ठंड के समय करें यह प्राणायाम और योगासन, शरीर में बनी रहेगी गर्माहट

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Published : Nov 23, 2021, 6:11 PM IST

Pranayama and Yogasanas

वैसे तो योगासन और प्राणायाम (Yogasanas and Pranayama) हर मौसम में आपकी सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद (beneficial) होता है. लेकिन सर्दी के दिनों (winter days) में इनके विशेष लाभ होते हैं. ठंड के मौसम (cold weather) में अमूमन कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं (health problems) लोगों में देखने को मिलती है. इस दौरान कुछ ऐसे आसन और प्राणायाम (Pranayama) है, जिसको करने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है. शरीर सुस्त नहीं पड़ता. शरीर से बीमारियां भी दूर रहती हैं. इस संबंध में योगाचार्य (Yogacharya) पुष्पक चौबे ने क्या कहा? आप भी जानिए...

रायपुरः वैसे तो योगासन और प्राणायाम हर मौसम में आपकी सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है. लेकिन सर्दी के दिनों में इनके विशेष लाभ होते हैं. ठंड के मौसम में अमूमन कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं लोगों में देखने को मिलती है. इस दौरान कुछ ऐसे आसन और प्राणायाम है, जिसको करने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है. शरीर सुस्त नहीं पड़ता. शरीर से बीमारियां भी दूर रहती हैं. प्राणायाम की बात की जाए तो सूर्यभेदी (sun piercing), भस्त्रिका (Bhastrika), कपालभाति (Kapalbhati) यह कुछ ऐसे प्राणायाम हैं जिनको हमेशा किया जा सकता है. लेकिन ठंड के मौसम में करने से शरीर में इससे गर्माहट बनी रहती है. इसके साथ ही धनुरासन, पर्वतासन और वीरभद्रासन करने से भी शरीर फिट रहता है. ठंड के समय शरीर से जुड़ी समस्याएं देखने को नहीं मिलती हैं.

प्राणायाम और योगासन

योगाचार्य पुष्पक चौबे ने बताया कि ठंड शुरू होते ही लोगों में कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं. ऐसे में कुछ ऐसे आसन और प्राणायाम हैं, जिसको करने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है और जो बीमारियां अमूमन ठंड के समय देखने को मिलती है, उससे बचाव होता है. सबसे पहले हम प्राणायाम की बात करते हैं...

प्राणायाम
सूर्यभेदी- यह प्राणायाम अनुलोम-विलोम की तरह होता है. लेकिन अनुलोम-विलोम में हम नाक के एक सिरे से सांस लेते हैं और दूसरे सिरे से छोड़ते हैं. उसके बाद नाक के दूसरे सिरे से सांस लेते हैं और पहले सिरे से छोड़ते हैं. लेकिन सूर्यभेदी प्राणायाम में हम नाक की दाहिनी सिरे से सांस लेकर बॉयें सिरे से छोड़ते हैं और इसी प्रकार दोबारा दाहिनी सिरे से सांस लेकर बॉयें सिरे से छोड़ना है. इसी को दोहराते रहना है. इसको सूर्यभेदी प्राणायाम बोलते हैं. इसे रोजाना 4 से 5 मिनट करना चाहिए.


भस्त्रिका- भस्त्रिका का मतलब होता है लोहार की धौकनी यानी गर्मी उत्पन्न करना इसी तरह यह पूरा प्राणायाम है इस प्राणायाम मैं आपको तेज़ी से सास अंदर खीचना होती है और बाहर छोड़ना होता है इसके साथ ही आप हाथों को ऊपर नीचे करके भी इसे कर सकते हैं सांस लेते समय आपको अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाना है और सांस छोड़ते हुए आपको अपने दोनों हाथों को तेजी से नीचे लाना है। सूर्यभेदी और भस्त्रिका प्राणायाम को करने से पहले आपको ध्यान रखना होगा कि आपको हाई बीपी की प्रॉब्लम ना हो। हाई बीपी की प्रॉब्लम होने पर आप सूर्यभेदी आसन धीरे धीरे कर सकते है लेकिन अगर आपको हाई बीपी की समस्या है तो भस्त्रिका प्राणाया को आप बिल्कुल ना करें वही अगर आपके पेट का ऑपरेशन हाल ही में हुआ हो तो इन दोनों सूर्यभेदी और भस्त्रिका प्राणायाम को आप बिल्कुल ना करें।
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कपाल भारती- कपाल भारती में भी आपको अपने सांस को तेजी से छोड़ना है और पेट को पिचकाना है. सांस छोड़ने के बाद अपने आप सांस अंदर आ जाती है. रोज सुबह आपको इन सारे आसनों को 10 से 15 मिनट करना है, जिससे आपके शरीर में गर्मी बनी रहेगी. अगर आपके पेट संबंधित कोई समस्या हो, पेट का ऑपरेशन हुआ हो या अल्सर हो पेट में, तो आप इन प्राणायाम को ना करें.

योगासन

धनुरासन- धनुरासन को अपनी क्षमता के अनुसार करना है. इस आसन में आपको पेट के बल लेट जाना है. पेट के बल लेट जाने के बाद आपको अपने हाथ को पीछे करना है और पैर को मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ना है. अपने चेहरे को ऊपर उठाना है. इस आसन में आपको सांस लेते हुए अपने शरीर को ऊपर उठाना है और सांस छोड़ते हुए आपको अपने शरीर को नीचे छोड़ना है. अपनी क्षमता के अनुसार यह आसन आपको करना है. यह आसन पेट की समस्या होने पर आपको धनुरासन को नहीं करना है.

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पर्वतासन- पर्वतासन में आपको अपने शरीर को उल्टा वी शेप का बनाना है. इसमें कमर से लेकर हाथ तक आपकी पूरी पीठ और हाथ सीधे रहेंगे और कमर से नीचे आपके पूरे घुटने और पंजे तक अपने शरीर को सीधा रखना है. इससे आपके शरीर का रक्त का संचार जो है, वह सामने की तरफ आता है. इस आसन में सबसे जरूरी है कि आपकी कमर और पीठ सीधी हो. इस आसन में आपकी रक्त का संचार हृदय और सिर की तरफ ज्यादा रहता है. अगर आपको हाई बीपी की समस्या हो तो आपको धनुरासन और पर्वतासन बिल्कुल नहीं करना है.


वीरभद्रासन- वीरभद्रासन में आपको सीधे खड़े होकर अपने एक पैर को पीछे लाना है और दूसरे पैर को सामने ले जाकर घुटने तक मोड़ कर अपने शरीर को थोड़ा नीचे झुकाना है. एक वॉरियर की तरह पोज बनाकर अपने दोनों हाथों को ऊपर करना है. इसमें जरूरी है कि आपका पैर जो सामने है, उसमें घुटना और टखना बिल्कुल सीधा हो. वहीं, जो पीछे वाला पैर है, वह कमर से टखने तक पूरा पीछे की तरफ झुका हुआ सीधा रहे. यह आसन जितनी देर आप कर सकते हैं, तब तक करें. इसके बाद आप सीधा खड़े हो जाएं.

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