बीजापुर: कुटरु थाना इलाके में एक और पुलिसकर्मी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. बीजापुर में 2 दिनों में दो पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवा दी. माडवी सन्नू कुटरु थाने में सहायक उप निरीक्षक पद पर पदस्थ था. जानकारी के मुताबिक परिवार वाले धान कटाई के लिए गए थे. जब शाम को घर लौटे, तो सन्नू को फांसी में लटकता देख दहशत में आ गए. सहायक उप निरीक्षक सन्नू सुबह कुटरु इलाके के तुमला गांव जाकर घर लौटा था. पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है.
दूसरी घटना रविवार को सुकमा जिले के पुसपाल थाने में हुई. जहां तैनात सीएएफ के जवान दिनेश वर्मा ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली. जवान की मौके पर ही मौत हो गई. थाने में अचानक गोली की आवाज सुनकर हड़कंप मच गया. आसपास के जवान जब बैरक में पहुंचे तो वह खून से लथपथ पड़ा था. घटना की सूचना पर एसडीओपी तोंगपाल और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे.
तीसरी घटना बीजापुर की है जहां जवान विनोद पोर्ते ने थाने में खुदकुशी कर ली. थाना परिसर में की आत्महत्या की पुष्टि करते हुए बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप ने बताया कि जवान विनोद पोर्ते, कोरबा जिले के सिरसा गांव का निवासी है. शनिवार दोपहर 12 बजे उसने ड्यूटी के बाद थाना परिसर के अंदर ही अपनी सर्विस रायफल से खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली.
कोशिश पूरी की जाती है कि जवान तनाव में न रहे: गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू
इस खुदकुशी को लेकर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि कोशिश पूरी की जाती है कि जवान तनाव में न रहे. इसके लिए डीजीपी ने 'स्पंदन कार्यक्रम' भी शुरू किया था और सभी वरिष्ठ अधिकारी कैंप में जा रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं. जवानों को छुट्टियां भी दी जा रही है और परिवारों से बातचीत भी कराई जा रही. वहीं आर्थिक समस्या की किसी प्रकार से बात नहीं है. साथ ही स्वास्थ्य सेवा की भी समस्याएं नहीं है. फोर्स को किसी प्रकार से भोजन और रहने की कमी नहीं है. जवानों को मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. गृहमंत्री ने कहा कि जवान परिवारिक समस्या के कारण खुदकुशी जैसे कदम उठा सकते हैं.
स्पंदन कार्यक्रम चलाया जा रहा
वहीं आत्महत्या के मामले में डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा कि आत्महत्या के कई मनोवैज्ञानिक कारण भी हो सकते हैं. लेकिन इस घटना का परीक्षण किया जाएगा अगर व्यवस्था गत कोई कमी है तो उसे दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्पंदन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इससे बहुत सारे लोगों की मन की स्थिति बदली है.
'स्पंदन अभियान' की शुरुआत
पुलिसकर्मियों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए कोंडागांव पुलिस ने 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत जवानों को काउंसलिंग दी जा रही थी
2 जून को 'स्पंदन अभियान' हुआ था शुरू
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. यह योजना 2 जून के बाद से पूरे प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई थी. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों और सेनानियों को जारी कर दिए गए थे.
लगातार बढ़ रहें हैं जवानों की खुदकुशी के मामले
- पिछले साल प्रदेश में 36 जवानों ने आत्महत्या कर ली थी.
- छत्तीसगढ़ में ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं, जिसमें जवानों ने अपनी सर्विस राइफल या पिस्टल का इस्तेमाल दुश्मनों पर नहीं, बल्कि अपने साथियों पर ही की है.
- राज्य के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है.
- इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.