Coffee cultivation in Naxalite area: सिर चढ़कर बोल रहा बस्तर कॉफी का स्वाद , नक्सल क्षेत्रों के किसान कर रहे उत्पादन

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Published : Oct 4, 2022, 4:12 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

Coffee cultivation in Naxalite area of bastar

बस्तर के अति नक्सल प्रभावित इलाकों से अब बारूद की गन्ध नहीं बल्कि कॉफी की खुशबू महकेगी. इसके लिए कृषि और उद्यानिकी विभाग का पायलट प्रोजेक्ट अब असर दिखाने लगा है.Coffee cultivation in Naxalite area of bastar

बस्तर: दरभा की पहाड़ियों पर करीब 20 एकड़ में लगाई गई कॉफी की फसल पककर तैयार हो गई (Coffee cultivation in Naxalite area of bastar ) है. बस्तर कॉफी ब्रांड से इसकी अच्छी खासी मांग भी सामने आई है. बाजार में बस्तर काफी के नाम से यह कॉफी बेची भी जा रही (Bastar Coffee demands in market ) है. इससे होने वाले मुनाफे और आसान खेती के तरीकों को ध्यान में रखते हुए अब बस्तर में इसका रकबा बढ़कर 300 एकड़ हो गया है. बस्तर कॉफी ब्रांड की शुरुआत में ही अन्य राज्यों से मांग आ रही है. बस्तर के मौसम और ऊंचाई के इलाकों में कॉफी के अच्छे बागान तैयार हो सकते (Taste of Bastar Coffee ) हैं.

क्या है कॉफी की खासियत : इस फसल की खासियत यह है कि इसमें ना तो जंगल काटने की आवश्यकता है और ना ही समतल मैदान की जरूरत. एक बार फसल लगाने के बाद 45 साल तक इसका मुनाफा कमाया जा सकता है. केवल शुरुआत के 2 साल तक खाद और पानी की आवश्यकता होती है.

जंगल में खेती के लिए ट्रेनिंग : उद्यानिकी और कृषि विभाग दोनों इस प्रयोग को सफल करने में जुटे हुए हैं. जिससे आदिवासी के साथ जंगल के इलाकों में भी कॉफी के बागान तैयार कर सकें. आंध्र प्रदेश तमिलनाडु असम में भी कॉफी की अच्छी खासी खेती होती है. वो मध्य भारत में बस्तर को भी इस लिहाज से तैयार करने की योजना है. किसानों के लिए भी काफी का उत्पादन और इसका व्यवसायिक इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है.

Last Updated :Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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