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SPECIAL: जंगल में लगने वाली आग से कम हो रही वाइल्ड एनिमल की संख्या

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Published : Apr 9, 2021, 1:36 PM IST

छत्तीसगढ़ में लगातार जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इससे वन के साथ-साथ वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंच रहा है. इस विषय पर वन्यजीव एक्सपर्ट नितिन सिंघवी से ETV भारत ने खास चर्चा की.

Nitin Singhvi
नितिन सिंघवी

रायपुर : पिछले कुछ दिनों से जंगलों में लगातार आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. आलम यह है कि अगर अप्रैल की बात करें, तो शुरू के 3 दिनों में ही 3000 से ज्यादा आग लगने की घटना जंगलों में देखने को मिली हैं. इन आग लगने की घटनाओं से जहां एक ओर जंगल तबाह हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर उन जंगलों में रहने वाले जंगली जानवरों की जान पर बन आई है. जानवर जान बचाने के लिए रहवासी क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन यहां कई बार इंसान डर के कारण इन जानवरों को मौत के घाट उतार देता है या फिर ये जानवर अपनी जान बचाने के लिए इंसानों को अपना शिकार बना लेते हैं. तेजी से घट रहे जंगल और आग की घटनाओं की वजह से आज कई जंगली जानवर विलुप्त होने की कगार पर हैं. जंगल में लगने वाली आग से जंगली जानवरों पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है, इन सारे सवालों के जवाब के लिए ETV भारत ने वन और वन्य प्राणी विशेषज्ञ नितिन सिंघवी से..

वन्यजीव एक्सपर्ट नितिन सिंघवी से खास बातचीत

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सवाल : जंगलों में आग की वजह से जंगली जानवरों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है ?

जवाब : पिछले 100 सालों में इंसानों ने जानवरों के रहने के स्थान को काफी कम कर दिया है. जंगली जानवरों में अंब्रेला स्पीशीज, टाइगर, एलीफैंट, तेंदुआ और भालू प्रमुख हैं, जिनका रहने का स्थान कम हो गया है. इस बीच यदि जंगल में आग लगती है, तो यह जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते हैं. उनके रहने का स्थान पहले ही कम हो चुका है, ऐसे में आग लगने के बाद ये जंगली जानवर जंगल के आसपास के गांवों की ओर रुख करते हैं.

सवाल: आग से जानवरों को किस तरह से बचाया जाए, इसे लेकर शासन-प्रशासन ने क्या योजना बनाई है ?

जवाब : जंगल में लगने वाली आग से जंगली जानवरों को बचाने के लिए अब तक वन विभाग की ओर से कोई योजना नहीं बनाई गई है. आलम यह है कि पिछले 3 दिनों में ही लगभग 3000 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं जंगल में देखने को मिली हैं. जंगल की आग को रोकने के लिए काफी संख्या में वन विभाग को बल नियुक्त करना होगा. इसे लेकर अब तक वन विभाग की ओर से कोई भी ठोस रणनीति नहीं बनाई गई है. हालांकि अब सुनने में आ रहा है कि वन विभाग की ओर से कुछ फायर फाइटर एक्यूपमेंट खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई है.

सवाल : जंगली जानवरों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो पा रहा है, इसकी मुख्य वजह क्या हो सकती है ?

जवाब : इसकी मुख्य वजह है जंगलों में सरकार के द्वारा अपात्र लोगों को पट्टा बांटा जाना, जिनकी संख्या लाखों में है. वे जंगल में जाकर रह रहे हैं, इससे जंगल की समस्या और बढ़ रही है, जिसका हल नहीं निकाला जा रहा है.

सवाल : जंगली जानवरों के संरक्षण को लेकर सरकार का उदासीन रवैया रहा है, इसमें कितनी सच्चाई है?

जवाब : छत्तीसगढ़ में भालू, लेपर्ड काफी संख्या में हैं, लेकिन शिकारियों द्वारा इनका लगातार शिकार किया जा रहा है. इसकी पुष्टि समय-समय पर इन जानवरों के मिलने वाली खालों से हो रही है. पानी के लिए भालू बुरी तरह भटकते रहते हैं. ऐसे में सरकार को हिरण सहित अन्य जंगली जानवरों की भी सुरक्षा देने का प्रयास करना चाहिए.

