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Naga Panchami 2022 : पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है दुनिया का सबसे जहरीला सांप किंग कोबरा

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Published : Aug 2, 2022, 1:13 PM IST

Updated : Aug 2, 2022, 6:07 PM IST

Naga Panchami 2022
नागपंचमी पर जानिए कोरबा में मिलने वाले किंग कोबरा के बारे में

Naga Panchami 2022: पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) में सांप कितना जरूरी है ये हम सभी ने स्कूल के दौरान पढ़ा है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पर्यावरण के लिए किंग कोबरा की मौजूदगी काफी खास है. ये ना सिर्फ छोटे जीवों को शिकार करते हैं बल्कि दूसरे सांपों को भी अपना निवाला बनाकर पर्यावरण संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. नाग पंचमी पर जानिए किंग कोबरा के अनसुने रहस्य...(snake worship on nagpanchami )

कोरबा: दुनिया का सबसे लंबा और जहरीला सांप किंग कोबरा छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मौजूद हैं. पिछले कुछ समय से बड़ी संख्या में खास तौर पर जिले के लेमरू क्षेत्र में किंग कोबरा को देखा और रेस्क्यू भी किया गया. वन विभाग इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष योजना भी तैयार कर रहा है. इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. नागपंचमी पर आपको बताते हैं किंग कोबरा लोगों के लिए जितना खतरनाक है उतना ही ये पर्यावरण के लिए जरूरी भी है. साथ ही ये भी कि कोबरा और किंग कोबरा में क्या अंतर हैं. (NagPanchami 2022 )

पर्यावरण के लिए किंग कोबरा का महत्व

इसलिए जरूरी है किंग कोबरा का संवर्धन : हमारी खाद्य श्रृंखला में जिस तरह से शेर को एक बेहद महत्वपूर्ण और शीर्ष शिकारी माना जाता है. उसी तरह से किंग कोबरा को भी शीर्ष शिकारी(apex predator) माना जाता है. किंग कोबरा एक ऐसा सांप है, जिससे अन्य सांपों की प्रजातियां भी नियंत्रित होती हैं. जिसके कारण हमारी खाद्य श्रृंखला में किंग कोबरा की मजबूत उपस्थिति बेहद जरूरी हो जाती है. इस लिहाज से भी किंग कोबरा का संरक्षण व संवर्धन महत्वपूर्ण हो जाता है. कोबरा कई प्रजाति के होते हैं लेकिन किंग कोबरा अपनी ही प्रजाति के सांपों को भी खा जाता है या खेतों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगों के साथ अन्य सांपों को खाकर उनकी जनसंख्या को भी नियंत्रित करता है. किंग कोबरा एक ऐसा सांप है जो सांपों के लगभग हर प्रजाति को नियंत्रित करता है और पर्यावरण का संतुलन बनाने में सहायता करता है.

जहरीला होने के बाद भी किंग कोबरा कोल्ड ब्लडेड होते हैं. जब इन्हें खतरा महसूस होता है, तभी वह दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं. किंग कोबरा का एक मिलीग्राम जहर भी किसी व्यक्ति की जान लेने के लिए काफी है. किसी को काटते वक्त यदि किंग कोबरा ने अपना जहर शिकार के शरीर में पहुंचा दिया तो मौत निश्चित है.

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लेमरू में देखे गए हैं किंग कोबरा: कोरबा के लेमरू इलाके में कुछ ऐसे इलाके हैं. जहां नियमित अंतरालों पर किंग कोबरा को देखा गया है. इन क्षेत्रों में अलग-अलग समय में कई बार किंग कोबरा को देखा और रेस्क्यू किया गया है. एक किंग कोबरा तो लगभग 15 फीट लंबा था. ग्रामीणों ने जब इसे देखा तब उनके हाथ पांव फूल गए, वन विभाग के सदस्य और रेस्क्यू टीम के जितेंद्र सारथी ने इस किंग कोबरा का रेस्क्यू किया था. जिसे बाद में जंगल में छोड़ दिया गया.

