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12वीं शताब्दी की पांडुलिपि से ऐसे सुधर सकती है आपकी हैंड राइटिंग !

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Published : May 24, 2022, 12:45 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा समृद्धशाली इतिहास के लिए हमेशा जाना जाता रहा है. सरगुजा में कई वर्ष पुरानी पांडुलिपि पाई गई है. इन पांडुलिपियों की मदद से कई कार्यों में मदद मिल सकती है. जैसे चिकित्सा, पढ़ाई और हैंडराइटिंग सुधार के कार्य में. देखिए जानकार इस बारे में क्या कहते हैं

Handwriting can improved with manuscript
पांडुलिपि से ऐसे सुधर सकती है आपकी हैंड राइटिंग

सरगुजा : अविभाजित सरगुजा में 2007 में भारत सरकार के पांडुलिपि संरक्षण विभाग ने पांडुलिपियों का संरक्षण किया था. सरगुजा प्रशासन ने पांडुलिपियों के संरक्षण का काम कराया था. इस काम में शिक्षक और इतिहासकार अजय चतुर्वेदी को स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारी दी गई थी. तब अजय चतुर्वेदी ने 101 से अधिक पांडुलिपियों का प्रमाण खोज निकाला था.




जड़ी बूटियों से इलाज की पद्धति का पता चला: पांडुलिपि संरक्षण के वक्त बहुत से ग्रंथों को पढ़ा नहीं जा सका. लेकिन कुछ ग्रंथ पढ़े गये. इसे पढ़ने के लिए एक्सपर्ट भी बाहर से बुलाये गये थे. इन्हें पढ़ने के बाद पता चला कि इसमें विवाह पद्धति लिखी हुई है. जड़ी बूटियों से इलाज की पद्धति भी लिखी गई है. हालांकि इलाज पद्धति को इतनी आसानी से स्थानीय स्तर पर पढ़ा नहीं जा सकता था, लेकिन अजय कहते हैं कि अगर उसे पढ़कर उस जड़ी बूटी के जरिए इलाज किया जाये तो निश्चित ही वो समाज के काम आयेगा. आज चरक की पद्धति पर इलाज हो रहा है. ऐसे ही पांडुलिपियों में लिखे इलाज पर भी विचार करना चाहिए.

पांडुलिपि से ऐसे सुधर सकती है आपकी हैंड राइटिंग
12 वीं शताब्दी की लिपियों के बार में मिली जानकारी: 12वीं शताब्दी तक की पांडुलिपियों का संरक्षण सरगुजा में है. इन लिपियों में कई काव्य, मंत्र, विवाह पद्धति शामिल है. लिपि की एक प्रति पांडुलिपि संरक्षण विभाग ने अपने पास रख कर शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज किया है. जबकि इसकी मूल प्रति वहीं पर संरक्षित की गई है. जिन लोगों के पास ये लिपियां थी. अविभाजित सरगुजा जिला यानी की सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर और कोरिया चार जिलों के अलग अलग हिस्सों में यह लिपियां रखी हुई है.2007 में हुआ संरक्षण: वर्ष 2007 में तत्कालीन जिले के प्रशासन ने पांडुलिपियों के संरक्षण की पहल की थी. उस समय केंद्र सरकार ने पांडुलिपि संरक्षण विभाग के अधिकारियों को सरगुजा भेजा था. यहां अजय कुमार चतुर्वेदी को प्रशासन ने टीम की हेल्प के लिए नियुक्त किया था. तब अजय चतुर्वेदी ने 101 से अधिक पांडुलिपियां खोजी और विभाग ने उनके संरक्षण का काम किया.पांडुलिपि से हैंड राइटिंग सुधारने में मिल सकती है मदद:पांडुलिपि को देखने के बाद यह पता चलता है की हैण्ड राइटिंग में वो समय काफी आगे था. दवात की स्याही और मोर पंख से लिखी गई लिपियां इतनी सुसज्जित और खूबसूरत हैं मानो किसी ने टाइप कर दिया हो. इस कला को दोबारा जीवित करने की जरूरत महसूस होती है. अजय चतुर्वेदी कहते हैं कि "अब मोर पंख से लिखने की जरूरत नहीं लेकिन निब वाली पेन के इस्तेमाल से राइटिंग सुधारी जा सकती है. अपने स्कूल में किया प्रयोग: अजय चतुर्वेदी पेशे से शासकीय शिक्षक और इतिहासकार हैं और उन्होंने पांडुलिपि से प्रभावित होकर अपने स्कूल में इसका प्रयोग किया. सूरजपुर जिले के प्रतापपुर में सरहरी स्कूल में अजय अपने विद्यार्थियों को निब पेन का स्तेमाल कराते हैं. इसका नतीजा यह है कि इस स्कूल के बच्चों की हैंड राइटिंग बेहतर है. अजय कहते हैं कि आप खुद एक पेज में निब पेन और दूसरे पेज में बॉल पेन से लिखकर देखिये, अंतर खुद समझ आ जायेगा. तो इस तरह पांडुलिपि की मदद से आप अपनी हैंडराइटिंग सुधार सकते हैं
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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