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शासन की अनदेखी से परेशान दो दृष्टिबाधित बच्चों को भरपेट भोजन नहीं करा पा रही मजबूर मां

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Published : Aug 22, 2019, 5:03 AM IST

बेलकुर्ता गांव में प्रमिला सिंह नाम की एक गरीब महिला रहती है. जिसके दो बच्चे हैं और दोनों दृष्टिबाधित हैं. परिवार एक कमरे के घर में रहता है, लगभग टूट चुका है. आशंका जताई जा रही है कि इस बारसात में बाकी घर भी रहने लायक शायद न रहे, लेकिन इन सबके बावजूद प्रशासन की नजर आज तक उस गरीब और लाचार मां पर नहीं पड़ी है.

टूटा घर

बलरामपुर: कहने को तो सरकार जरुरतमंद लोगों के लिए तमाम तरह की योजनाएं बनाती है, लेकिन उन योजनाओं का धरातल पर क्या स्थिति है, इसकी बानगी बलरामपुर जिले के बेलकुर्ता गांव में देखने को मिली है. जहां एक लाचार मां अपने दो दृष्टिबाधित बच्चों को भरपेट भोजन भी नहीं करा पा रही है.

दृष्टिबाधित बच्चों को भरपेट भोजन नहीं करा पा रही मजबूर मां

जी हां, बलरामपुर जिले के बेलकुर्ता गांव में प्रमिला सिंह नाम की एक गरीब महिला रहती है. जिसके दो बच्चे हैं और दोनों दृष्टिबाधित हैं. परिवार एक कमरे के घर में रहता है, लगभग टूट चुका है. आशंका जताई जा रही है कि इस बारसात में बाकी घर भी रहने लायक शायद न रहे, लेकिन इन सबके बावजूद प्रशासन की नजर आज तक उस गरीब और लाचार मां पर नहीं पड़ी है. हालांकि मीडिया की पहल के बाद कई बार अधिकारी तो उनके घर आये, लेकिन वो भी महज आश्वासन के कुछ नहीं दिए.

मामले में कार्रवाई के निर्देश
इस परिवार की परेशानी सिर्फ घर को लेकर नहीं है. परिवार के दोनों दृष्टिबाधित बच्चे भरपेट खाना तक नहीं खा पा रहे हैं. बताते हैं, पहले सरकारी की तरफ से मां के साथ दोनों बच्चों को 35-35 किलो चावल मिलता था, लेकिन अचानक दोनों बच्चो का नाम राशन कार्ड से काट दिया गया. जिसके बाद अब सिर्फ मां को ही 35 किलो चावल मिल रहा है. जिसमें तीन लोगों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है. मामले में रामानुजगंज एसडीएम अजय किशोर का कहना है कि जानकारी मिलते ही उन्होंने जनपद पंचायत सीईओ को भेजकर मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

Intro:एंकर_सरकार लोगों की जरूरतों के अनुसार योजनाएं तो जरूर बनाती है और उनके क्रियान्वयन के लिए भी लाखों रुपये खर्च करती है मगर इन सबके बावजूद बलरामपुर जिले में कुछ ऐसे जरूरत मंद लोग है जिन तक सरकार की योजनाएं आज तक नही पहुच पाई है।

Body:वीओ01_जी हां हम बात कर रहे हैं बलरामपुर जिले के ग्राम बेलकुर्ता की जहां प्रमिला सिंह नाम की एक गरीब महिला रहती है जिसके दो बच्चे है और दोनों अंधे हैं उनके पास रहने को एक कमरे का छोटा सा घर तो है मगर वो भी लगभग टूट चुका है और इस बारिश में उस घर का टूटना भी लगभग तय है मगर इन सब के बावजूद भी प्रशासन की नजर आज तक उस गरीब पर नही गयी हालांकि मीडिया के पहल के बाद कई बार अधिकारी वहां गए जरूर मगर सिर्फ झूठे वादे कर वापस लौट आये और उन्हें हाथ लगी तो सिर्फ निरासा। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री आवास जैसी महत्वाकांक्षी योजना भी इस गरीब महिला को सर छुपाने की जगह नही सकती।

बाइट01_प्रमिला देवी पीड़ित।
बाइट02_दसरथ सिंह दिव्यांग बालक।

वीओ02_मगर उनकी परेशानी सिर्फ घर तक ही समाप्त नही होती है उनकी सबसे बड़ी समस्या है खाने की समस्या हालांकि प्रमिला देवी को सरकार की ओर से 35 किलो चावल जरूर मिलता है मगर इसके बावजूद भी इतने से चावल में 3 लोगों को पेट भर भोजन मिल पाना मुमकिन नही है,दोनों अंधे बच्चों को पहले चावल तो मिलता था मगर न जाने क्यों उनका राशन काट दिया गया नतीजतन अब उन्हें एक टाइम भूखा ही सोना पड़ता है।

बाइट03_दसरथ सिंह
बाइट04_रीना सिंह दिव्यांग

वीओ03_वही जब इस मामले में रामानुजगंज sdm अजय किशोर लकड़ा से बात की गई तो उन्होंने तत्काल जनपद पंचायत सीईओ को भेजकर मामले में संज्ञान लेकर तत्काल कार्यवाई की बात कही है।

बाइट05-अजय किशोर लकड़ा sdm रामानुजगंज।

Conclusion:हालांकि प्रशासनिक अधिकारी कार्यवाई की बात जरूर कह रहे है मगर इतनी योजनाओं के चलने के बावजूद भी इस तरह की बातों का सामने आना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल जरूर खड़े करता है।
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