धर्मांतरण पर "पुलिस अलर्ट" : पुलिस बरत रही खास निगरानी ताकि फिर न हो जाए कवर्धा जैसी घटना

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Published : Oct 14, 2021, 9:24 PM IST

Kawardha Violence

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर सियासत जारी है. मामले पर आये दिन पक्ष-विपक्ष सहित धार्मिक संगठन आमने-सामने होते हैं. पुलिस प्रशासन कवर्धा मामले से सीख लेते हुए अब कोई भी रिस्क लेना नहीं चाह रहा है, इसलिए राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी काफी सतर्कता बरती जा रही है. अब तक धर्मांतरण मुद्दे पर क्या हुआ. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

रायपुर: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले पर आये दिन पक्ष-विपक्ष सहित धार्मिक संगठन आमने-सामने होते हैं. विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व में भी लगातार घट रही आदिवासियों की संख्या का प्रमुख कारण भी राजनीतिक विशेषज्ञ समेत कई नामचीन राजनेता भी प्रदेश में धर्मांतरण को ही मान रहे हैं. वहीं प्रदेश में लगातार धर्मांतरण के उजागर हो रहे मामले को देखकर अब शासन-प्रशासन की ओर से भी सख्ती बरतनी शुरू कर दी गई है. पुलिस प्रशासन कवर्धा मामले से सीख लेते हुए अब कोई भी रिस्क लेना नहीं चाह रहा है, इसलिए राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी काफी सतर्कता बरती जा रही है.

कवर्धा में कैसे हैं हालात, जानिए

बस्तर की 6 सौ साल पुरानी परंपरा पर भी धर्मांतरण का दिख रहा असर

बस्तर में 75 दिनों तक मनाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व में पिछले कुछ सालों से लगातार आदिवासियों की संख्या घट रही है. बस्तर के राजकुमार और आदिवासी समाज के प्रमुख समेत विश्व हिंदू परिषद के बस्तर संयोजक लाल बहादुर सिंह राणा आदि ने पर्व में लगातार आदिवासियों की घटती संख्या की मुख्य वजह धर्मांतरण को बताया है. राणा का कहना है कि पूरे बस्तर संभाग में 40 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी व अन्य समाज जाति के लोग धर्मांतरण कर चुके हैं. यही वजह है कि अब वे हिंदुओं के इस पर्व में शामिल नहीं हो रहे हैं. जबकि राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हुए धर्मांतरण के कारण अब महज 15 प्रतिशत आबादी ही पर्व में शामिल होती है.

धर्मांतरण मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में होगा 2023 का चुनाव !

छत्तीसगढ़ में जिस तरह से धर्मांतरण को लेकर सियासत हो रही है, इससे संभावना जताई जा रही है कि 2023 का चुनाव भाजपा धर्मान्तरण के मुद्दे पर ही लड़ेगी. क्योंकि बीते दिनों भाजपा ने धर्मांतरण का मुद्दा और धर्म गुरु की पिटाई करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया था. वहीं 2003 में भी देखा गया कि जब जोगी और जुदेव दोनों चुनावी मैदान में थे, एक तरफ बीजेपी की ओर से चेहरा जुदेव हुआ करते थे तो दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से जोगी थे. जोगी को लगातार घेरने की कोशिश इसी बात को लेकर के होती थी कि वह ईसाई मिशनरी को बढ़ावा दे रहे हैं.

अब तक धर्मांतरण मुद्दे पर हुए कुछ प्रमुख घटनाक्रम पर नजर

  • राजधानी रायपुर में धर्मांतरण के आरोप में बीते सितंबर महीने में पुरानी बस्ती थाने के अंदर एक पास्टर की पिटाई कर दी गई थी. इस मामले में रातों-रात थाना प्रभारी को लाइन भेज दिया गया था. इतना ही नहीं एसएसपी अजय यादव को भी हटा दिया गया था.
  • विधानसभा थाना क्षेत्र स्थित एक घर में प्रार्थना सभा हो रही थी. इस दौरान बीजेपी महिला पार्षद ने जमकर हंगामा किया था.
  • वहीं भिलाई में भी इस मुद्दे को लेकर एक पादरी का कॉलर पकड़ने के मामले ने काफी तूल पकड़ा था.
  • हाल ही में कवर्धा में हुई घटना ने भी धर्मांतरण मुद्दे को काफी बल दिया था. इसमें पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया गया कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई कर एक पक्ष को लाभ पहुंचाया था. इस मामले ने छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन समेत पूरे राजनीतिक महकमे का चैन छीन लिया और इसपर खूब राजनीति हो रही है.
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