़ रहे स्कूल, बच्चे हो रहे शिक्षा से दूर, पोटा केबिन बना सहारा

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Published : Jul 10, 2019, 9:02 PM IST

Updated : Jul 10, 2019, 9:55 PM IST

नक्सलियों ने अब लोगों के बीच दहशत फैलाने के लिए स्कूलों को तोड़ने में लगे है. इससे घबराए बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं.

बसमैया

बीजापुर : नक्सली प्रभावित जिले के अंदरूनी इलाकों के स्कूलों को नक्सली तोड़ने में लगे हुए हैं. इस कारण जिले के कई स्कूलों को बंद कर दिया गया है. नक्सल दहशत के कारण बच्चे शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं.

दरअसल, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बालक-बालिका पोटा केबिन ( रेसीडेंस आश्रम ) शुरू किया गया है. इसमें संगमपल्ली, तरलागुड़ा, पामेड़, कुटरू, बेदरे,नैमेड, जांगला, गंगालूर, बीजापुर समेत कुल 28 रेसीडेंशियल आश्रम हैं. यहां रहने, खाने, पीने, खेलने से लेकर खेलकूद के लिए ग्राउंड समेत सारी व्यवस्था की गई है. साथ ही अधीक्षक के अलावा अन्य स्टाफ भी दिया गया है.

इस आश्रम के संचालन शिक्षा स्तर को बढ़ावा देने के लिए रोज नई योजना के तहत शिक्षा का स्तर बढ़ाया जा रहा है. बता दें कि संचालित आश्रमों में नक्सल प्रभावित गांवों के बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनके लिए सरकार हर नामुमकिन कोशिश कर रही हैं, लेकिन नक्सल इसकी सार्थक प्रयास पर पानी फेरने में लगे हैं.

Intro:रेसिडेंशल स्कूल
बीजापुर - माओवादी प्रभावित जिले के अंदरूनी इलाकों के स्कूलों के भवन माओवादियों द्वारा तोड़े जाने के बाद कई स्कूले बंद है और कई स्कूलों को बंद करा दिया गया था। जिसके चलते अंदरूनी गांव के बच्चे शिक्षा से दूर होते जा रहे थे।शिक्षा को बढ़ाने के लिए जिले में बालक बालिका पोटा केबिन( रेसीडेंस आश्रम ) शुरू किया गया।
Body:जिले में संगमपल्ली,तरलागुड़ा,पामेड़,कुटरू,बेदरे, नैमेड,जांगला,गंगालूर,बीजापुर समेत कुल अठाईस रेजिडेंशियल आश्रम है । रेसिडेंट चल आश्रम में बच्चों की खेलकूद ग्राउंड समेत रहने के लिए सारी व्यवस्था की गई है और अधीक्षक के अलावा अनुदेशक सुमित अन्य स्टाफ भी दिया गया है सुचारू रूप से संचालन करने के लिए बच्चों के शिक्षा स्तर को बढ़ावा देने के लिए नित नए योजना के तहत शिक्षा का स्तर बढ़ाया जा रहा है
Conclusion:संचालित आश्रमों में माओवादी प्रभावित गांव के बालक बालिकाएं पढ़ रहे हैं इन्हें सरकार की ओर से काफी पुस्तक कपड़ा समेत भोजन की व्यवस्था पी सरकार द्वारा की जाती है यही नहीं मीनू के आधार पर इनकी भोजन व्यवस्था की गई है और अपनी पलकों को मिलने का समय भी निर्धारित किया गया है।

बाईट - बसमैया (d.m.c.) डिस्टिक मैनेजमेंट कोऑर्डिनेटर
Last Updated : Jul 10, 2019, 9:55 PM IST
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