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सीतामढ़ी: खंडहर में तब्दील हुआ मत्स्य बीज प्रक्षेत्र, सैकड़ों परिवार झेल रहे बेरोजगारी का दंश

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Published : Sep 5, 2019, 11:13 AM IST

मत्स्य बीज प्रक्षेत्र

मत्स्य बीज प्रक्षेत्र बंद होने के कारण यहां काम करने वाले सैंकड़ों लोग बेराजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. इस कारण सैंकड़ों परिवार भुखमरी की कगार पर हैं. कई परिवारों ने परिसर और इसके भवन पर अवैध कब्जा कर इसे अपना आशियाना बना लिया है.

सीतामढ़ी: सरकार और विभागीय अनदेखी के चलते जिले का मत्स्य बीज प्रक्षेत्र खंडहर में तब्दील हो चुका है. इस कारण जिले के सैकड़ों लोग बेराजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं.

Sitamarhi
मत्स्य बीज प्रक्षेत्र का बोर्ड

25 साल पहले हुई थी स्थापना
राज्य सरकार ने 25 साल पहले रामपुर बखरी गांव में पशु और मत्स्य संसाधन विभाग सह मत्स्य बीज प्रक्षेत्र की स्थापना की थी. इस प्रोजेक्ट के जरिए सरकार का उद्देश्य मछली पालन को बढ़ावा देकर जिले के किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना था. कुछ सालों तक यह प्रोजेक्ट अपनी गति से चलता रहा. सरकार ने 25 एकड़ की भूमि पर यहां करोड़ों रुपये की लागत से कार्यालय, अधिकारी और कर्मियों का आवास, जल मीनार, 25 तालाबों के अलावा सीट्स और अंडा तैयार करने वाले टैंक का निर्माण कराया था. लेकिन सरकार और विभाग की अनदेखी के चलते पिछले 10 सालों से यह सरकारी उपक्रम खंडहर में तब्दील हो चुका है. जिसके कारण यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है.

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त्स्य बीज प्रक्षेत्र का तालाब

भुखमरी की कगार पर पहुंचे सैकड़ों परिवार
मत्स्य बीज प्रक्षेत्र बंद होने के कारण यहां काम करने वाले सैंकड़ों लोग बेराजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. इस कारण सैंकड़ों परिवार भुखमरी की कगार पर हैं. कई परिवारों ने परिसर और इसके भवन पर अवैध कब्जा कर इसे अपना आशियाना बना लिया है. विभागीय अनदेखी के कारण, यहां लगे सामान भी चोरी होने लगे हैं, चोरों ने भवन में लगे लोहे और अन्य धातु के उपकरण चोरी कर बेच डाले हैं.

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टूटे पड़े उपकरण

बेरोजगारों ने सुनाया दर्द
इस प्रोजेक्ट में सालों पहले काम कर चुके पप्पू सदा ने बताया कि प्रोजेक्ट शुरू होने के वक्त लोगों को रोजगार मिला था. लेकिन जबसे यह प्रोजेक्ट बंद हुआ तब से काफी लोग बेरोजगार हो गए. जब प्रोजेक्ट संचालित हुआ उस दौरान मछली के अंडा बच्चे तैयार करने के साथ ही पालन का काम युद्धस्तर पर चलता था.

खंडहर में तब्दील हुआ मत्स्य बीज प्रक्षेत्र

अन्य प्रोजेक्ट लगा सकती है सरकार
जिला मत्स्य पदाधिकारी दयाशंकर सहनी ने बताया कि यह जिले का सबसे बड़ा इकलौता प्रोजेक्ट था. जो कर्मियों की कमी और पुराने उपकरणों के चलते बरसों पहले बंद हो गया. अब इस जगह पर सरकार की ओर से मछली पालन से संबंधित कोई अन्य प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं. इसके बाद ही जगह का कायाकल्प हो पाएगा. इसके अलावा मत्स्य बीज प्रक्षेत्र के 25 तालाबों में एक साल के लिए मछुआ सहकारिता समिति का बंदोबस्त कर दिया गया है. उनके जरिए पौंड में मछली पालन किया जा रहा है.

