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वैशाली: 'मौत की पाठशाला' में पढ़ने को मजबूर हैं ये मासूम

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Published : Sep 25, 2019, 10:57 AM IST

Vaishali

लालगंज प्रखंड कार्यालय से सटे आजादी से पहले सन् 1941 में स्थापित बिहारी शुक्ला संस्कृत मध्य विद्यालय बदहाल स्थति में है. बताया जाता है कि वर्षों से मरम्मत नहीं होने के कारण स्कूल की ऐसी स्थिति हुई है.

वैशाली: जिले के लालगंज प्रखंड स्थित बिहारी शुक्ला संस्कृत मध्य विद्यालय का भवन खस्ताहाल है. दीवारों में दरारें और सीलन वाली छतों के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं. आलम यह है कि यहां बच्चे खौफ के साये में पढ़ाई करने को विवश हैं. डर यह बना रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए. जबकि, स्कूल प्रबंधन और संबंधित विभागों को इस बात की कोई चिंता नहीं है.

पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं बच्चे
लालगंज प्रखंड कार्यालय से सटे आजादी से पहले सन 1941 में स्थापित बिहारी शुक्ला संस्कृत मध्य विद्यालय बदहाल स्थति में है. स्कूल की तस्वीर देखते ही हर कोई सुशासन बाबू की विकसित बिहार की तस्वीर पर सोचने को मजबूत हो जाते है. इस विद्यालय में बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं और शिक्षक कुर्सी पर बैठकर बच्चों को पढ़ाते नजर आ रहे हैं.

जर्जर अवस्था में स्कूल का भवन

'कई बार कर चुके हैं शिकायत'
बताया गया है कि वर्षों से मरम्मत नहीं होने के कारण स्कूलों की ऐसी स्थिति हुई है. छात्रों के अभिभावक न सिर्फ स्कूलों में सुविधाओं के अभाव के चलते परेशान हैं, बल्कि भवन की खस्ता हालत ने भी उन्हें चिंता में डाल दिया है. स्कूलों की टूटी दीवार और टूटे दरवाजों के कारण कई बार बच्चे कक्षाओं से भाग निकलते हैं.

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जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर बच्चे

शिकायत के बाद भी नहीं सुधरी हालत
वहीं, स्कूल के प्रचार्या ने बताया कि वह इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों से लेकर शिक्षा विभाग तक शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. जिसके कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:वैशाली जिला के लालगंज में टूटी स्कूल भवन और पेड़ के नीचे स्कूली बच्चे सालों से पढ़ने को मजबूर हैं लेकिन इसका सुधि लेने वाला कोई नहीं है।


Body:दरअसल लालगंज प्रखंड कार्यालय से सटे आजादी से पहले  सन 1941 में स्थापित बिहारी शुक्ला संस्कृत मध्य विद्यालय की बदहाली देखते ही हर कोई सुशासन बाबू की विकसित बिहार का तस्वीर पर सोचने को मजबूत हो जाता है जी हां इस विधायलय में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि बच्चे किस तरह पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं और शिक्षक भी यही कुर्सी पर बैठकर बच्चों को पढ़ाते नजर आ रहे हैं इतना ही नही तीन क्लास के बच्चे को जिस रूम में बैठा कर पढ़ाई जा रही है उस रूम की दीवाल आप देख कर सहम जाएंगे कि दीवाल दो फाक हो कर अब तब गिरने की स्थिति में है और बच्चे इसी रूम में बैठ कर पढ़ाई कर रहे है साफ तौर पर जाहिर है कि कभी भी कोई बड़ी हादसा हो सकता है लेकिन शिक्षा विभाग सोई हुई है। स्कूल की प्राचार्या की माने तो यह हालात कई सालों से ऐसा ही है जनप्रतिनिधि और प्रशासन के कई बार आग्रह करने के बाद भी किसी ने भी इस इस विधायलय की अब तक सुधि नहीं ली है। इतना ही नही इस विधालय की बच्चे कि माने तो स्कूल परिसर में साफ सफाई नहीं होने के कारण सांप और बिच्छू ने भी अपना अड्डा जमा रखे हैं जिसके चलते भी बच्चे भयभीत हो कर रहते हैं आलम यह है कि जब बारिश का मौसम होता है तो शिक्षक द्वारा बच्चों को छुट्टी भी दे दी जाती है ऐसे में शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ छलावा हो रहा है और सरकार का यह शिक्षा अभियान कुंद होता नजर आ रहा है इस स्कूल में 100 से अधिक बच्चे हैं जिसे पढ़ाने के लिए प्राचार्य समेत कुल 3 शिक्षक हैं 


Conclusion:बदरहाल इस स्कूल का पहले अपना भवन हुआ करता था जो अब जर्जर हो गया है आप देखिए किस तरह इसी जर्जर स्कूल भवन की एक कोने में भी बच्चे पढ़ते नजर आ रहे हैं जाहिर है किसी दिन स्कूल का या जर्जर भवन गिरने से कोई अनहोनी हो जाए तो कोई अचरज की बात नहीं होगी। हालांकि स्कूल की जर्जर हालात से आसपास के लोगों में नाराजगी है लेकिन प्रशासन की कुम्भकर्णी नींद कब खुलेगी इसका अंदाजा किसी को भी नहीं है।


बाईट  -- मोहमद आफताब छात्र
बाईट -- मुन्नी सिन्हा प्राचार्या
बाइट -- जितेंद्र नाथ वर्मा शिक्षक

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