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सरगुजा: लेमरू हाथी परियोजना को लेकर ग्रामीणों ने सरकार का किया विरोध

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Published : Oct 6, 2020, 8:12 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

छत्तीसगढ़ सरकार की लेमरू हाथी कॉरिडोर परियोजना का सरगुजा के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में विरोध होना शुरू हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी हाल में अपने क्षेत्र में इस परियोजना को लागू नहीं होने देंगे. इसके लिए 2 अक्टूबर के बाद से लगातार गांवों में बैठकों का दौर जारी है.

Villagers protest against government on Lemru Elephant Project in Surguja
लेमरू हाथी परियोजना का विरोध

सरगुजा : छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी लेमरू हाथी कॉरिडोर परियोजना का उदयपुर और लखनपुर विकासखंड में विरोध शुरू हो गया है. बता दें कि जब कांग्रेस सत्ता में आई थी, उसी समय हाथियों के रिजर्व एरिया के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लेमरू हाथी परियोजना की घोषणा की थी. उस समय भी लोगों ने सभाएं आयोजित कर इस परियोजना का विरोध किया था. इसी बीच कोरोना के कारण यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई, लेकिन 2 अक्टूबर को ग्राम सभा के आयोजन की सूचना आई और सचिवों को आवश्यक रूप से ग्राम सभा आयोजित करने का आदेश मिला.

Villagers protest against government on Lemru Elephant Project in Surguja
लेमरू हाथी परियोजना का ग्रामीण कर रहे हैं विरोध

वहीं वन विभाग को आदेशित किया गया कि वे ग्राम सभा में जाकर लेमरू हाथी परियोजना की जानकारी लोगों को दें और समझाएं कि लोगों को विस्थापित नहीं किया जाएगा. सिर्फ हाथी के लिए गांव की सीमा में घेराव किया जाएगा. जैसे ही वन विभाग के कर्मचारियों ने गांव में जाकर बताना शुरू किया तो लोग आक्रोशित हो गए. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही सरकार चाहती है, तो वे ग्राम सभा में सहमति का प्रस्ताव किसी भी हाल में नहीं देंगे. इसके लिए चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए. लोगों ने यह भी कहा है कि अगर सरपंच और सचिव उनकी मर्जी के खिलाफ शासन के दबाव में आकर सहमति देते हैं, तो उन्हें इस गलती का दंड भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए.

Villagers protest against government on Lemru Elephant Project in Surguja
लेमरू हाथी परियोजना का विरोध

इन गांवों में किया गया ग्राम सभा का आयोजन

लेमरू प्रोजेक्ट के लिए ग्राम सभा का आयोजन मतरिंगा, सितकालो, बुले, भकुरमा, पनगोती, बडे़ गांव, मरेया, कुडेली, बकोई, पेंण्डरखी, ,खूझी, सायर कुमडेवा, जिवालिया बिनिया, अरगोती, ढोढा केसरा और पटकुरा जैसे बहुत से सीमावर्ती और पहाड़ी इलाकों में किया गया था. सभी ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी हाल में अपने क्षेत्र में इस परियोजना को लागू नहीं होने देंगे और इसके लिए वे आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे.

पढ़ें: सूरजपुर: ग्रामीणों का वन अमले पर आरोप, कहा- 'विभाग की लापरवाही से जा रही हाथियों की जान'

ग्रामीणों का यह भी कहना था कि इस क्षेत्र में कभी -कभार ही कुछ हाथी आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन परियोजना बनने के बाद सरकार पूरे प्रदेश के हाथियों को लाकर यहां छोड़ देगी और हाथी तार के एक घेरे को अपनी सीमा बनाकर गांवों में ही घुसेंगे. गांव के लोगों ने कहा कि उनके पास गाय, भैंस और बकरी जैसे पालतू जानवर हैं, जिन्हें चराने के लिए वे जंगल में ही जाते हैं, लेकिन हाथियों के आने के बाद उनके डर से वे मवेशियों को चराने जंगल नहीं जा पाएंगे.

2 अक्टूबर के बाद से गांवों में लगातार हो रही बैठक

2 अक्टूबर के बाद लगातार गांव में बैठकों का दौर जारी है. वहीं वन विभाग भी सक्रिय है. वन विभाग के आला अफसर लगातार सरपंच-सचिवों की बैठक ले रहे हैं. इसी कड़ी में 30 गांव के जनप्रतिनिधियों की बैठक केदमा गांव में भी 5 अक्टूबर को क्षेत्रीय नेता विनोद हर्ष की उपस्थिति में आयोजित की गई, जिसमें सभी ग्रामीणों ने कहा कि वे सरकार की इस मंशा को सफल नहीं होने देंगे. क्योंकि हाथियों के आने के बाद लोग खुद घर छोड़कर भागने को मजबूर हो जाएंगे. केदमा में हुई बैठक में सभी पंच और सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे. इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि वन विभाग की समझाइश उनके लिए बेकार है. वे किसी के भी दबाव में नहीं आएंगे और सरकार द्वारा निर्मित इस विषम परिस्थिति का डटकर मुकाबला करेंगे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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