बेहद खूबसूरत और नायाब सांप है किंग कोबरा: स्नेक रेस्क्यू टीम के जितेंद्र सारथी कहते हैं "पिछले चार-पांच सालों से सांपों का रेस्क्यू करने का काम कर रहे हैं. लेकिन पिछले 2 से 3 साल के दौरान लेमरू वाले बेल्ट में किंग कोबरा की उपस्थिति से हम सभी बेहद उत्साहित हैं. यह कोरबा के जैव विविधता को समृद्ध बनाते हैं. कोरबा जिले की जैव विविधता अब जानकारों के बीच एक चर्चा का विषय है. किंग कोबरा के रहवास के सर्वे वाली टीम में मैं भी शामिल था. इस दौरान भी हमने कई किंग कोबरा को देखा और उन इलाकों को चिन्हित भी किया है. बस उम्मीद यही है कि अब जल्द से जल्द इनका रहवास विकसित हो. जिससे कि वे सुरक्षित तरीके से अपने घर में रह सकें. किंग कोबरा एक ऐसा सांप है जिससे अन्य सांपों की प्रजातियां भी नियंत्रित होती है. इसलिए पर्यावरण में किंग कोबरा की उपस्थिति और भी जरूरी हो जाती है. यह सबसे जहरीले तो होते ही हैं इसके साथ ही बेहद खूबसूरत और नायाब सांप हैं. "

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कोरबा में किंग कोबरा मिलना गर्व का विषय : कोरबा वन मंडल की डीएफओ प्रियंका पांडे इस विषय में कहती हैं कि "जिस तरह से टाइगर को संरक्षित किया जाता है. ठीक उसी प्रकार किंग कोबरा के भी संरक्षण की जरूरत है. यह बेहद गर्व का विषय है कि इसकी उपस्थिति कोरबा में है. कोरबा के लोगों को भी किंग कोबरा के संरक्षण की दिशा में अपना योगदान देना चाहिए. फिलहाल हमने किंग कोबरा के रहवाल वाले क्षेत्रों का सर्वे पूरा किया है विस्तृत कार्य योजना भी लगभग तैयार कर ली गई है. जल्द ही इस दिशा में आगे काम पूरा किया जाएगा. जिससे किंग कोबरा के संरक्षण का काम बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके. उनके आवास वाले इलाकों को संरक्षित किया जाएगा.

कोरबा का पारिस्थितिक तंत्र समृद्ध : शासकीय स्नातकोत्तर पीजी कॉलेज में जीव विज्ञान के प्रोफेसर बलराम कुर्रे (Biology Professor Balram Kurre) का कहना है "किंग कोबरा एक नायाब सांप है. किसकी उपस्थिति कोरबा में पाया जाना यहां के समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र को दर्शाता है. किंग कोबरा अपनी प्रजाति के सांपों को खा जाता है. इसलिए इसे किंग कोबरा कहा जाता है. कोबरा तो कई है लेकिन किंग कोबरा की बात अलग है. यह अधिकतम 19 से 20 फीट तक भी हो सकता है. यह विश्व का सबसे लंबा जहरीला सांप है. इससे अन्य सांपों की प्रजातियां भी नियंत्रित होती है. इसलिए यह हमारी खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण घटक है. किंग कोबरा पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है जिसकी उपस्थिति पर्यावरण में होनी चाहिए."

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किंग कोबरा घोंसला बनाकर करता हैं अंडों की रक्षा: छत्तीसगढ़ सरकार के लिए किंग कोबरा के रहवास के लिए सर्वे को अंजाम देने वाली नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी (Nova Nature Welfare Society) के एम सूरज राव कहते हैं "किंग कोबरा की उपस्थिति कोरबा में होगी इस बात का अंदाजा नहीं था. किंग कोबरा दुनिया के सभी विषैले सांपों की प्रजाति में सबसे अधिक विषैले होते हैं. यह 20 फीट तक लंबे हो सकते हैं. किंग कोबरा एकमात्र ऐसा सांप है जो घोंसला बनाकर अपने अंडों की रक्षा करते हैं. इस तरह का जीव छत्तीसगढ़ के कोरबा में मिला है जो कि हमारे लिए बेहद गर्व करने का विषय है. हमें हर हाल में इसका संवर्धन करना चाहिए. (unheard secrets of king cobra)

महादेव से भी जुड़ी हैं मान्यताएं : किंग कोबरा को लेकर जानकारों के अलग अलग अभिमत हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किंग कोबरा की उपस्थिति पर्यावरण में जितनी जरूरी है. इसकी कुछ पौराणिक कथाएं हिन्दू धर्म में भी उतनी ही समृद्ध है. किंग कोबरा से पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं. हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किंग कोबरा को नागराज कहा जाता है. यह वही सांप है जो भगवान शंकर के गले में लिपटा हुआ है. भगवान शंकर को महादेव या महाकाल भी कहा जाता है. जो जीव जंतुओं को अपने पास रखते हैं. किंग कोबरा से जुड़ी सबसे बड़ी मान्यता यह है कि यह सदैव महादेव के करीब रहता है और उनके गले में लिपट हुआ रहता है. (snake worship on nagpanchami)

Last Updated :Aug 2, 2022, 6:07 PM IST
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