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shardiya navratri 2022 : नवरात्रि में घटस्थापना का अभिजीत शुभ मुहूर्त

shardiya navratri 2022 : 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है. इस दिन माता के भक्त घट की स्थापना (GhataSthapana Vidhi ) करेंगे.आने वाले नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी.Kalash Sthapana Vidhi

नवरात्रि में घटस्थापना का अभिजीत शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में घटस्थापना का अभिजीत शुभ मुहूर्त
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Published : Sep 20, 2022, 1:56 PM IST

Updated : Sep 25, 2022, 12:40 PM IST

रायपुर : शारदीय नवरात्र अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 26 सितंबर सोमवार से प्रारंभ होकर 4 अक्टूबर महानवमी के दिन तक मनाई (shardiya navratri 2022 ) जाएगी. इस वर्ष मां देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. हाथी सौभाग्य ऐश्वर्या धन संपन्नता साहस और शौर्य के पराक्रम का प्रतीक है. घटस्थापना (Kalash Sthapana Vidhi ) और चौकी स्थापना आदि का शुभ और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा, इसके साथ ही सुबह 6:11 से लेकर सुबह 9:30 तक चौकी स्थापना और घट स्थापना किया जा सकता (abhijeet muhurta of ghatasthapana ) है. माता महिषासुरमर्दिनी हाथी पर सवार होने की वजह से यह नवरात्रि बलशाली शौर्यशाली और साहस का प्रतीक है.सभी भक्तजनों को देवी से गुणों की मंगल कामना करनी चाहिए.

नवरात्रि में घटस्थापना का अभिजीत शुभ मुहूर्त


नवरात्र के 9 दिनों में माता के इन रूपों की होगी पूजा : प्रथम दिवस माता शैलपुत्री के रूप में विराजमान रहेंगी. दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाएगी तीसरे दिन माता दुर्गा की चंद्रघंटा के रूप में पूजा की जाएगी चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाएगी. पांचवी शुभ दिन में स्कंदमाता के रूप में पूजा होगी. छठवें दिन में माता दुर्गा की कात्यायनी रुप की पूजा होगी. सातवें दिन माता के कालरात्रि रूप की पूजा होगी. आठवें दिन हवन और अग्निहोत्र के साथ देवी के महागौरी रूप की पूजा होगी. पश्चिम बंगाल समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों में महा अष्टमी को विशेष पूजन किया जाता है. इसे दुर्गा अष्टमी महा अष्टमी सरस्वती पूजन के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन शस्त्रों की भी पूजा की जाती है महिषासुर मर्दिनी के रूप में देवी ने महिषासुर नामक राक्षस का सर्वनाश और विध्वंस किया था और अपने भक्तों की रक्षा की थी इसी तरह राम और रावण की युद्ध के समय अष्टमी के दिन रामचंद्र जी द्वारा पूजन किए जाने पर रावण के वध का मार्ग प्रशस्त्र हुआ था. इस वर्ष महानवमी या सरस्वती बलिदान का पर्व 4 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा. महा नवमी के दिन माता दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा भक्तगण करते (Nine Forms of Durga Mata) हैं.



नवरात्रि के पावन पर्व कई शुभ संयोग पड़ रहे हैं : इस वर्ष नवरात्रि 9 दिनों की मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में शुभ गजकेसरी योग शश योग शुक्र के द्वारा नीच भंग राज्यों का निर्माण हो रहा है. प्रथम दिवस हस्त नक्षत्र शुक्ल योग बवकरण योग वज्र योग का सुंदर प्रभाव देखने को मिल रहा है. आज के दिन आज के दिन को अग्रसेन जयंती के रूप में भी मनाते हैं. इस नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग हस्त नक्षत्र चित्र स्वाति विशाखा अनुराधा जैसे मूल उत्तरा पूर्वाषाढ़ा सभी नक्षत्रों का सुंदर संयोग देखने को मिल रहा है. यह संपूर्ण नवरात्रि अश्विन शुक्ल पक्ष शारदीय नवरात्र के रूप में जानी जाती है. घट स्थापन से प्रारंभ होकर महानवमी तक जोत जलाने की परंपरा है.




नवरात्र की नौ दिनों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए : 26 सितंबर को सुबह अभिजीत मुहूर्त की बेला में घर में देवी की चौकी की स्थापना की जा सकती है. जो भक्तगण घरों में दीपक जलाते हैं. उनको यह ध्यान रखना होगा कि दीपक अखंड रूप से जलता रहे देवी की चौकी को नियमित साफ-सफाई पूजन और जल के माध्यम से शुद्ध स्नान कराना बहुत ही आवश्यक है. जगह-जगह नवरात्रि के समय में दुर्गा की स्थापना की जाती है. उनके लिए भी यह आवश्यक है कि निर्धारित समय में सुबह और शाम देवी की पूजा आराधना अनुष्ठान आरती और प्रसाद वितरण का काम पूर्ण अनुशासन से करें .जिससे कि देवी की कृपा सभी भक्तजनों पर बराबर बनी रहे इन 9 दिनों में व्रत अनुष्ठान दान धार्मिक यात्रा शुभ कार्य प्रारंभ करना सभी सिद्ध होते हैं.

