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गुरु घासीदास जयंती : गिरौदपुरी के 'कण-कण में हैं बाबा', जैतखाम से गूंज रहा 'मनखे-मनखे एक समान'

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Published : Dec 18, 2019, 10:14 AM IST

Updated : Dec 18, 2019, 1:34 PM IST

आज प्रदेश में बाबा गुरु घासीदास की 263वीं जयंती मनाई जा रही है. सतनामी समाज के जनक माने जाने वाले गुरु घासीदास ने समाज में सत्य और अहिंसा के लिए संदेश दिया था. जयंती पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं.

Guru Ghasidas's birth anniversary
गुरु घासीदास जयंती

बलौदा बाजार: बाबा गुरु घासीदास की जयंती उनकी जन्मभूमि गिरौदपुरी धाम में धूमधाम से मनाई जा रही है. 'सत्य ही मानव का आभूषण है', 'मनखे-मनखे एक समान', सत्य और अहिंसा का संदेश जन-जन तक पहुंचाने वाले संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास की आज यानी बुधवार को 263वीं जयंती है. हर साल 18 दिसंबर को सतनामी समाज की ओर से बाबा गुरु घासीदास बाबा की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है. समाज के लोग दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने आते हैं.

जैतखाम से गूंज रहा 'मनखे-मनखे एक समान'

बता दें कि 18 दिसंबर 1756 को कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में पिता महंगूदास और माता अमरौतिन बाई के यहां बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ था. घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था. कहा जाता है कि बाबा का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था. घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश दिया.

Guru Ghasidas's birth anniversary
मन्नत पूरी होने पर लोटकर जाती महिला

सतनामी समाज के जनक
बाबा को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है. उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया. उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था. उनके द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा.

Guru Ghasidas's birth anniversary
गुरु घासीदास जयंती पर उमड़ी भीड़

होती है मन्नत पूरी
कहा जाता है कि गिरौदपुरी धाम में बुधारू नामक व्यक्ति को जब जहरीले सर्प ने काटा तब बाबा ने उनके ऊपर जल छिड़ककर उनको दोबारा जीवित कर दिया था. इस चमत्कार के बाद समाज बाबा को भगवान की तरह पूजने लगा. मान्यता है कि बाबा को स्मरण कर जो मन्नत मांगी जाती है, उसे वे पूरा करते हैं. मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में लोटते हुए उनके द्वार तक पहुंचते हैं.

Guru Ghasidas's birth anniversary
जैतखाम

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दिया सत्य और अहिंसा का संदेश
घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम में प्रत्येक वर्ष उनके वंशज और धर्म गुरु मुख्य मंदिर में पालो चढ़ावा करते हैं. बाबा की वंदना पंथी नृत्य के माध्यम से होता है. बता दें कि गिरौदपुरी धाम में सत्य और अहिंसा का संदेश देने के लिए दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचा स्वेत जैतखाम का निर्माण किया गया है. इस खूबसूरत जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है.

Intro:हे सत्पुरुष हे सतनाम,जहां के कण कण में बसता हो सतनाम, बाबा गुरुघसीदास जी की जयंती बाबा गुरुघसीदास जी की जन्मभूमि गिरौदपुरी धाम में धूमधाम से मनाई जाएगी, सत्य ही मानव का आभूषण है, मनखे मनखे एक सामान और सत्य और अहिंसा का संदेश जन जन तक पंहुचाने वाले संत शिरोमणि बाबा गुरुघसीदास जी की आज 263 वीं जयंती है,बाबा गुरुघसीदास जी के जयंती के अवसर पर आज पूरा छत्तीसगढ़ आज बाबा गुरुघसीदास जी को नमन कर रहा है,आपको बता दें कि 18 दिसम्बर 1756 को कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में पिता महंगूदास और माता अमरौतिन बाई के यहां बाबा गुरुघसीदास जी का जन्म हुआ था, बाबा गुरुघसीदास जी का जन्म जब हुआ था तब समाज में सामाजिक अराजकता अपने पूरे चरम पर था और समाज में छुवा छूत और भेद भाव व्याप्त था,कहा जाता है कि बाबा गुरुघसीदास जी का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था,बाबा गुरुघसीदास जी ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई और तब बाबा गुरुघसीदास जी ने समाज से छुवा छूत मिटाने के लिए मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया।Body:बाबा गुरुघसीदास जी को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है और बाबा गुरु घसीदास जी ने समाज को सत्य और अहिंसा पर चलने का उपदेश दिया था, बाबा गुरुघसीदास जी ने मांस भक्षण और मदिरा सेवन को समाज में पूर्णतः बंद करवा दिया,बाबा गुरुघसीदास जी के द्वारा दिये गए उपदेश को जिसने जीवन में आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा,कहा जाता है कि बाबा गुरुघसीदास जी अलौकिक शक्तियों के साथ पैदा हुए थे, और गिरौदपुरी धाम में बुधारू नामक व्यक्ति को जब जहरीले सर्प ने काटा तब बाबा गुरुघसीदास जी ने उनके ऊपर जल छिटककर उनको दुबारा जीवित कर दिया था,बाबा गुरुघसीदास जी के इस चमत्कार के बाद सतनामी समाज बाबा गुरु घासीदास जी को भगवान की तरह पूजने लगा,और प्रत्येक वर्ष 18 दिसम्बर को सतनामी समाज के द्वारा बाबा गुरुघसीदास जी की जयंती को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने लगा,18 दिसम्बर को सतनामी समाज के लोग दूर दूर से बाबा गुरुघसीदास जी के दर्शन करने आते हैं और मान्यता है कि बाबा गुरुघसीदास जी को स्मरण कर जो मन्नत मांगी जाती है उसे बाबा पूरा करते हैं,बाबा गुरुघसीदास जी से मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में लोटते हुए बाबा गुरुघसीदास जी के द्वार तक पंहुचते है, और बाबा गुरुघसीदास जी की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम में प्रत्येक वर्ष बाबा गुरुघसीदास जी के वंशज और धर्म गुरु मुख्य मंदिर में पालो चढ़ावा का कार्यक्रम होता है,बाबा गुरुघसीदास जी की वंदना पंथी नृत्य के माध्यम से होता है,पंथी नृत्य में समाज के युवा टोली बनाकर नृत्य करते हुए शौर्य का प्रदर्शन करते हैं,आपको बता दें कि गिरौदपुरी धाम में सत्य और अहिंसा का सन्देस देने के लिए गिरौदपुरी धाम में दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचा स्वेत जैतखाम का निर्माण कराया गया है,इस खूबसूरत स्वेत जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है यहां प्रत्येक वर्ष सतनामी समाज के धर्म गुरुओं के द्वारा पालो चढ़ाया जाता है।
Conclusion:बाइट - मोहर साय अजय अध्यक्ष सतनामी कर्मचारी कल्याण समिति कसडोल ( सफेद शर्ट में )


बाइट - विनोद चेलक ( आंखों में चश्मा लागये ग्रुप में खड़े हुए )
Last Updated : Dec 18, 2019, 1:34 PM IST
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