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छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर फैला है धान की तस्करी का जाल, पढ़ें खबर

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Published : Dec 5, 2020, 11:23 AM IST

छत्तीसगढ़ में धान खरीद की शुरुआत होते ही तस्करी गिरोह भी सक्रिय हो जाते हैं. ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश बॉर्डर से भी रात के अंधेरे में धान की तस्करी का खुला खेल शुरू हो गया है.

Paddy smuggling in Chhattisgarh Odisha border
बरसों से जारी है यह खेल

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीद शुरु हुई है. छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में इतने आकर्षक दामों पर धान खरीद नहीं होती है, इसलिए धान की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है. धान कैसे आएगा? पेमेंट कैसे होगा? सब कुछ पहले से तय होता है, क्योंकि यह खेल बरसों से चल रहा है.

इन इलाकों से होती है धान की तस्करी

छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज, सरगुजा, मुंगेली, रायगढ़, बलरामपुर, महासमुंद धान तस्करी के बड़े केंद्र हैं. ओडिशा से आने वाले धान की खपत महासमुंद से गरियाबंद और बस्तर के कुछ इलाकों में भी होती है. बिहार और उत्तरप्रदेश से आने वाला धान सरगुजा के रास्ते से छत्तीसगढ़ में आता है. महाराष्ट्र से आने वाला धान राजनांदगांव के अंदरूनी जंगलों से और मध्यप्रदेश से आने वाले धान की सप्लाई कवर्धा और अनूपपुर से होती है.

धान तस्करी का जाल

हर साल होती है धान की तस्करी

प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के मुताबिक हर साल दूसरे राज्यों के धान को छत्तीसगढ़ में खपाने के लिए कोशिश की जाती है. बीते सालों में की गई सख्ती की वजह से 90 फीसदी तक धान की तस्करी रुकी है, लेकिन धान का समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से पड़ोसी राज्यों से अब भी बड़े पैमाने पर धान की तस्करी होती है.

मिलीभगत का खेल

ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी सुखदेव सिंह सिद्धू के मुताबिक पड़ोसी राज्यों से मालवाहक गाड़ियों में धान की तस्करी की जाती है. गांव-गांव में सरकारी सिस्टम के लोगों की मिलीभगत से यह तस्करी की जाती है. इसके लिए भले ही पेट्रोलिंग और चौकियां बना दी जाएं, लेकिन जबतक सरकारी तंत्र इनकी मदद नहीं करेगा. यह तस्करी रुक नहीं पाएगी.

Paddy smuggling in Chhattisgarh Odisha border
बरसों से जारी है यह खेल

जंगल के रास्ते तस्करी

अवैध धान की तस्करी को लेकर राज्य सरकार ने पेट्रोलिंग और चौकियां लगाई हैं. तस्करों ने इससे निपटने के लिए जंगल का रास्ता अख्तियार कर लिया है. जंगल के रास्तों से धान की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है. दिन में पेट्रोलिंग और चौकियों में सरकारी तंत्र के अधिकारी डेरा डाले रहते हैं. ऐसे में धान तस्कर देर रात ही तस्करी को अंजाम देते हैं. इसके लिए बिचौलिए दोपहर से ही बॉर्डर में डेरा डाले रहते हैं. धान खरीदने और फिर बाहर निकालने का काम बिचौलियों का ही होता है.

साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े

जिला जब्त धान
बस्तर 4703 क्विंटल
बीजापुर 774 क्विंटल
दंतेवाड़ा 658 क्विंटल
कांकेर 1614 क्विंटल
बिलासपुर1824 क्विंटल
जांजगीर 16 हजार 637 क्विंटल
मुंगेली 690 क्विंटल
बेमेतरा3540 क्विंटल
कवर्धा 9668 क्विंटल

साल 2019 के धान तस्करी के आंकड़े

जिला जब्त धान
राजनांदगांव 6317 क्विंटल
गरियाबंद 7480 क्विंटल
बलरामपुर 2394 क्विंटल
सरगुजा3466 क्विंटल
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