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इस स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर रहते हैं नदारद, नर्सों के भरोसे चल रहा है अस्पताल

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Published : Aug 28, 2019, 12:16 PM IST

Updated : Aug 29, 2019, 9:32 AM IST

स्वास्थ्य केंद्र

अस्पताल में मौजूद मरीज के परिजनों ने डॉक्टरों पर निजी क्लीनिक चलाने का आरोप लगाया तो मेडिकल ऑफिसर ने कहा कि डॉक्टर निजी क्लीनिक पर समय देते हैं, लेकिन यहां की ड्यूटी पूरी करने के बाद.

पश्चिम चंपारण: जिले के मधुबनी प्रखंड स्थित दहवा स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर कभी-कभार ही आते हैं. यहां नर्स ही मरीजों का इलाज करती है.

अस्पताल में नहीं मिलते डॉक्टर
ईटीवी के संवाददाता मंगलवार को जब गण्डक दियारा पार इस अस्पताल में पहुंचे तो यहां एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं थे. प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल लाई गई महिला के परिजनों ने बताया कि वे लोग सोमवार से ही अस्पताल में हैं. लेकिन अभी तक डॉक्टर से मिलना नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में प्रसव एएनएम के भरोसे चल रहा है.

पूरी रिपोर्ट

निजी क्लीनिक चलाते हैं डॉक्टर
इस बीच किसी ने ईटीवी की टीम के अस्पताल में होने की खबर मेडिकल ऑफिसर को दी. जिसके बाद आनन-फानन में अस्पताल पहुंचे मेडिकल ऑफिसर बालेश्वर शर्मा ये मानने को तैयार ही नहीं थे कि अस्पताल से डॉक्टर नदारद रहते हैं. उनके आते ही वहां मौजूद मरीज के परिजनों ने डॉक्टरों पर निजी क्लीनिक चलाने का आरोप लगाया तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर निजी क्लीनिक पर समय देते हैं, लेकिन यहां की ड्यूटी पूरी करने के बाद. यह पूछने पर कि अभी कोई डॉक्टर क्यों नहीं हैं? तो उन्होंने कहा कि केवल आज ऐसा हो गया. मैं तो हूं ही, बाकी डॉक्टर काम से कहीं गए होंगे.

पश्चिम चंपारण
अस्पताल का नोटिस बोर्ड

नर्स ही करती है इलाज
सड़क दुर्घटना में घायल हुए एक व्यक्ति ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मुझे अस्पताल पहुंचाया तो यहां एक भी डॉक्टर नहीं थे. नर्सों ने ही मेरी मरहम-पट्टी की और इलाज किया. बता दें कि अस्पताल में 3 चिकित्सक और 16 एएनएम का पदस्थापना है.

पश्चिम चंपारण
अस्पताल में भर्ती मरीज
Intro:पश्चिम चंपारण के मधुबनी प्रखंड स्थित स्वास्थ्य केंद्र दहवा के चिकित्सक अमूमन गायब ही रहते हैं। बिहार- उत्तरप्रदेश के सीमा पर पदस्थापित ये डॉक्टर उत्तरप्रदेश में अपना निजी क्लिनिक संचालित करते है या किसी अन्य निजी अस्पताल में अपनी सेवा देते हैं जिस वजह से यह अस्पताल पूरी तरह से ए एन एम के भरोसे संचालित होता है।


Body:ईटीवी के संवाददाता जब गण्डक दियारा पार मधुबनी प्रखंड के दहवा स्थित सरकारी अस्पताल में पहुचे तो दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से आये मरीज चिकित्सकों का सुबह 4 बजे से ही इंतजार करते मिले। अस्पताल में चार ANM सहित एक गार्ड के अलावा कोई सरकारी कर्मी नही मौजूद था। जब हमने इस बारे में पड़ताल की तो ग्रमीणों ने बताया कि चिकित्सक अधिकांशतः यहाँ से गायब ही रहते हैं। क्योंकि कोई अपना निजी क्लिनिक चलाता है तो कोई निजी अस्पताल में अपनी सेवा दे रहा है।
बता दे कि सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिहाज से अस्पताल में कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ा है। इस अस्पताल में वो सारी सुविधाएं मौजूद हैं जो एक सरकारी अस्पताल में होनी चाहिए। यहां तक कि अस्पताल में 3 चिकित्सक, 16 ANM सहित चार गार्ड पदस्थापित हैं। बावजूद इसके अस्पताल में आपको डॉक्टर अपनी ड्यूटी करते नही दिखेंगे।
हमारे संवाददता जब अस्पताल में पहुचे उस वक़्त डॉक्टर सुधीर वर्मा की ड्यूटी थी लेकिन वो नदारद मिले। जब ग्रामीणों ने इस बाबत हमे जानकारी देना शुरू किया तभी हमारे पहुचने की खबर दहवा से ठीक सटे उत्तरप्रदेश के बांसी में निजी क्लीनिक संचालित कर रहे इस अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर बालेश्वर शर्मा को मिली। उक्त चिकित्सक आनन फानन में अपना निजी क्लीनिक छोड़ अस्पताल में पहुँचे और गायब चिकित्सक का पक्ष लेते हुए बताया कि कोई गायब नही रहता है सिर्फ आज डॉक्टर सुधीर वर्मा किसी काम से कहीं गए हैं। लेकिन मैं तो मौजूद हूँ न। और मैं भी निजी क्लीनिक चलाता हूँ, लेकिन सुबह और शाम। अब इनके बातों में कितनी सच्चाई है ये सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
बाइट-1 बालेश्वर शर्मा , मेडिकल ऑफिसर
इतना ही नही सुबह चार बजे व एक दिन पहले से प्रसव कराने आये महिलाओं के परिजनों ने बताया कि वे जब से आये हैं तब से किसी डॉक्टर को यहां नही देखा। ए एन एम ही प्रसव जैसे मुश्किल कार्य का बीड़ा उठा रखी हैं।
बाइट- फातिमा, परिजन
बाइट- असफाक, मरीज के पति
कहानी यही खत्म नही होती। इस अस्पताल की ANM सर्जरी जैसे कार्य को भी अंजाम दे देती हैं । उत्तरप्रदेश प्रदेश जा रहे दो युवकों का मोटरसाइकिल एक्सीडेंट हुआ तो घायलावस्था में ग्रामीणो ने उन्हें अस्पताल पहुचाया। इस दरम्यान भी कोई चिकित्सक मौजूद नही था। ANM ने ही डॉक्टर का रोल निभाया और गम्भीर रूप से घायल मरीजों को टांका लगाया साथ ही मरहम पट्टी भी की।
बाइट- 4 अनुज पांडेय, घायल पीड़ित


Conclusion:बेशक सरकार ने सूबे के कई अस्पतालों को मॉडर्न रूप दे दिया है और तमाम सुविधाएं भी मुहैया करा दी हैं। लेकिन सरकार के अधिकारी ही उसकी फजीहत कराने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे।
Last Updated :Aug 29, 2019, 9:32 AM IST
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