ETV Bharat / bharat

Special Tribal status Not Changed: आजादी के सात दशक बाद भी नहीं बदली राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों की स्थिति, करोड़ों खर्च करने के बाद भी स्पेशल ट्राइब्स पिछड़े

author img

By

Published : Aug 16, 2023, 10:28 PM IST

Updated : Aug 16, 2023, 11:04 PM IST

Chhattisgarh Special Tribal status Not Changed
स्पेशल ट्राइब्स की स्थिति नहीं सुधरी

Special Tribal status Not Changed चुनावी साल है. सभी राजनीतिक दल आदिवासियों के हितों की बात कर रहे हैं. हर तरह की योजनाओं का लाभ पहुंचाने का दावा वादा भी हो रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ में आजादी के 7 दशक बाद भी स्पेशल ट्राइब्स की स्थिति नहीं सुधरी. यह हालात तब हैं, जब इन्हें भारत के राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा भी प्राप्त है. special backward tribes

विशेष जनजाति की स्थिति जस की तस

कोरबा: देश ने आजादी के 76 साल पूरे कर लिए हैं. हम चांद पर पहुंच गए हैं. मंगलयान और डिजिटल क्रांति की बात करते हैं. लेकिन इन तमाम विकास के बावजूद एक स्याह सच यह भी है कि हमने अपने देश की स्पेशल ट्राइब्स यानी विशेष जनजाति पर ध्यान नहीं दिया. न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं लेकिन विशेष जनजाति की स्थिति जस की तस है.

मुख्य धारा में अब भी शामिल नहीं हो पाई विशेष जनजाति: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कमार और पहाड़ी कोरवा आदिवासियों को विशेष पिछड़ी जनजाति समूह(Particularly Vulnerable Tribal Groups) में रखा गया है. इन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है. इनके विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च भी किए जाते हैं. केंद्र और राज्य भारी भरकम राशि इन पर खर्च करने का दावा जरूर करती हैं. लेकिन सरकारी प्रयास धरातल पर नहीं दिखता. आजादी के 76 साल बाद भी आदिवासी मुख्य धारा में शामिल नहीं हो पाए हैं.

केंद्र सरकार से जारी फंड का नहीं हुआ इस्तेमाल: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. छत्तीसगढ़ में PVTG के लिए केंद्र और राज्य सरकार से आवंटित फंड की राशि खर्च नहीं की गई है. केंद्र सरकार ने 2020-21 से लेकर 2022-23 तक 34 करोड़ 86 लाख रुपए की राशि जारी की थी. जबकि राज्य सरकार ने इसमें से सिर्फ 12 करोड़ 17 रुपए की राशि ही खर्च किया है लेकिन करीब 21 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग ही नहीं किया गया.

विशेष केंद्रीय सहायता के तहत साल 2020-21 के बाद से फंड नहीं मिला: PVTG के लिए विशेष केंद्रीय सहायता योजना के जरिए भी केंद्र से राज्य सरकार को फंड मिलता है. पिछली बार साल 2020-21 के मई में 1.51 करोड़ रुपये जारी हुए थे. इसके बाद इस योजना से राशि जारी नहीं की गई है. जबकि केंद्र ने पिछले तीन साल में 34 करोड़ 86 लख रुपये राज्य सरकार को दिए हैं. यह राशि सिर्फ और सिर्फ विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान पर खर्च की जानी चाहिए.

क्या कहता है आदिवासी समाज: विशेष पिछड़ी जनजाति में शामिल पहाड़ी कोरवा, कोरबा के मूल निवासी हैं. इनका गोत्र हंसता है और इसी के नाम पर हसदेव नदी का भी नाम पड़ा है. कोरबा प्रदेश की उर्जाधानी है. यहां विकास की इबारत लिखी गई है. लेकिन जिनके नाम पर जिले का नाम है, वह खुद विकास से कोसों दूर हैं. यही वजह है कि आदिवासी समाज प्रशासन से नाराज है. आदिवासियों के लिए मिल रहे फंड के सही इस्तेमाल नहीं होने पर समाज के लोग खफा हैं. आलम यह है कि वनांचल क्षेत्र के आदिवासी आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर हैं.

"सरकारों के पास करोड़ों का फंड होता है लेकिन वह आदिवासियों के विकास के लिए खर्च नहीं करती है. हाल ही में वनांचल क्षेत्र में मेडिकल कैंप लगाया था. 300 से ज्यादा आदिवासी शामिल हुए थे. उनके हालात जस के तस हैं. सरकार को इस दिशा में गंभीरता से कोशिश करनी चाहिए.''-निर्मल राज सिंह,उपाध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज

आखिर क्यों नहीं बदलते हालात: जनजाति समूह से आने वाले लोगों की आजीविका जंगल के भरोसे चलती है. आदिवासियों के कई रीति रिवाज भी उनके पिछड़ेपन की बड़ी वजह हैं. जानकारों की मानें तो जंगलों में ही रहने और अपने रीति रिवाज से जकड़े होने के कारण भी कई बार प्रशासनिक अधिकारी इनकी मदद नहीं कर पाते.

"विशेष पिछड़ी जनजाति समूह में शामिल आदिवासियों के लिए हम लगातार प्रयास करते हैं. इनमें से कोरबा जिले में बिरहोर और पहाड़ी कोरवा आदिवासियों का निवास है. उनके लिए कई योजनाएं संचालित की जाती हैं. कोशिश रहती है कि सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उनको दिया जाए ताकि समेकित विकास हो सके."- श्रीकांत कसेर,सहायक आयुक्त,आदिवासी विभाग कोरबा

Arvind Netam: अरविंद नेताम ने छोड़ा कांग्रेस का साथ, नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, छत्तीसगढ़ में अब इस्तीफे पर सियासी घमासान
Chhattisgarh Election 2023 ST Seats Calculation: बीजेपी और कांग्रेस की बढ़ गई टेंशन, विधानसभा चुनाव में क्यों हुंकार भरने को तैयार हैं आदिवासी ?
World Tribal Day: बस्तर में आदिवासी गीतों पर ग्रुप डांस करते महिला कमांडो, वीडियो वायरल

छत्तीसगढ़ के किन इलाकों में कौन सी जनजाति करती है निवास: विशेष पिछड़ी जनजाति समूह में शामिल अबूझमाड़िया का निवास नारायणपुर तक ही सीमित है. जबकि अन्य सभी विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग छत्तीसगढ़ के कई जिलों में पाए जाते हैं.बिलासपुर, कबीरधाम, कोरिया, मुंगेली, राजनांदगांव और जशपुर से लेकर कोरबा, रायगढ़, बलौदाबाजार धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव और महासमुंद तक उनकी मौजूदगी है. विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग जंगल में ही निवास करते हैं.

Chhattisgarh Special Tribal status Not Changed
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या पर एक नजर
Last Updated :Aug 16, 2023, 11:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.