रायपुर : शारदीय नवरात्र अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 26 सितंबर सोमवार से प्रारंभ होकर 4 अक्टूबर महानवमी के दिन तक मनाई (shardiya navratri 2022 ) जाएगी. इस वर्ष मां देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. हाथी सौभाग्य ऐश्वर्या धन संपन्नता साहस और शौर्य के पराक्रम का प्रतीक है. घटस्थापना (Kalash Sthapana Vidhi ) और चौकी स्थापना आदि का शुभ और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा, इसके साथ ही सुबह 6:11 से लेकर सुबह 9:30 तक चौकी स्थापना और घट स्थापना किया जा सकता (abhijeet muhurta of ghatasthapana ) है. माता महिषासुरमर्दिनी हाथी पर सवार होने की वजह से यह नवरात्रि बलशाली शौर्यशाली और साहस का प्रतीक है.सभी भक्तजनों को देवी से गुणों की मंगल कामना करनी चाहिए.

नवरात्रि में घटस्थापना का अभिजीत शुभ मुहूर्त


नवरात्र के 9 दिनों में माता के इन रूपों की होगी पूजा : प्रथम दिवस माता शैलपुत्री के रूप में विराजमान रहेंगी. दूसरे दिन मां दुर्गा की ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाएगी तीसरे दिन माता दुर्गा की चंद्रघंटा के रूप में पूजा की जाएगी चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाएगी. पांचवी शुभ दिन में स्कंदमाता के रूप में पूजा होगी. छठवें दिन में माता दुर्गा की कात्यायनी रुप की पूजा होगी. सातवें दिन माता के कालरात्रि रूप की पूजा होगी. आठवें दिन हवन और अग्निहोत्र के साथ देवी के महागौरी रूप की पूजा होगी. पश्चिम बंगाल समेत देश के पूर्वोत्तर राज्यों में महा अष्टमी को विशेष पूजन किया जाता है. इसे दुर्गा अष्टमी महा अष्टमी सरस्वती पूजन के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन शस्त्रों की भी पूजा की जाती है महिषासुर मर्दिनी के रूप में देवी ने महिषासुर नामक राक्षस का सर्वनाश और विध्वंस किया था और अपने भक्तों की रक्षा की थी इसी तरह राम और रावण की युद्ध के समय अष्टमी के दिन रामचंद्र जी द्वारा पूजन किए जाने पर रावण के वध का मार्ग प्रशस्त्र हुआ था. इस वर्ष महानवमी या सरस्वती बलिदान का पर्व 4 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा. महा नवमी के दिन माता दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा भक्तगण करते (Nine Forms of Durga Mata) हैं.



नवरात्रि के पावन पर्व कई शुभ संयोग पड़ रहे हैं : इस वर्ष नवरात्रि 9 दिनों की मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में शुभ गजकेसरी योग शश योग शुक्र के द्वारा नीच भंग राज्यों का निर्माण हो रहा है. प्रथम दिवस हस्त नक्षत्र शुक्ल योग बवकरण योग वज्र योग का सुंदर प्रभाव देखने को मिल रहा है. आज के दिन आज के दिन को अग्रसेन जयंती के रूप में भी मनाते हैं. इस नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग हस्त नक्षत्र चित्र स्वाति विशाखा अनुराधा जैसे मूल उत्तरा पूर्वाषाढ़ा सभी नक्षत्रों का सुंदर संयोग देखने को मिल रहा है. यह संपूर्ण नवरात्रि अश्विन शुक्ल पक्ष शारदीय नवरात्र के रूप में जानी जाती है. घट स्थापन से प्रारंभ होकर महानवमी तक जोत जलाने की परंपरा है.




नवरात्र की नौ दिनों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए : 26 सितंबर को सुबह अभिजीत मुहूर्त की बेला में घर में देवी की चौकी की स्थापना की जा सकती है. जो भक्तगण घरों में दीपक जलाते हैं. उनको यह ध्यान रखना होगा कि दीपक अखंड रूप से जलता रहे देवी की चौकी को नियमित साफ-सफाई पूजन और जल के माध्यम से शुद्ध स्नान कराना बहुत ही आवश्यक है. जगह-जगह नवरात्रि के समय में दुर्गा की स्थापना की जाती है. उनके लिए भी यह आवश्यक है कि निर्धारित समय में सुबह और शाम देवी की पूजा आराधना अनुष्ठान आरती और प्रसाद वितरण का काम पूर्ण अनुशासन से करें .जिससे कि देवी की कृपा सभी भक्तजनों पर बराबर बनी रहे इन 9 दिनों में व्रत अनुष्ठान दान धार्मिक यात्रा शुभ कार्य प्रारंभ करना सभी सिद्ध होते हैं.

Last Updated : Sep 25, 2022, 12:40 PM IST
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