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सारणः बिहार में शुरू हो रही है मसाले की खेती, किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

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Published : Sep 27, 2019, 12:54 PM IST

बिहार किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष तारकेश्वर तिवारी ने सारण की मिट्टी मसाले की खेती के लिए उपयुक्त है. मेथी और मंगरेले की खेती से इसकी शुरुआत करेंगे, फिर अन्य मसालों की भी खेती की जाएगी.

सारण

सारणः जिले में मशाले की खेती की तैयारी की जा रही है. इससे किसानों के जीवन में समृद्धि आएगी. धीरे-धीरे काम को प्रदेश भर में फैलाया जाएगा. इसकी पहल की है बिहार किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष तारकेश्वर तिवारी ने. उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी मसाले की खेती के लिए उपयुक्त है. इसकी जांच भी करा ली गई है.

बाहर से मंगाया जाएगा बीज
ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि मेथी और मंगरेले की खेती से इसकी शुरुआत करेंगे. इसके लिए बीज बैंगलोरऔर राजस्थान से मंगाया जाएगा और यह हाइब्रिड बीज होगा. इस हाइब्रिड बीज की खासियत यह है कि एक हेक्टेर में 30 क्विंटल मेथी और मंगरेला तैयार होगा. इसके बाद जीरा, गोल मरिच, लहशन और सौंप के साथ-साथ अन्य मसाले की भी खेती शुरू की जाएगी.

सारण
इलाके के किसानों से बात करते तारकेश्वर तिवारी

किसान होंगे खुशहाल
तारकेश्वर तिवारी ने कहा कि खेती के क्षेत्र में कई किसान प्रयोग करना चाहते हैं, लेकिन पूंजी और प्रशिक्षण के अभाव में कुछ नहीं कर पा रहे हैं. सरकार के स्तर से कुछ मदद जरूर की जाती है, लकिन यह नाकाफी साबित होती है. आज किसानों की दशा बहुत बुरी है. प्रशिक्षण लेकर मसाले की खेती करने वाले किसानों के जीवन में खुशहाली आएंगी.

बिहार किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष से खास बातचीत

मसाले का निकाला जाएगा तेल
तारकेश्वर तिवारी ने कहा कि किसानों को अधिक फायदा हो इसके लिए मसाले को बेचने की वजाय इससे तेल निकाला जाएगा. मशाले का तेल काफी मंहगी बिकती है. उन्होंने कहा कि 2.5 क्विंटल मेथी की फसल से एक किलो तेल निकलता है. जिसकी कीमत 30 हजार रुपये प्रतिकिलो है. इन तेलों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है.

सारण
ईटीवी से बात करते तारकेश्वर तिवारी

करेंगे फूल की भी खेती
किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि फिलहाल चार किसानों को प्रशिक्षण के लिए बैंगलोरऔर राजस्थान भेजा गया है. सारण से मसाले की खेती की शुरूआत की जा रही हैं. फिर राज्य के दूसरे जिले के लोगों को भी इससे जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा की बाद में हम फूल की भी खेती करेंगे. 15 प्रजाति के फूलों की खेती करने की योजना है.

Intro:एक्सक्लुसिव
डे प्लान वाली ख़बर हैं
SLUG:-SPICE FARMING WILL START IN SARAN
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR

Anchor:-बिहार का सारण जिला जल्द ही दक्षिण भारत से जुड़ने वाला है क्योंकि अब यहां के किसान मशालें की खेती कर अपने ज़िले को भारत के मानचित्र पर रखने की ठान ली हैं प्रयोग के तौर पर अगले महीने से शुरू की जाएगी काली मिर्च की खेती जिसके लिए बैंगलोर से लगभग एक हज़ार पौधे लाये जाने है इतना ही नही बल्कि प्रगतिशील किसान अशोक कुमार को प्रशिक्षण लेने के लिए भी भेज दिया गया हैं. मशालें की खेती करने के लिए सबसे पहले काली मिर्च से शुरुआत होनी हैं हलांकि काली मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर दक्षिणी भारत के कई राज्यों में की जाती है लेकिन अब सारण जिले में भी काली मिर्च की खेती के लिए प्रयोग शुरू कर दिया गया हैं.




