इस राज्य में हर दिन 20 से ज्यादा लोग कर रहे आत्महत्या !

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Published : Jul 31, 2021, 11:33 AM IST

Updated : Jul 31, 2021, 12:20 PM IST

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छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के आंकड़े ()

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने विधानसभा के मानसून सत्र में छत्तीसगढ़ में खुदकुशी के आंकड़े पेश किए. जिसमें ये बात सामने आई कि प्रदेश में हर महीने 600 लोग खुदकुशी कर रहे हैं. ये आंकड़े सामने आने के बाद सरकार जहां चिंता में आ गई है तो वहीं लोगों के बीच भी ये चर्चा का विषय बन गया है. मनोचिकित्सकों, वरिष्ठ पत्रकारों से ETV भारत ने इस पर चर्चा की. जिसके बाद यही बात सामने आई कि इन आत्महत्याओं का सीधा संपर्क कहीं ना कहीं कोरोना से हैं.

रायपुर: प्रदेश में इन दिनों आत्महत्या के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर 2018 से 30 जून 2021 तक 31 महीने में कुल 19 हजार 84 लोगों ने आत्महत्या की है. इस दौरान सामूहिक हत्या के 94 केस दर्ज किए गए हैं. इन आंकड़ों पर नजर डाले तो हर रोज लगभग 20 लोग आत्महत्या कर रहे हैं. यानी महीने में लगभग 600 से ज्यादा लोग खुदकुशी कर रहे हैं. इसमें सामूहिक आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं. विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान चौथे दिन भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के एक सवाल के लिखित जवाब में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने यह जानकारी दी.

छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के आंकड़े चौंकाने वाले

आत्महत्या के बढ़ते मामले कहीं ना कहीं सरकार के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. आखिर इन आत्महत्याओं की मुख्य वजह क्या है, इसके पीछे क्या कारण है, इन आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने के लिए क्या पहल की जा सकती है. इन तमाम विषयों पर ETV भारत ने पड़ताल की और मनोचिकित्सकों, वरिष्ठ पत्रकारों और राजनीतिक दलों से से चर्चा कर इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश की.

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छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के आंकड़े

खुदकुशी के पीछे कई कारण

सबसे पहले बात करते हैं मनोचिकित्सक की. खुदकुशी (suicide ) की बढ़ती घटनाओं को लेकर मनोचिकित्सक डॉ सुरभि दुबे (Psychiatrist Dr Surbhi Dubey) का कहना है कि वर्तमान में कोरोना (corona) काल के दौरान कई तरह की विपरीत परिस्थितियां निर्मित हो गई हैं. कुछ कोरोना पीड़ित मानसिक तनाव में चल रहे हैं. इस वजह से भी वे आत्महत्या कर रहे हैं. कुछ लोगों की कोरोना के चलते नौकरी छूट गई है. कई लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. कोरोना काल के दौरान लोगों के ऊपर नौकरी का काफी दबाव है. निजी या सरकारी संस्थानों सभी जगह काम का बोझ बढ़ा हुआ है. इस कारण भी आत्महत्या कर रहे हैं.

कुछ पति-पत्नी लॉकडाउन के दौरान लंबे समय तक एक साथ समय गुजारे. जिससे उनमें कई बार आपसी विवाद और तनाव ज्यादा बढ़ गया. जिससे भी लोगों ने खुदकुशी की.

इसके अलावा नशा भी आत्महत्या का मुख्य कारण है. नशे की हालत में भी कई लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं.

सरकारी संस्थाओं में, पुलिस कर्मी स्वास्थ्य कर्मियों पर लगातार काम का दबाव बना हुआ है. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों में पुलिसकर्मियों के आत्महत्या की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है.

मनोचिकित्सक पीजी के लिए सरकार को करनी होगी पहल

डॉ सुरभि ने बताया कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कुछ नंबर जारी किए गए हैं. जिस पर संपर्क किया जा सकता है. साथ ही मनोचिकित्सक अस्पतालों में मौजूद हैं. उनसे भी मदद ली जा सकती है. हालांकि सुरभि दुबे का यह भी कहना था कि इतने सालों बाद भी छत्तीसगढ़ में मनोचिकित्सक पीजी की व्यवस्था नहीं की गई है. अगर सरकार इस ओर ध्यान देती है तो आने वाले समय में प्रदेश में ज्यादा संख्या में मनोचिकित्सक मिल सकेंगे. जिसका लाभ स्वभाविक तौर पर प्रदेश की जनता को मिलेगा और इस तरह की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.

