अब बस्तर की क्षेत्रीय भाषाओं में भी होगा डिप्लोमा

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Published : Jun 24, 2022, 7:17 PM IST

diploma in regional dialects of Bastar

बस्तर की परंपरा और संस्कृति विश्व प्रसिद्ध (World famous tradition and culture of Bastar) है. बस्तर की संस्कृति को सहेजने के लिए सीएम भूपेश बघेल ने बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट एण्ड लिटरेचर का निर्माण कराया. जिसमें बस्तर से जुड़ी कला और संस्कृति से जुड़े कोर्स कराए जाएंगे.

रायपुर। बस्तर प्रकृति और आदिवासी संस्कृति से समृद्ध क्षेत्र है. यहां की संस्कृति, रीति-रिवाजों और लोक परम्परा की चर्चा देश दुनिया तक होती है. समय के साथ लोग अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों को भूलते जा रहे हैं, विलुप्त हो रही इसी संस्कृति और कलाओं को सहेजने और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के निर्देश पर बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट एण्ड लिटरेचर (बादल) (Bastar Academy of Dance Art and Literature) का निर्माण किया गया।

क्या है बादल का उद्देश्य : बादल का मुख्य उद्देश्य बस्तर की समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत से लोगों को परिचित कराना है जिसके तहत देश में कला संस्कृति से जुड़े विद्वानों, कला विशेषज्ञों को शामिल कर स्थानीय लोगों से जोड़कर उनके नृत्य, गीत, लोक भाषा आदि को प्रशिक्षण के माध्यम से उत्कृष्ट रूप प्रदान करते हुए राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जा सके।

क्या थी सीएम बघेल की मंशा : मुख्यमंत्री की मंशा थी कि बादल के माध्यम से बस्तर की विलुप्त हो रही संस्कृति का सरंक्षण और संवर्धन हो. इसके लिए बस्तर के समाज के प्रमुखों के साथ मिलकर उनके परंपरा, रीति रिवाज, लोकगीत, लोकनृत्य, लोक भाषा का अभिलेखीकरण किया गया है, ताकि इन्हें आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके. बस्तर की कला को मंच देने के लिए बादल में समय-समय पर रुचिकर कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. लोक नृत्य कार्यक्रम में बस्तर के स्थानीय नर्तक दलों को बुलाया जाता है.

बादल में किसे मिलता है मौका : बादल में बस्तर के लोकगीतों, नृत्यों और लोक बोलियों का डिजीटलकरण भी किया जा रहा है. इसी प्रयास में बस्तर के सुदूर अंचलों में जाकर लोक गीतों और लोक नृत्यों की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी की जा रही (Local artists got stage in Badal) है. बादल में लोक भाषा कार्यशाला का कोर्स बनकर तैयार हो गया है, इस कोर्स में विशेषज्ञ हल्बी, गोंडी की बोलियां की कक्षाएं देंगे, यहां 40 विभागीय कर्मचारियों को हल्बी की ट्रेनिंग भी दी गई है ताकि वे गांवों में जाकर ग्रामीणों से जमीनी स्तर पर संवाद स्थापित कर सके। ग्रामीणों की बातें समझ पाए और उनकी समस्या का समाधान कर सके.

बादल में कौन-कौन से कोर्स : बादल में अलग अलग विषयों के डिप्लोमा कोर्सेस शुरू किए जा रहे हैं. भाषा संकाय के तहत बस्तर की स्थानीय बोलियां जैसे हल्बी, गोंडी, धुरवी और भतरी का स्पीकिंग कोर्स तैयार कर लोगों को इन बोलियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. हल्बी और गोंडी स्पीकिंग कोर्स प्रशिक्षण प्रारंभ भी हो चुका है. बादल में स्थानीय कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर तरह -तरह के आयोजन, वर्कशॉप भी किए जाते (diploma in regional dialects of Bastar) हैं.

शहीदों के नाम पर है विभाग : बस्तर एकेडमी ऑफ डांस आर्ट एण्ड लिटरेचर यानी बादल में फिलहाल तीन प्रभाग हैं, जिनमें लोकगीत एवं लोकनृत्य प्रभाग, लोकसाहित्य एवं भाषा प्रभाग और हस्तशिल्प कला प्रभाग जिसका नाम करण आदिवासी शहीदों के नाम पर रखा गया है. लोकगीत एवं लोकनृत्य प्रभाग में बस्तर के लोकगीतों, लोक नृत्य गीतों का संकलन, ध्वन्यांकन, फिल्मांकन आदि का कार्य जारी है, इनमें प्रदर्शन एवं नई पीढ़ी को प्रशिक्षित दिया जा रहा है, जिसमें गंवर सींग नाचा, डंडारी नाचा, धुरवा नाचा, परब नाचा, लेजागीत मारी रोसोना, जगार गीत आदि की ट्रेनिंग देने की तैयारी है. लोक साहित्य प्रभाग में बस्तर के सभी समाज के धार्मिक रीति-रिवाज, सामाजिक ताना-बाना, त्यौहार, कविता, मुहावरों, कहानियों आदि को संकलित एवं लिपिबद्ध कर जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है.

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