Intro: जिले का एकमात्र मत्स्य बीज प्रक्षेत्र सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण खंडहर में हो गया तब्दील सैकड़ों लोग हो गए बेरोजगार। Body: जिले के किसानों को सबल बनाने के उद्देश्य से बिहार सरकार द्वारा 25 वर्ष पूर्व जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर की दूरी पर रामपुर बखरी गांव में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग सह मत्स्य बीज प्रक्षेत्र की स्थापना कराई गई थी। ताकि इस प्रोजेक्ट के जरिए मछली पालन को बढ़ावा देकर जिले के किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाया जाए। कुछ वर्षों तक या प्रोजेक्ट अपनी गति से चलता रहा। और यहां 25 एकड़ भूमि में करोड़ों रुपए की लागत से कार्यालय, अधिकारी और कर्मियों का आवास, जल मीनार, 25 तालाब के अलावा सीट्स और अंडा तैयार करने वाला टैंक का निर्माण कराया गया था। लेकिन 10 वर्षों से यह सरकारी उपक्रम विभागीय अनदेखी के कारण खंडहर में तब्दील हो गया है। और यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। साथ ही कई ऐसे परिवार है जिन्होंने इस परिसर और इसके भवन को अपना आशियाना बना लिया है। वंही चोरों ने इसमें लगे लोहे व अन्य धातु के उपकरणों की चोरी कर ली है। उपक्रम के बंद हो जाने से आसपास के सैकड़ों लोग जो इससे जुड़े हुए थे आज बरसों से बेरोजगार हो गए हैं। और उनके सामने भुखमरी की समस्या आ बनी है।
बेरोजगार हुए कर्मी का बयान:__________________
इस प्रोजेक्ट में वर्षों पूर्व काम करने वाला स्थानीय युवक पप्पू सदा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के वक्त आसपास के लोगों को रोजगार मिला था। लेकिन 10 वर्ष पूर्व जब यह प्रोजेक्ट बंद हो गया तब से इससे जुड़े सभी लोग बेरोजगार हो गए। और उनके सामने भुखमरी की समस्या बनी हुई है। जब यह प्रोजेक्ट संचालित था उस दौरान मछली का अंडा बच्चा तैयार करने के साथ मछली पालन का काम युद्ध स्तर पर चलता था। और यहां तालाब के रखरखाव, उसकी सफाई, अंडा, बच्चा तैयार करने के अलावा अन्य कामों के लिए लोगों को रोजगार मिलता था। जब से यह प्रोजेक्ट बंद हुआ है तब से बेरोजगारी की समस्या इस क्षेत्र में काफी बढ़ गई है।
बाइट 1. पप्पू सदा। बेरोजगार हुआ युवक। हरा टीशर्ट में।
कर्मियों की कमी और उपकरण के कारण हुआ बंद:____
इस प्रोजेक्ट के बंद होने के संबंध में पूछे जाने पर जिला मत्स्य पदाधिकारी दयाशंकर सहनी ने बताया कि जिले का इकलौता सबसे बड़ा यह प्रोजेक्ट कर्मियों की कमी और पुराने उपकरण के कारण बरसों पहले बंद हो गया।अब इस जगह पर सरकार की ओर से मछली पालन से संबंधित कोई अन्य प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। इसके बाद ही इस जगह का कायाकल्प हो पाएगा।
बाइट 2. दयाशंकर सहनी। जिला मत्स्य पदाधिकारी सीतामढ़ी।
परिसर और भवन में अवैध कब्जा:____________
मत्स्य बीज प्रक्षेत्र के परिसर और भवन में महीनों से आसपास के लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। वहीं कई परिवारों ने अपना आशियाना बना कर रहने के अलावा व्यवसाय भी कर रहे हैं। वास कर रहे परिवारों ने बताया कि बाढ़ की विभीषिका के कारण सभी परिवार कुछ महीनों से यहां शरण लिए हुए हैं।
बाइट 3. उषा देवी। परिसर में वास कर रही महिला। Conclusion: इसके अलावा मत्स्य बीज प्रक्षेत्र का जो 25 तालाब हैं उसे मछुआ सहकारिता समिति को बंदोबस्त कर दिया गया है। और उनके द्वारा ही उस पौंड में मछली पालन किया जा रहा है। जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया किया 1 साल के लिए बंदोबस्ती की गई है।
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