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छत्तीसगढ़ में मौजूद हैं राष्ट्रद्रोह की जड़ें, राम भक्तों की सरकार आने पर उनको उखाड़ फेकेंगे: स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती

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Published : Mar 19, 2023, 9:44 PM IST

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने सीएम भूपेश बघेल के बयान पर पलटवार किया है. रायपुर में आयोजित धर्मसभा और अखिल भारतीय संत समिति को लेकर साफ किया कि दोनों का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है. उन्होंने प्रदेश में नक्सलवाद और धर्मांतरण को लेकर चर्च पर भी गंभीर आरोप लगाए.swami jitendranand saraswati

Roots of treason exist in Chhattisgarh
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती

रायपुर: रायपुर के रावणभाठा मैदान में रविवार को आयोजित धर्मसभा में देशभर के कई संत शामिल हुए. हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा के समापन के अवसर पर 8 लोगों की घर वापसी भी कराई गई. धर्मसभा में हिंदू राष्ट्र और धर्मांतरण के मुद्दे पर संतों ने प्रदेश सरकार को घेरा. संतों ने सीएम भूपेश बघेल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ किया कि संतों का किसी पार्टी विशेष से कोई लेना देना नहीं है. धर्मसभा में तकरीबन 50 हजार लोगों के शामिल होने का दावा आयोजन समिति की ओर से किया गया है.

नक्सलवाद से प्रभावित सबसे ज्यादा जिले छत्तीसगढ़ के, इसलिए यहीं से यात्रा: धर्मसभा को लेकर सीएम बघेल के बयान पर काशी से आए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा "मैं मुख्यमंत्री से यह कहना चाहता हूं कि इस देश में होने वाली साजिशों की कुछ जड़ें छत्तीसगढ़ में भी हैं. चर्च को प्रायोजित आतंकवाद की दृष्टि से आप देखें तो नक्सलवाद से प्रभावित सर्वाधिक जिले छत्तीसगढ़ में हैं. इसलिए इस इस यात्रा की शुरुआत छत्तीसगढ़ से की गई."

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चर्च के पैसों से हो रहा सबसे ज्यादा धर्मांतरण: जितेंद्रानंद सरस्वती ने सार्वधिक धर्मांतरण चर्च के पैसों से होने का आरोप लगाया. कहा "इनके पीछे कोई तो राजनीतिक कारण है. प्रधानमंत्री की हत्या की साजिशों के भी अर्बन नक्सल की जड़ें कहीं ना कहीं छत्तीसगढ़ से जुड़ती हैं. गिरफ्तारियां होती हैं और उन्हें जमानत देने की बात भी कही जाती है."


हम 1975 के भीमराव अंबेडकर के सविधान को मानते हैं: जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा "संविधान हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद वह हिंदू राष्ट्र का संविधान है. अगर हिंदू राष्ट्र का संविधान नहीं होता तो रामराज्य का चित्र मूल संविधान में नहीं होता. उसी संविधान में मनुस्मृति आधारित वर्णाश्रम व्यवस्था के चतुर्थ वर्ण सूत्र के लिए 131 लोकसभा सीटों को एससी एसटी के नाम पर आरक्षित किया गया. एससी एसटी भारत के संविधान में हिंदू ही हैं. इसलिए उस संविधान में हमारी पूर्ण आस्था है. लेकिन 1975 में इमरजेंसी लगाकर जबरिया जोड़े गए सोशलिज्म और सेक्युलरिज्म शब्द पर हमारी कोई आस्था नहीं है."

छत्तीसगढ़ में राष्ट्रद्रोह की कुछ जड़ें हैं जमा: जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा "छत्तीसगढ़ में निकली हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदया के तहत प्रदेश के गली गली में संत घूमे हैं. राष्ट्रद्रोह की जो कुछ जड़ें यहां जमा हैं, उनको चिन्हित किया गया है. आगे जब राम भक्तों की सत्ता आएगी तो उन जड़ों को उखाड़कर फेंक देने का काम ये हिंदू समाज करेगा."

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