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Balod News: बालोद में छोटे बच्चों में बाल मधुमेह किट का वितरण, जानिए क्यों खास है ये किट

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Published : Jun 7, 2023, 4:31 PM IST

बालोद में छोटे बच्चों में बाल मधुमेह किट का वितरण किया गया. इस किट के माध्यम से मधुमेह से पीड़ित बच्चों की सेहत में काफी सुधार देखने को मिल रहा है. ये किट हर साल वितरित की जाती है.

child diabetes kit
बाल मधुमेह किट

बाल मधुमेह किट का वितरण

बालोद: बालोद में मुख्यमंत्री बाल मधुमेह सुरक्षा अभियान के तहत बुधवार को 18 बाल मधुमेह से ग्रसित बच्चों को सुरक्षा किट प्रदान किया गया. जिले के डीपीएम अखिलेश शर्मा और अभियान के नोडल अधिकारी संजीव ग्लैड ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि "यह अभियान मधुमेह रोगियों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. प्रत्येक साल ये किट वितरण किया जाता है. इस बाल मधुमेह किट के उपयोग से बच्चों में काफी सुधार देखने को मिल रहा है."

जन्म से 13 साल तक का पंजीयन: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो जन्म से 13 वर्ष के बच्चो का इसके लिए पंजीयन किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह किट 21 वर्ष तक मुफ्त प्रदान किया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि हमने 21 साल से अधिक लोगों को भी इस तरह के किट प्रदान किए हैं. इस किट में मधुमेह ग्रसित लोगों के लिए संपूर्ण इलाज की सुविधाएं हैं.

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क्या है इस किट में: स्वास्थ्य विभाग द्वारा वितरण किए गए इस किट में इंसुलिन के साथ-साथ ग्लूकामीटर है. इसके साथ ही अन्य महत्वपूर्ण सुविधा की वस्तुएं उपलब्ध है. छोटे-छोटे बच्चे भी इस किट का प्रयोग खुद कर सकते हैं. यह किट यूजर फ्रेंडली और चाइल्ड फ्रेंडली है. इसका उपयोग करने के लिए कोई खास प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती. बच्चों को सामान्य उपयोग के लिए डॉक्टर ही प्रशिक्षण देते हैं.

नहीं है कोई गंभीर मरीज: डीपीएम अखिलेश शर्मा एवं नोडल अधिकारी संजीव ग्लैड ने बताया कि "4 से 5 लोग नॉर्मल आ गए हैं, कोई भी गंभीर नहीं है. साल में एक बार किट का वितरण किया जाता है. पिछले साल जो किट वितरित किए गए थे, उसका रेगुलर उपयोग करने के बाद चार से पांच लोग आज बेहद स्वस्थ हैं. उन्हें बाहर की दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ रही है.

टोल फ्री नम्बर से होता है पंजीयन: इस किट के लिए विभाग ने टोल फ्री नम्बर 104 जारी किया है. इसके माध्यम से मरीज अपना नाम और जानकारी दर्ज करा कर पंजीयन करते हैं. टोल फ्री नंबर से पंजीयन कराने वाले मरीजों को विभाग द्वारा उचित परीक्षण किया जाता है. पुष्टि के बाद ऐसे मरीजों को इस योजना का अंग बनाया जाता है. इसके बाद उन्हें मुफ्त में इंसुलिन दी जाती है.

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