ETV Bharat / bharat

अग्निपथ योजना : रक्षा विशेषज्ञ बोले, कहीं रूसी सेना जैसी हालत न हो जाए !

author img

By

Published : Jun 17, 2022, 6:37 PM IST

Updated : Jun 17, 2022, 7:50 PM IST

सेना में शॉर्ट टर्म पर होने वाली बहाली को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं. कई जगहों पर हिंसा भी हुई है. वे अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. रक्षा मामलों के जानकार भी इस योजना को लेकर आशंकित हैं. ईटीवी भारत ने इस योजना पर ब्रिगेडियर (रि.) बीके खन्ना से बात की है. उनसे बातचीत की है ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा ने.

concept photo
कॉन्सेप्ट फोटो

नई दिल्ली : ईटीवी भारत से बात करते हुए ब्रिगेडियर (रि.) बीके खन्ना, जिन्होंने 1971 के बांग्लादेश युद्ध और श्रीलंका युद्ध में भाग लिया था, ने कहा कि सेना में शॉर्ट टर्म नियुक्ति दूसरे देशों में भी हुई है, लेकिन उनका अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा है. खन्ना ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि ऐसे सैनिक युद्ध के मैदान में उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते हैं. खन्ना ने रूस-यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए बताया कि रूस ने शॉर्ट टर्म में नियुक्ति पाने वाले सैनिकों को मोर्च पर लगाया था, लेकिन देखिए क्या परिणाम हुए. उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. बाद में पुतिन को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी. उन्होंने रणनीतिक इलाकों से इन सैनिकों को वापस लौटाया.

ब्रिगेडियर खन्ना ने बताया कि सेना में भर्ती होने के बाद बटालियन में सालों तक सेवा देने के दौरान उनके बीच आपसी भाईचारा, सम्मान और गहरा रिश्ता बनता है. सम्मान और विश्वास पाने में समय लगता है. उन्होंने कहा, 'नई घोषित अग्निपथ योजना में अखिल भारतीय स्तर पर भर्ती होगी, जो एक तरीके से प्रोफेशनलिज्म को प्रभावित करेगा, और यही तो है जो सेना को दूसरों से अलग करता है.'

जब ब्रिगेडियर से पूछा गया कि जिन युवाओं की बहाली होगी, उनमें से 75 फीसदी का क्या होगा, क्योंकि चार साल बाद उन्हें सेवा छोड़नी होगी. इस पर उन्होंने कहा कि वे सभी जिनके पास सेना की ट्रेनिंग हासिल होगी, वे राष्ट्रीय सुरक्षा या जनशांति के लिए भी खतरा हो सकते हैं. क्योंकि ब्रिगेडियर के अनुसार नौकरी जाने के बाद अगर फिर से उन्हें कहीं पर काम नहीं मिला, तो वे क्या करेंगे. कहीं उनके मन में असुरक्षा और निराशा का भाव न घर जाए, और ऐसा होता है, तो फिर क्या स्थिति होगी.

ब्रिगेडियर ने कहा, 'गृह मंत्री अमित शाह यह जरूर कह रहे हैं कि सेना की नौकरी समाप्त होने के बाद केंद्रीय सैन्य पुलिस बल और असम पुलिस बल में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन मेरी राय में ये सब सिर्फ कहने के लिए हैं. मेरी सबसे बड़ी चिंता यही है कि पालयट ट्रेनिंग पर कोई बात नहीं की जा रही है. पूरी योजना सैन्य भर्ती प्रक्रिया को सेना के अपग्रेडेशन जैसे संवेदनशील मुद्दे से जोड़ा जा रहा है. तो जाहिर है, इस तरह के विचार और नीतियों को सीधे ही थोपा नहीं जा सकता है. इनसे पहले पायलट ट्रेनिंग होनी चाहिए थी. उदाहरण के तौर पर आप इसे पहले सीएपीएफ पर लागू क्यों नहीं करते. ऐसी किसी भी चीजों को सीधे ही सेना पर लाद देने के भयंकर दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं.'

रक्षा और रणनीतिक मुद्दों के विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों, नीति निर्माताओं और यहां तक ​​​​कि प्रदर्शनकारी भी इस योजना की इस आधार पर आलोचना कर रहे हैं कि इसमें प्रोफेशनलिज्म की कमी है. रेजिमेंटल सम्मान का अभाव है. समाज का सैन्यीकरण गलत है. ये अप्रशिक्षित सैनिक होंगे. इन सारे सवालों पर ब्रिगेडियर का कहना है कि आप इन चिंताओं को नकार नहीं सकते हैं, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा सवाल है. लेकिन सरकार यह कह रही है कि उसे सैन्य खर्चों को लेकर निर्णय लेने हैं, क्योंकि इन पर खर्च होने वाली राशि का बड़ा भाग पेंशन पर खर्च होता है. लेकिन मैं यह भी सुझाव दूंगा कि आधुनिकीकरण के लिए आपको टेक्नोलॉजिकल क्षेत्रों पर खर्च बढा़ने होंगे, क्योंकि यह समय की मांग है.

ये भी पढे़ं : अग्निपथ योजना को लेकर मन में उठ रहे सवाल, तो यहां पाइए जवाब

Last Updated :Jun 17, 2022, 7:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.