रायपुर: छत्तीसगढ़ में आंदोलन कर रहे मनरेगा कर्मचारियों के खिलाफ शासन ने बड़ी कार्रवाई की है. सरकार ने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को नौकरी से बाहर कर दिया है. उनकी जगह नियमित अधिकारी की नियुक्ति कर दी है. सरकार की तरफ से की गई इस कार्रवाई का मनरेगा कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. शनिवार को नाराज मनरेगा कर्मचारियों ने रायपुर में आक्रोशित रैली निकाली. जिसमें हजारों मनरेगाकर्मी शामिल हुए. मनरेगाकर्मी पिछले 62 दिनों से नियमितिकरण की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. (Ravindra Choubey statement on firing of MGNREGA officers )
मनरेगाकर्मियों की हड़ताल से हुआ काफी नुकसान: छत्तीसगढ़ शासन की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर मंत्री रविंद्र चौबे ने मीडिया में बयान देते हुए कहा कि "अभी भी आप के माध्यम से मनरेगा के काम करने वाले अपने साथियों से अपील करूंगा कि जिद छोड़ कर काम पर लौटना चाहिए. उनका स्ट्राइक 2 महीना लगातार हो गया. यही 2 महीना था. जिसमें छत्तीसगढ़ में मनरेगा से काम होना था. छत्तीसगढ़ में मानव दिवस 26 लाख तक के हम लोगों ने काम में पहुंचाया था. लेकिन इनके स्ट्राइक के कारण गरीबों को, मजदूरों को और छत्तीसगढ़ को कितना नुकसान हुआ है, इसका आंकलन नहीं कर सकते. उसके बाद भी मुख्यमंत्री ने उनसे चर्चा किया और एक हाई लेवल की कमेटी बनाया है. जो उन की मांगों पर विचार करके उनकी समस्याओं का निदान करेगी. लेकिन वे अपने आंदोलन पर अडिग हैं तो सरकार को जो कार्रवाई करनी चाहिए उसकी शुरुआत हुई है".
रायपुर में मनरेगाकर्मियों की आक्रोशित रैली: राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर मनरेगा कर्मचारी अपनी 2 सूत्री मांग को लेकर 65 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इनकी 2 सूत्रीय मांगों में पहला चुनावी घोषणा पत्र को आत्मसात करते हुए सभी मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण करना और दूसरा नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते हुए मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू किया जाना है. (MGNREGA workers rally in Raipur )
दंतेवाड़ा में मनरेगा कर्मचारियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा
दंतेवाड़ा में मनरेगाकर्मियों ने दिया था सामूहिक इस्तीफा: बीते दिनों दंतेवाड़ा जिले के 178 मनरेगा अधिकारी-कर्मचारियों ने 2 जून को सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. मनरेगा कर्मियों ने आरोप लगाया था कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणा पत्र में हमें नियमित करने का वादा किया था. लेकिन साढ़े 3 साल बीतने के बावजूद भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई. दंतेवाड़ा में 4 अप्रैल से मनरेगा कर्मचारी नियमितिकरण की मांग को लेकर धरने पर थे.