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बलौदाबाजार: असम के मानस नेशनल पार्क से लाए गए दो मेहमान, ऐसी हो रही खातिरदारी

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Published : May 27, 2020, 1:20 AM IST

barnawapara Sanctuary
बारनवापारा अभ्यारण्य में लाए दो भैंसा

बलौदाबाजार के बारनवापारा अभ्यारण्य में असम से दो वन भैंसा को लाया गया. ये वन भैंसें असम के मानस नेशनल पार्क से लाया गया है. वन भैंसों को यहां लाने का उद्देश्य उनकी संख्या बढ़ाना है.

बलौदाबाजार: जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में वन विभाग की ओर से वन भैंसा प्रजनन केंद्र बनाया गया है. वन भैंसा प्रजनन केंद्र को भैंसों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से बनाया गया है, जिसके लिए असम के मानस नेशनल पार्क से 2 वन भैसों को लाया गया है. वन भैंसों को 18 अप्रैल को बारनवापारा लाया गया.

बारनवापारा अभ्यारण्य से 4 फरवरी को अधिकारियों की टीम असम गई थी. जहां सभी औपचारिकताएं पूरी होने बाद वन भैसों को बारनवापारा अभ्यारण्य लाया गया. जहां इन वन भैंस को कोठारी वन परिक्षेत्र के खैरछापर में बने 10 हेक्टेयर के बाड़े में रखा गया है.

गर्मी से बचाने के लिए लगाए गए कूलर

ये दोनों वन भैंसा असम की ठंडी जलवायु में रहने के आदि है. वहीं इन दिनों छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है. ऐसी स्थिति में असम से बारनवापारा लाए गए इन वन भैसों की विशेष देख-रेख किया जा रहा है. वन विभाग ने इन वन भैसों के लिए बाड़े में कूलर की व्यवस्था कराई है. जहां सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक 10 कूलरों के माध्यम से वन भैसों के बाड़े को ठंडा रखा जाता है.

बारनवापारा के अधीक्षक ने दी जानकारी

बारनवापारा के अधीक्षक आरसी मिश्रा से मिली जानकारी के मुताबिक बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र की भीषण गर्मी को देखते हुए 18 अप्रैल से ही वन भैसों के बाड़े में कूलर और ग्रीन नेट की व्यवस्था की गई है, ताकि बाड़े का तापमान कम रहे. उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही जून में बारिश होगी. वन भैसों के बाड़े से कूलर हटा दिया जाएगा.

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काला हिरण के लिए हो चुका कारोड़ों रुपए खर्च

वन विभाग की ओर से वन भैसों को बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में पर्यटकों को लुभाने और अभ्यारण्य क्षेत्र में वन भैसों की संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया है. अब देखना होगा कि वन विभाग इस पर कितना कामयाब हो पाता है. क्योंकि वन विभाग की ओर से इससे पहले भी काला हिरन के प्रोजेक्ट में करोड़ों रूपया खर्च किया जा चुका है. राजस्थान से काला हिरणों को दो शिफ्ट में लाया गया था, जिसमें करीब 12 हिरणों की मौत हो चुकी है. अब देखना होगा कि वन भैंसा प्रजनन केंद्र में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद वन भैसों की संख्या में कितनी वृद्धि हो पाती है.

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