जिस 'सरफरोशी की तमन्ना' से दिल में उमड़ते हैं देशभक्ति के जज्बात, उसे बिस्मिल की कलम से मिला वजूद
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जंग-ए-आजादी के सिपाहियों के लहू में क्रांति की लहर पैदा करने में उस दौर के शायरों और कवियों ने बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई थी.स्वतंत्रता आंदोलन में 'सरफरोशी की तमन्ना' शेर को पढ़कर सिपाही फांसी चढ़ जाते थे. उसकी रचना भी राम प्रसाद बिस्मिल के बजाय एक बिहारी ने ही की थी.