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माघ मौनी अमावस्या: पाबंदी के बावजूद त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं की भीड़, बॉर्डर पर आवाजाही बहाली की मांग

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Published : Feb 1, 2022, 12:32 PM IST

West Champaran Magha Mauni Amavasya Mela
West Champaran Magha Mauni Amavasya Mela

पश्चिम चंपारण जिले के गंडक नदी तट पर हर साल लगने वाला मौनी अमावस्या माघ मेला (West Champaran Magha Mauni Amavasya Mela) स्थगित होने के बावजूद त्रिवेणी संगम पर भक्तों की भीड़ जुटी. वहीं भारत और नेपाल के श्रद्धालु गण्डक बराज के दोनों तरफ खड़े हो आवागमन के लिए बॉर्डर खोलने की मांग करते देखे गए. पढ़िए पूरी खबर..

पश्चिम चंपारण: पाबंदी के बावजूद मौनी अमावस्या माघ मेला को लेकर त्रिवेणी संगम (Devotees At West Champaran Triveni Sangam) पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी थी. सीमा सील होने की वजह से भारत और नेपाल के श्रद्धालु गण्डक बराज के दोनों तरफ खड़े हो आवाजाही के लिए बॉर्डर खोलने की मांग करते देखे गए. बता दें कि कोरोना संक्रमण (Magha Mauni Amavasya Mela Suspended Due to Corona) को देखते हुए मेला स्थगित कर दी गई थी और सीमा को सील कर दिया गया था.

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माघ मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़

माघ मौनी अमावस्या के मौके पर इंडो नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर के त्रिवेणी संगम तट पर प्रत्येक साल भारी संख्या में भारत नेपाल के लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं. लेकिन इस मर्तबा कोरोना गाइडलाइंन के तहत माघ मौनी अमावस्या मेला स्थगित कर दिया गया था. बावजूद भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ आस्था की डुबकी लगाने यहां पहुंची है.

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आलम यह है कि, गण्डक बराज पुल पर स्नान करने वाले वैसे श्रद्धालु जो भारत से नेपाल आना चाहते हैं या जो नेपाल से भारत आना चाहते हैं वो सुबह से बॉर्डर खोलने और दोनों तरफ आवाजाही के लिए अनुमति मांगने को लेकर अड़े हुए हैं. दरअसल नेपाल ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मेला के मौके पर आवाजाही पर रोक लगाते हए सीमा सील कर दिया है. लिहाजा दोनों तरफ के श्रद्धालु बॉर्डर खोलने की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि, त्रिवेणी संगम पर स्नान करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कौलेश्वर स्थान तक पाथवे और फिर मंदिर के सामने नहाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण की मंजूरी दी थी जो श्रद्धालुओं के लिए बनकर तैयार है. ऐसे में पाबंदी के बावजूद भारी संख्या में यहां भक्त पहुंचे हैं और नारायणी नदी में स्नान के बाद दान और पूजा पाठ किया गया. मेला के मौके पर यहां तेज़पत्ता औऱ इलायची दाना के साथ नारंगी की खूब बिक्री होती है.

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