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हिन्दी दिवस विशेषः इन बाल कवियों से मिलिए, इनमें बसा है हिन्दी का कल

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Published : Sep 14, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 2:18 PM IST

बाल कवियों के साथ शिक्षक

बेमेतरा के कवि जो शिक्षक भी हैं वे इन बच्चों को काव्य रचना और काव्यपाठ के गुर सिखा रहे हैं. इस संस्था के सदस्य बीते 3 साल से जिले के करीब 34 स्कूलों के 10 से 20 वर्ष के सौ से अधिक बाल कवियों को तैयार कर रहे हैं.

बेमेतराः इन बच्चों के भीतर एक कवि ह्रदय धड़कने लगा है, कविता में मन रहने लगा है इनका. ये नौनिहाल हिंदी साहित्य और देश का भविष्य गढ़ने को तैयार हैं. ये स्कूली बच्चे साहित्य को नई दिशा देने की तैयारी में जुटे हैं. स्कूल में ही इन्हें साहित्य से जोड़ने के पीछे एक गहरी सोच है. ताकि बुनियाद मजबूत हो, भाषा और साहित्य से जुड़ाव जीवन के शुरुआती दिनों से ही बना रहे.

हिन्दी दिवस स्पेशल पैकेज

इस सोच के पीछे शिक्षकों और साहित्यकारों का एक समूह है. कवि संगम इकाई, बेमेतरा के कवि जो शिक्षक भी हैं वे इन बच्चों को काव्य रचना और काव्यपाठ के गुर सिखा रहे हैं. इस संस्था के सदस्य बीते 3 साल से जिले के करीब 34 स्कूलों के 10 से 20 वर्ष के सौ से अधिक बाल कवियों को तैयार कर रहे हैं. इन्हें स्वरचित कविता और साहित्य की बारीकियां सिखाई जा रही हैं.

वर्कशॉप के जरिए सिखाते हैं कविता
संस्था के अधिकतर कवि शिक्षक भी हैं, ये अवकाश के दिनों में काव्य संगोष्ठी आयोजित कर राष्ट्रीय चेतना और समसामयिक विषयों पर सार्थक चर्चा करते हैं. ये संस्था जिले के स्कूल और कालेजों में साहित्यिक आयोजन कर छात्र-छात्राओं में साहित्य सृजन की क्षमता विकसित करने के लिए कार्यशाला आयोजित करती है.

बेमेतरा, साजा, अंधियारखोर, बालसमुंद, खम्हरिया, बेरला सहित 34 स्कूलों में बाल रचनाकार और कवि आपको मिलेंगे, जो हिन्दी के साथ-साथ छतीसगढ़ी भाषा में भी लिखते हैं. राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई के अध्यक्ष सुनील कुमार झा, कमल शर्मा, प्रमोद तिवारी, निराकार पांडेय, महेंद्र सिंह विरदी सहित दर्जनों कवि जो राष्ट्रीय स्तर पर अपने रचनाएं पेश कर चुके हैं और अब आने वाली पीढ़ी को साहित्य रचना के प्रति सक्रिय कर रहे हैं. ये अपनी कविताओं द्वारा सामाजिक और पर्यावरण को बचाने जैसे संदेश भी देते हैं.

Intro:एंकर-जिले के बच्चो में साहित्य के प्रति रुझान बढ़ाने राष्ट्रीय कवि संगम इकाई बेमेतरा के कवि शिक्षको द्वारा बच्चों को काव्यपाठ रचना के गुणों से पारंगत किया जा रहा है एवम स्वरचित कविता साहित्य की बारीकियां सिखाई जा रही हैं।Body:बता दे कवियों की संस्था राष्ट्रीय कवि संगम इकाई के सदस्य विगत 3 साल से गांव के करीब 34 स्कूलों में 10 से 20 वर्ष के सैकड़ो बाल कवि तैयार कर रहे है जिन्हें स्वरचित कविता और साहित्य की बारीकियां सिखाई जा रही है । संस्था के अधिकतर कवि शिक्षक है ये अवकाश के दिनों में काव्य संगोष्ठी आयोजित कर राष्ट्रीय चेतना एवम समसामयिक विषयो पर सार्थक चर्चा करते हैं । यह संस्था जिले के स्कूल एवम कालेजो में साहित्यिक आयोजन कर विद्यार्थियों को पठन पाठन के प्रति अभिरुचि जागृत करने एवम साहित्य सृजन की क्षमता विकसित करने कार्यशाला आयोजित करती है।Conclusion:बाल कवियों के साथ नवोदित रचनाकार भी अपनी स्वरचित रचना का पाठ करते है जिससे काव्य रचना में बच्चे निपुण हो रहे है और रुचि भी बढ़ रही है । जिले के बेमेतरा साजा अँधियारखोर बालसमुंद खम्हरिया बेरला सहित 34 स्कूलों में स्वरचित काव्य एवम साहित्य बाल रचनाकार आपको मिलेंगे जो हिंदी के साथ साथ छतीसगढ़ी भाषा मे रचना तैयार कर रहे है। राष्ट्रीय कवि संगम जिला इकाई के अध्यक्ष सुनील कुमार झा कमल शर्मा प्रमोद तिवारी निराकार पांडेय महेंद्र सिंह विरदी सहित दर्जनों कवि जो राष्ट्रीय स्तर पर अपने रचनाएं पेश कर चुके है और अब आने वाली पीढ़ी को रचना के प्रति सक्रिय कर रहे है।साथ ही कवियों द्वारा विद्यार्थियों को प्रकृति एवम पर्यावरण के प्रति जुड़ाव नशामुक्ति स्वच्छता जल संरक्षण एवम नैतिक मूल्यों के विकास के लिए सीख दी जाती है।
अंकुर तिवारी ईटीवी भारत बेमेतरा
बाईट1-हरीश कुमार बंजारे बाल कवि
बाईट2-कविता नेताम कवियत्री
बाईट-3 सुनील झा अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संगम इकाई बेमेतरा
Last Updated :Sep 14, 2019, 2:18 PM IST
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