सरगुजा : कोरोना वायरस के बढते संक्रमण के साथ ही सैनिटाइजर की मांग बढ़ती जा रही है. कुछ जगह सैनिटाइजर खत्म होने की खबर आने लगी है. लेकिन इस परेशानी से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने खुद इसका जिम्मा उठाया और अपने लैब में सैनिटाइजर बनवाना शुरू किया है.
वैज्ञानिकों की देख रेख में WHO के मापदंड के अनुरूप ये सैनिटाइजर तैयार किए जा रहे हैं. जिले में सैनिटाइजर की समस्या को खत्म करने के लिए इसे आम लोगों तक उचित मूल्य में उपलब्ध कराया जा रहा है.
घर में बनाना खतरनाक
सोशल साइट्स पर सैनिटाइजर बनाने के कई तरीके बताए जाते हैं. उनमें कितनी सच्चाई होती है. इस पड़ताल के लिये हमने युवा साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा से बात की, प्रशांत ने सैनिटाइजर बनाने की जानकारी दी. लेकिन हम बता दें कि यह बच्चों का खेल नही है.सैनिटाइजर बनाना बेहद खतरनाक है, क्योंकि इसमें उपयोग किए जाने वाला प्योर इथेनॉल जो 99.9% एल्कोहल होता है, वो अत्यंत ज्वलनशील भी होता है, लिहाजा इसे बनाते वक्त ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.
बाजार में पर्याप्त
जैसे ही सरकार ने अलर्ट जारी किया, लोगों की मास्क और सैनिटाइजर के प्रति जागरूकता बढ़ी. बाजार में इनकी भारी कमी हो गई. सैनिटाइजर और मास्क 4 गुना महंगे दाम में बिकने लगे. एनयूआरएलएम और बायोटेक लैब के सहयोग से सैनिटाइजर बनवाने का काम शरू किया गया. अब बाजार में इतना सैनिटाइजर उपलब्ध है की निजी मेडिकल शॉप के महंगे सैनिटाइजर खरीदने की जरूरत ही नहीं है. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन सरगुजा ने "बिहान" प्रोजेक्ट के तहत यह सैनिटाइर 50 मिली लीटर की बोतल मात्र 25 रुपए में उपलब्ध कराई है. अब तक जिला प्रशासन ने 50 मिली की लगभग 25 सौ बोतलें बनाकर बेच दी है. मतलब लगभग ढाई हजार लोगों को सैनिटाइजर मिल चुका है.सैनिटाइजर बनाने का काम बायोटेक लैब में लगातार जारी है.
वैज्ञानिक प्रशांत शर्मा के साथ उनकी पूरी टीम सैनिटाइजर बनाने में अथक मेहनत कर रही है. ETV भारत प्रशासन के इस पहल और इस काम मे लगे कोरोना फाइटर्स को सलाम करता है. साथ ही हम यह अपील करते हैं कि आप भी इस समस्या की घड़ी में देश और मानवता को बचाने में अपना योगदान सुनिश्चित करें. ना की अवसर का फायदा उठाकर जरूरत मंद लोगों की मजबूरी का फायदा उठाएं.