Body:इस संबंध में कई प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजे गए बिहार के ख्यातिप्राप्त किसान नेता व सारण के रूसी गांव निवासी तारकेश्वर तिवारी ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लुसिव बात चीत के दौरान बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों की तरह सारण जिले में भी काली मिर्च की खेती की शुरुआत हो गई हैं लेकिन अभी प्रयोग के तौर पर इसे कई जगह लगाया गया है यदि प्रयोग सफल रहा तो इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ ही यहां के प्रगतिशील किसान आत्मनिर्भर भी होंगे जो काली मिर्च की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है जिसके माध्यम से मुनाफ़े के साथ ही भारत के मानचित्र पर सारण का नाम भी अंकित हो सकता है.

आम तौर पर खाने में सब्जियों का बहुत ज्यादा महत्व माना जाता हैं जिसमें मुख्य रूप से मशाले के रूप में प्रयोग होने वाली काली मिर्च की खेती छायादार पेड़ के नीचे की जा सकती है सबसे बड़ी खास बात यह है कि घरों में रखे छोटे-छोटे गमले, प्लास्टिक की बड़ी बाल्टी में भी इसे आसानी से लगाया जा सकता है क्योंकि यह एक लता किस्म की होती है जो पेड़ो के सहारे फैलती है. इसे बार बार लगाने की जरूरत नहीं पड़ती हैं केवल एक बार लग जाये तो कई वर्षों तक इससे फल निकलते रहता है इसका फल अंगूर के गुच्छे की तरह होता है जिसमें लालिमा आने के बाद तोड़ कर धूप में सुखाया जाता है और इसे अच्छी तरह से पैकिंग कर खुले बाज़ारों या बड़ी मंडियों में निर्यात भी किया जा सकता हैं इतना ही नही बल्कि इसका तेल भी निकाला जा सकता हैं जो आयुर्वेद की दवा बनाने में इसका उपयोग किया जाता हैं.


Byte:-तारकेश्वर तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार किसान संगठन.

श्रीराम राय, स्थानीय मुखिया
धर्मेन्द्र कुमार रस्तोगी


Conclusion:वैसे तो मौषम के अनुरूप ही काली मिर्च की खेती की जाती हैं लेकिन 10 से 40 डिग्री के अंदर ही तापमान की जरूरत पड़ती है जो सामान्यतः इस तरह के तापमान सारण जिले में आम तौर पर रहता है, इसलिए काली मिर्च की खेती के लिए यहां का तापमान लगभग अनुकूल माना जाता है, मुख्य रूप से काली मिर्च की दो प्रजातियां होती हैं जिसमें काली व सफेद रंग की होती हैं जो दोनों प्रजातियां अच्छी होती हैं लेकिन काली मिर्च की खेती के लिए ही सारण जिला का चयन किया गया है.


अगले महीने दक्षिण भारत के केरल राज्य से मशालें की खेती करने के लिए काली मिर्च के लगभग एक हजार पौधे लाये जाने है हालांकि पहली बार बहुत कम पौधे मंगाया जा रहा है क्योंकि एक पौधे की कीमत लगभग दो सौ रुपये आ रही है, लेकिन ज्यादा संख्या में पौधे मंगाए गए तो इसकी लागत खर्च में भी कमी आ सकती है जिससे यहां के किसानों के ऊपर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा, आगे उन्होंने कहा कि अगर मेरे प्रयोग सफल रहा तो आने वाले दिनों में सारण के साथ ही बिहार के किसानों की दशा व दिशा बदलने में समय नही लगेगा और हरियाणा व पंजाब की तरह यहां के किसान आत्मनिर्भर हो सकते है.

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