खुदकुशी के पीछे कोरोना बनी बड़ी वजह

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी भी मानते हैं कि इन आत्महत्या के पीछे कोई एक वजह नहीं है. कई कारण है जिस वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल के दौरान लोग काफी तनाव में है. कुछ को नौकरी का तनाव है, तो कुछ आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, कुछ के सामने अन्य कई तरह की परेशानी है. कुछ नशे के कारण भी आत्महत्या कर रहे हैं.

सरकार ने विधानसभा में जारी किया छत्तीसगढ़ का क्राइम ग्राफ, हर महीने 600 से ज्यादा खुदकुशी

केसरवानी ने कहा कि इन घटनाओं को रोकने के लिए कहीं न कहीं सरकार को बड़े कदम उठाने पड़ेंगे. कई नई व्यवस्था करनी पड़ेगी. जिससे कभी भी कोई तनाव में हो तो वह उन जगहों पर संपर्क कर कुछ मदद ले सके. साथ ही जन जागरूकता अभियान भी चलाना होगा. ताकि लोगों को बताया जा सके कि आज की विपरीत परिस्थिति में समस्याओं से कैसे निजात पाया जा सके. उन्हें बताया जा सके कि ऐसी परिस्थिति हमेशा नहीं रहने वाली है. आगे और बेहतर होगा. ऐसी तमाम जनजागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.


इन आत्महत्याओं के पीछे राज्य सरकार जिम्मेदार : गौरीशंकर श्रीवास

वहीं विपक्ष की बात की जाए तो विपक्ष प्रदेश में लगातार बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार की तरफ से समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. रोजगार के अवसर खत्म हो गए हैं. लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. लोगों की समस्या बढ़ी है. योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. इस वजह से प्रदेश में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी है. इसके अलावा शराब ओर अन्य नशे का कारोबार भी आत्महत्या की मुख्य वजह बताई जा रही है. जिसे रोकने में राज्य सरकार अब तक नाकाम रही है.


'आत्महत्या है चिंता का विषय है. इससे निपटने सरकार उठा रही कई कदम'

सत्ता पक्ष का भी मानना है कि जिस तरह से प्रदेश में लोग आत्महत्या कर रहे हैं. यह चिंता का विषय है. इसे रोकने बड़े स्तर पर पहल करने की जरूरत है. यह काम सरकार की तरफ से किया जा रहा है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि सरकार लगातार योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचा रही है. किसानों सहित अन्य सभी वर्गों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. इसके अलावा भी कई तरह की व्यवस्था लोगों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिए शुरू की गई है.

इन सारी बातों को सुनने के बाद यही निष्कर्ष निकल रहा है कि वर्तमान की परिस्थिति में लोग काफी तनाव में है. किसी को नौकरी का तनाव है तो किसी का आर्थिक तंगी का तनाव तो कोई पारिवारिक विवादों की वजह से परेशान होकर खुदकुशी कर रहा है. कई लोग नशे के कारण आत्महत्या कर रहे है. जिसे रोकने के लिए न सिर्फ सरकार को कदम उठाने की जरूरत है. बल्कि लोगों को खुद जागरूक होना होगा. समाज की भूमिका भी इसमें महत्वपूर्ण हो सकती है. जो ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनकी मदद करें या फिर उनकी काउंसलिंग कर सके. प्रदेश में मनोचिकित्सक की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार को भी पहल करनी होगी. वर्तमान में मनोचिकित्सक की संख्या नाम मात्र की है. अब देखने वाली बात है कि आने वाले समय में प्रदेश में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को रोकने सरकार कितनी कामयाब होती है या फिर यह निरंतर जारी रहता है.

Last Updated :Jul 31, 2021, 12:20 PM IST
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