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Maharana Pratap Jayanti 2022: मुगल साम्राज्य के लिए दीवार बने थे वीर महाराणा प्रताप, अकबर भी हो गया था वीरता का कायल

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Published : May 9, 2022, 2:17 PM IST

वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई को मनाई जा (maharana pratap jayanti ) रही है. महाराणा प्रताप की वीरता के किस्से पूरे भारत में मशहूर हैं. उनकी वीरतो को देखकर खुद अकबर भी कायल हुआ था.

maharana pratap jayanti
मुगल साम्राज्य के लिए दीवार बनें थे वीर महाराणा प्रताप

रायपुर : वीर महाराणा प्रताप ( veer Maharana Pratap) का जन्म 9 मई 1540 को एक राजपूत परिवार में हुआ था . उनके पिता उदय सिंह उदयपुर के संस्थापक थे. भारत में मुगल साम्राज्य को फैलने से रोकने के लिए किए गए प्रयासों के लिए महाराणा प्रताप को जाना जाता है. हल्दीघाटी का युद्ध मुगलों के खिलाफ एक अग्रणी युद्ध साबित हुआ. जिसमें महाराणा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें शक्तिशाली मुगल शासक अकबर को तीन बार हराने का गौरव प्राप्त है.

महाराणा प्रताप की थीं 20 मां : महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था, उनके 24 भाई और 20 बहनें थी. वे एक तरह से 20 मांओं के प्रतापी पुत्र थे. महाराणा प्रताप का कद 7 फुट 5 इंच का था. प्रताप के भाले का वजन 80 किलो, उनकी दो तलवारें जिनका वजन 208 किलोग्राम और कवच लगभग 72 किलोग्राम का था. कहा जाता है कि उनकी तलवार के एक ही वार से घोड़े के दो टुकड़े हो जाया करते थे. वे करीब 3 क्विंटल बोझ के साथ युद्ध में जाया करते थे और युद्ध के मैदान में अच्छे अच्छों के छक्के छुड़ा देते थे.

प्रताप को करनी पड़ी थी 11 शादियां : राजनैतिक कारणों के वजह से महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थीं. महाराणा प्रताप के 17 बेटे और 5 बेटियां थीं. महारानी अजाब्दे से पैदा हुए अमर सिंह उनके उत्तराधिकारी बने. प्रताप के बाद उन्होंने ने ही राजगद्दी को संभाला.लेकिन इस कारण से महाराणा प्रताप के ही वंश में विरोध पैदा हो गया. आगे चलकर महाराणा प्रताप के वंशजों ने अकबर से संधि कर ली (akbar and maharana pratap) थी.

18 जून 1576 को हुआ था हल्दी घाटी : 18 जून, 1576 ई. को हुए हल्दीघाटी युद्ध (battle of haldighati) में करीब 20,000 राजपूतों को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80,000 से अधिक की सेना का सामना किया. यह युद्ध तो केवल एक दिन चला. लेकिन इसमें 17,000 लोग मारे गए थे. इसके बावजूद यह युद्ध अनिर्णायक रहा था. अकबर ने अंत तक मेवाड़ पर विजय पाने की पूरी कोशिश की, लेकिन महाराणा प्रताप के जिद के आगे अकबर का सपना कभी पूरा नहीं हो पाया. महाराणा प्रताप ने दोबारा मुगलों से कब्जा किए गए क्षेत्रों को वापस ले लिया. कई लोग महाराणा प्रताप का पहला स्वतंत्रता सेनानी मानते है. जब सभी राजपूत नेताओं ने मुगलों से डर कर हार मान लिया . तब महाराणा प्रताप अकेले ही मुगलों के खिलाफ खड़े रहे. उनका शारीरिक ढांचा बेहद अलग था.

80 किलो भाले का सच : ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप अपने साथ तीन सौ किलो का वजनी अस्त्र-शस्त्र लेकर चलते थे. लेकिन उदयपुर के म्यूजियम में महाराणा प्रताप से जुड़ी कई चीजें रखीं हुई हैं. जिसमे उनका भाला और कवच भी है. इस भाले का वजन असल में 80 किलो से काफी कम है. वहीं कवच भी सिर से लेकर पैर तक सिर्फ 35 किलो का ही है. इसलिए ऐसा माना जाता है तीन सौ किलो वजनी अस्त्र शस्त्र की बातें सिर्फ लोगों ने फैलाई हैं.

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