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बेतिया: आक्रोशित आदर्श ग्राम के लोग बोले- पंचायत चुनाव भी जीतने लायक नहीं हैं संजय जायसवाल

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Published : Feb 8, 2020, 11:11 PM IST

गांव में मूलभूत समस्या वर्तमान समय में भी परेशानी का सबब बना हुआ है. यहां आज भी शौचालय, विद्यालय और पेयजल की समस्या बरकरार है.

संजय जायसवाल के द्वारा गांव लिया गोद आज भी अनाथ
संजय जायसवाल के द्वारा गांव लिया गोद आज भी अनाथ

बेतिया: गांवों की सूरत बदलने के लिए पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना बनाई थी. इसके तहत उन्होंने सांसदों को एक-एक गांव गोद लेने का निर्देश दिया था. इस योजना के बनने के बाद स्थानीय सांसद सह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बैरिया प्रखंड के सिसवा सरेया पंचायत अंतर्गत मझरिया गांव को गोद लिया था. जिसके बाद स्थानीय लोगों में विकास की आस थी. लेकिन वर्तमान समय तक गांव में कोई विकास नहीं हुआ, जिस वजह से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है.

'दूसरा गांव गोद लेने जा रहे हैं सांसद'
स्थानीय लोगों का कहना है कि सांसद संजय जायसवाल ने हमारे गांव को गोद लिया था. गांव को गोद लेने के बाद हम लोगों को गांव के विकास को लेकर काफी आशाएं थी. लेकिन आज तक गांव का विकास नहीं हुआ, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. लोगों का कहना है कि सांसद अब दूसरे गांव को गोद लेने की तैयारी में हैं. स्थानीय महिलाओं ने सांसद से सवाल पूछते हुए कहा कि गोद लिए हुए गांव का विकास तो हुआ नहीं, ऐसे में जब सासंद दूसरे गांव को गोद लेने जा रहे हैं, तो उस गांव की विकास की क्या गारंटी है?

सांसद संजय जायसवाल
सांसद संजय जायसवाल

'गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव'
लोगों का कहना है कि गांव में विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ है. गांव में मूलभूत समस्या वर्तमान समय में भी परेशानी का सबब बना हुआ है. बता दें कि गांव में अधिकांश लोग बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं. गांव में आज भी शौचालय, विद्यालय और पेयजल की समस्या बरकरार है.

सांसद आदर्श ग्राम योजना का शिलापट
सांसद आदर्श ग्राम योजना का शिलापट

'पंचायत चुनाव भी नहीं जीत पाएंगे सांसद'
ग्रामीणों में गांव के विकास को लेकर इतना आक्रोश है कि लोगों ने कहा कि सांसद के गोद लेने के बाद इस गांव के हालत और खराब हो गए. ग्रामीणों ने बताया कि अगर बीजेपी का नाम सांसद के आगे से हटा दिया जाए तो, वे पंचायत का चुनाव भी नहीं जीत पाएंगे. लोगों का कहना है कि गांव में सांसद के फंड से एक भी कार्य नहीं हुआ है. गांव का विकास बिहार सरकार की योजनाओं से हुआ है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

गौरतलब है कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 62 योजनाओं से गोद लिए हुए गांव का विकास किया जाता है. इस गांव में कुल 19 सौ बंगाली समुदाय के वोटर हैं. गांव में एक माध्यमिक विद्यालय है, जिसमें वर्ग आठवीं तक पढ़ाई होती है. गांव में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है. इसके अलावा गांव में नल-जल योजना का काम तो हुआ है. लेकिन ग्रामीणों को आज तक पेयजल की एक बूंद भी नसीब नहीं हुई है.

Intro:एंकर--- कहते हैं कि जो लोग किसी बच्चे को गोद लेते हैं वह उसे अपने संतान की तरह प्यार करते हैं, शायद यही सोच लेकर पीएम मोदी ने अपने सांसदों को एक गांव गोद लेने की योजना बनाई ताकि वह भी अपने संतान की तरह ही उस गांव की देखभाल कर सके लेकिन देखभाल करने की बात कौन कहे यहां तो सांसद ने अपने गोद लिए गांव को ही अनाथ की तरह छोड़ दिया है और फिर दूसरे गांव को गोद लेने की तैयारी भी कर ली है, आलम यह है कि जिस गांव को सांसद ने पहले गोद लिया उस गांव के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं और अपने को आज भी अनाथ ही समझ रहे हैं, ऐसा ही एक गांव है बैरिया प्रखंड के सिसवा सरेया पंचायत का मझरिया गांव जिसे बेतिया के सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल ने गोद लिया था।


Body:बीजेपी देश के कोने कोने में कमल का फूल खिलाना चाहती है लेकिन बेतिया सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल ने जिस गांव को गोद लिया वहां का कमल खिलने से पहले ही मुरझा गया है, आलम यह है कि सिसवा सरेया पंचायत के मझरिया गांव में विकास के नाम पर कोई भी कार्य नहीं हुआ है, इस गांव में मूलभूत समस्याओं की समस्या भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है, इस गांव में अधिकांश बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं जो आज भी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं, फिर चाहे वह शौचालय हो, सड़क हो, विद्यालय हो या फिर नल जल योजना।

बाइट- कबिता, स्थानीय महिला

इधर सांसद ने अपने गोद लिए गांव के विकास का लंबा-चौड़ा दावा पेश किया है लेकिन गांव के लोगों की माने तो सांसद द्वारा गोद लिए जाने से पहले ही इस गांव का हाल बढ़िया था, लेकिन सांसद के गोद लेने के बाद हालत और खराब हो गया है और कहीं भी कोई काम नहीं हुआ है, तो वही विकास नहीं होने से कुछ ग्रामीणों में आक्रोश भी देखने को मिला, ग्रामीणों ने बताया कि अगर बीजेपी का नाम सांसद के आगे से हटा दिया जाए तो स्थानीय सांसद पंचायत का चुनाव भी नहीं जीत सकते हैं,लोगों की माने तो सांसद गांव में आते ही नहीं है, जिससे कि लोग अपनी पीड़ा सांसद को सुना सके, ग्रामीणों ने बताया कि सांसद के फंड से कोई भी योजना इस गांव में नहीं चलाया गया है अगर कुछ काम भी हुआ है तो वह भी सिर्फ बिहार सरकार की योजनाओं से काम हुआ है, बता दें कि आदर्श ग्राम योजना के तहत 62 योजनाओं से विकास कार्य किया जाता है, लेकिन 1900 वोटर वाले बंगाली समुदाय की बहुलता वाले इस गांव में अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची है, इस गांव में अभी तक एक माध्यमिक विद्यालय, जिसमें आठवीं तक पढ़ाई होती है, इस गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, इस गांव में 3 वार्ड है, जिसमें नल जल का काम तो हुआ है लेकिन एक साल में लोगों को अब तक पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं हुई है, क्योंकि टंकी अभी तक नहीं बन पाया है।

बाइट -बाबुल चंद्र दास, वार्ड सदस्य पति, वार्ड नंबर 3


Conclusion:अपने पिछले कार्यकाल में जब पीएम ने इस योजना की शुरुआत की थी तो लगा था कि उनके सांसद जिस गांव को गोद ले रहे हैं उसकी देखभाल अपने बच्चों की तरह ही करेंगे, लेकिन पहले लिए गांव को अनाथ की तरह छोड़ देने के बाद फिर से एक नए गांव को गोद लेने की तैयारी की जा रही है, ऐसे में देखना होगा कि फिर से भाजपा के सांसद अपने नए संतान की कितनी देखभाल करते हैं ।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
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