सवाल : पक्षियों की संख्या में भी काफी कमी आई है. इन पक्षियों को संरक्षित करने के लिए क्या सरकार की ओर से कोई योजना बनाई गई है ?

जवाब : जंगल में लगी आग से वहां रहने वाले पक्षी भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं. इसके बाद वे शहरों की ओर रुख करते हैं, लेकिन वहां फैला वायु प्रदूषण भी इन पंछियों की जान का दुश्मन बन जाता है. जिस वजह से यह पक्षी अब शहरों से भी दूर होते जा रहे हैं.

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सवाल : इंसान और जानवरों के बीच द्वंद्व युद्ध जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं, इससे दोनों का ही बराबर नुकसान होता है?

जवाब: यह बात बिल्कुल सच है कि जंगल में आग लगने के बाद ये जंगली जानवर जैसे हाथी, भालू, हिरण गांव की ओर रुख करते हैं और इन जानवरों को देखने लोगों का हुजूम इकट्ठा हो जाता है. खासकर हिरण जब रहवासी क्षेत्रों की ओर रुख करते हैं, तो उनका शिकारियों द्वारा शिकार कर लिया जाता है. गर्मियों में हिरण का व्यापक स्तर पर शिकार किया जाता है.

सवाल: जंगल में लग रही आग और उस वजह से रहवासी क्षेत्रों की ओर जंगली जानवरों को जाने से कैसे रोका जा सके, इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं ?

जवाब : मुख्य रूप से जंगल में लगने वाली आग को रोकने के लिए वन विभाग को व्यापक स्तर पर बल नियुक्त करना चाहिए. यह बल आधुनिक संसाधनों से लैस होना चाहिए. वन विभाग को और अधिक जागरूक रहते हुए काम करना होगा. आग की वजह से जो जंगली जानवर गांव की ओर आ रहे हैं, उन्हें वापस भेजने की व्यवस्था वन विभाग को करनी होगी. इस तरह बहुत सारे उपाय वन विभाग को करने होंगे, तभी इन जानवरों को बचाया जा सकता है.

सवाल : जंगल और उसके आसपास रहने वाले लोगों को जानवारों के साथ रहने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है ?

जवाब : इस तरह का प्रशिक्षण दिए जाने की बात वन विभाग के द्वारा पहले भी कई बार कही गई है, लेकिन इसका प्रशिक्षण सफलतापूर्वक नहीं दिया गया है, सिर्फ मौखिक प्रशिक्षण ही दिया गया है.

सवाल : क्या राज्य सरकार जंगली जानवरों के संरक्षण को लेकर उदासीन है?

जवाब : वन विभाग जंगली जानवरों के संरक्षण को लेकर जरूर उदासीन है. उनकी सोच वन्य प्राणियों की रक्षा और जंगलों की रक्षा करने की नहीं है. अब इनकी सोच सिर्फ मानव की रक्षा करना है. इस वजह से वन्य जीव और वन प्रभावित हो रहे हैं.

सवाल : यदि यही स्थिति रही, तो क्या आने वाले समय में कई जंगली जानवर विलुप्त हो जाएंगे ?

जवाब: नितिन सिंघवी ने बताया कि यदि यही हाल रहा, तो जल्द ही बहुत से जंगली जानवर विलुप्त हो जाएंगे. पेंगुइन जैसा जरूरी जानवर खतरे में है. उसका बड़े पैमाने पर शिकार किया जा रहा है. जिस हिसाब से बाघों की खाल मिल रही है, उससे उनके शिकार का भी बखूबी आकलन किया जा सकता है. तेंदुए की खाल मिल रही है, हाथियों की मौत हो रही है, ऐसे में आने वाले समय में ये जानवर विलुप्त हो ही जाएंगे. टाइगर तो मानों छत्तीसगढ़ से पहले ही विलुप्त हो चुके हैं.

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