नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में सीमा पर पांच महीने से अधिक समय से जारी गतिरोध को लेकर भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता की चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) द्वारा व्यापक समीक्षा किए जाने की उम्मीद है. यह जानकारी सरकारी सूत्रों ने बुधवार को दी.
सैनिकों की तेजी से वापसी को लेकर अभी कोई सफलता नहीं मिली है.
भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की सात दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है. पिछली वार्ता सोमवार को करीब 12 घंटे चली थी.
एक भारतीय सैन्य अधिकारी ने कहा कि हालांकि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वार्ता के माध्यम से गतिरोध को हल करने की इच्छा दिखाई, लेकिन उसकी ओर से इसके लिए जमीन पर कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है.
भारत का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी चीन पर है.
यह भी पता चला है कि चीनी प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार की वार्ता में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक प्रस्ताव रखा था.
सीएसजी द्वारा इस प्रस्ताव पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा. प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं मिली है.
सीएसजी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख शामिल हैं.
भारत और चीन की सेनाओं ने मंगलवार को जारी एक संयुक्त प्रेस बयान में हाल की वार्ता को सकारात्मक और रचनात्मक बताया था. इसमें कहा गया था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यम से संवाद और संचार बनाए रखने के लिए सहमत हुए हैं. साथ ही दोनों पक्ष जितनी जल्दी हो सके सैनिकों की वापसी के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य हल पर पहुंचने को लेकर सहमत हुए.
चीन के राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने इस बीच कहा कि दो प्रमुख पड़ोसी देश के तौर पर भारत और चीन के बीच मतभेद होना सामान्य है लेकिन उन्हें वार्ता के जरिये उचित तरीके से सुलझाया जाना चाहिए.
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उन्होंने कहा, हाल ही में, द्विपक्षीय संबंधों में कुछ कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. दो प्रमुख पड़ोसी देश होते हुए मतभेद होना सामान्य है. हमें मतभेदों को द्विपक्षीय संबंधों में एक उचित स्थान पर रखना चाहिए, उचित प्रबंधन करना चाहिए और बातचीत एवं चर्चा के माध्यम से हल करना चाहिए. हमें मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए.
चीन के राजदूत भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस की 110वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जिन्होंने माओत्से तुंग की अगुवाई में चीनी क्रांति के दौरान चीन में सेवा की थी.
सुन ने कहा, दोनों देशों के साझा हित मतभेद और टकरावों पर भारी हैं. मेरा मानना है कि दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से हमारे पास कठिनाइयों को दूर करने और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए समझदारी और क्षमता है. वेइदॉन्ग ने डॉ. कोटनिस को श्रद्धांजलि अर्पित की.