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प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हो रहा रामझरना, सुविधाएं नहीं होने से रूठे सैलानी

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 6, 2024, 4:35 PM IST

Updated : Jan 6, 2024, 11:04 PM IST

Ramjharna अंबिकापुर रायगढ़ मार्ग पर प्राकृतिक स्थलों की भरमार है. इन प्राकृतिक स्थलों को देखकर अनायास ही यहां रुकने का मन करता है.लेकिन इसी सड़क पर एक ऐसा प्राकृतिक स्थल है जो रामायण काल की याद दिलाता है.लेकिन देखरेख के अभाव में इस स्थल की दुर्दशा होती जा रही है.victim of administrative neglect

victim of administrative neglect
प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हो रहा रामझरना

सीतापुर : छत्तीसगढ़ अपने पर्यटन के लिए जाना जाता है.यहां के पर्यटन स्थलों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.लेकिन कई सारे पर्यटन स्थलों की हालत अच्छी नहीं है.खूबसूरत होने के बाद भी एक बार आने के बाद यहां पर्यटक दोबारा आने के लिए नहीं सोचते.सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक बेरूखी के कारण नायाब पर्यटन स्थल अपनी सुंदरता के बाद भी लोगों को अपनी ओर ज्यादा संख्या में आकर्षित नहीं कर पाते.आज हम आपको ऐसे ही पर्यटन स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे अब संवारने की जरुरत है.

सुंदर रामझरना की दुर्दशा : रायगढ़ मार्ग पर अम्बिकापुर से 45 किलोमीटर की दूर पर सेदम नाम का एक गांव है. इसके दक्षिण दिशा में दो किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच एक सुन्दर झरना है. जिसे लोग रामझरना के नाम से जानते हैं. झरना जिस जगह पर गिरता है वहां एक प्राकृतिक जलकुंड बन चुका है.वैसे तो साल भर इस झरने को देखने के लिए पर्यटक इस जगह पर आते हैं. लेकिन यहां तक आने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं.एक समय था जब सैलानी साल के अंतिम दिन और नए साल की शुरुआत में इस जगह पर उमड़ते थे.लेकिन अब ये सब चीजें गुजरे जमाने की बात हो गई है.

रामझरना के पास पुराना शिवमंदिर : रामझरना के पास ही एक पुराना शिवमंदिर है.ऐसा कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना खुद भगवान राम ने वनवास के दौरान की थी.साल में कुछ मौकों पर मंदिर के आसपास बड़ा मेला भी लगता है.जिसमें दूर-दूर से लोग शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं.लेकिन देखरेख के अभाव में अब मंदिर सहित ये रामझरना भी लोगों से दूर होता जा रहा है.

उपेक्षा का शिकार प्राकृतिक स्थल : पिछले कुछ साल से इस जगह तक आने वाली सड़क जो टूटी अब वो बनने का नाम नहीं ले रही है.सही सड़क ना होने के कारण यहां सैलानी अब कम आते हैं.क्योंकि पथरीले रास्ते को पार करने में ही पर्यटक की जान हलक तक आ जाती है.और जब तक वो मौके पर पहुंचता है तो शरीर में इतनी ताकत नहीं रहती कि वो झरने के साथ आसपास के स्थलों में घूमकर थोड़ा समय बीता सके.क्योंकि जितनी देर लोगों को यहां आने में लगती है उतनी ही देर वापस खराब सड़क पर जाने के लिए बीताना पड़ता है.

आवेदन के बाद भी नहीं सुधरे हालात : यहां के रहवासियों की माने तो उन्होंने पिछली सरकार के खाद्य एवं पर्यटन मंत्री अमरजीत भगत को इस बारे में कई बार चेताया.बावजूद इसके अमरजीत भगत ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. अब सरकार बदली है ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही नई सरकार का ध्यान इस प्राकृतिक स्थल को संवारने में जाएगा.

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Last Updated :Jan 6, 2024, 11:04 PM IST
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