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हर सावन में 1 क्विंटल लाल मिर्च से हवन, 12 साल से फूल-पत्ती खाकर जिंदा है ये बाबा

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Published : Jul 28, 2022, 7:02 AM IST

Updated : Jul 28, 2022, 8:57 PM IST

Havan With Red Chillies In Bihar
Havan With Red Chillies In Bihar

घर में अगर दाल छौंका जाए तो खांसते-खांसते हालत खराब हो जाती है लेकिन बिहार के छपरा में एक बाबा (Jairam Das Of Chapra) ऐसे हैं जो सावन के महीने में 1 क्विंटल सूखी लाल मिर्च से हवन करते हैं. इतना ही नहीं बाबा का दावा है कि उन्होंने 12 साल से भोजन नहीं किया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

छपरा: कई ऐसी खबरें सामने आती रहती हैं जिसपर यकीन कर पाना मुश्किल होता है. अजब गजब खबरों से लोग हैरान हो जाते हैं. आज हम आपको ऐसी ही हैरान करने वाली एक और घटना से रूबरू कराने जा रहे हैं. जिले के पानापुर में इन दिनों एक बाबा काफी सुर्खियों में हैं. लोगों का दावा है कि बाबा के पास अलौकिक शक्तियां हैं. इस बाबा ने 12 वर्ष से भोजन ग्रहण नहीं (No Food For Twelve Years In Chapra) किया है. वह 12 वर्ष से फूल पत्ती खाकर जीवित रहने का दावा करते हैं और लोगों की समस्याओं का निदान करते हैं.

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लाल मिर्च का करते हैं हवन: बाबा की एक सबसे बड़ी खासियत है कि सावन में वे 3 दिन एक क्विंटल लाल मिर्च का हवन ( Havan With Red Chillies In Bihar) करते हैं. यहां के लोग इन्हें संत की उपाधि दिए हुए हैं. उनका कहना है कि बाबा उनकी सारी समस्याओं का निवारण करते हैं. यह बाबा सारण जिले के पानापुर रकौली में रहते हैं. इनका नाम संत जयराम दास उर्फ बेलपतिया बाबा (Bipatia Baba Of Bihar) है. इनकी उम्र लगभग 45 साल है.

'ब्रह्मांड को बचाने के लिए करता हूं मिर्च का हवन': संत जयराम दास पानापुर के रकौली दक्षिणेश्वरी काली मंदिर में रहते हैं और बाबा भगवान भोलेनाथ और मां काली की पूजा करते हैं. मिर्च के हवन में बाबा का कहना है कि वायुमंडल को शुद्ध करने के लिए और बुरी शक्तियों से ब्रह्मांड को बचाने के लिए वह मिर्च का हवन करते हैं जो बाबा 12 वर्षों से बराबर करते आ रहे हैं.

"मैं भोजन नहीं करता हूं. फूल पत्ती मेरा आहार है. अकवन का पत्ता-फूल खाते हैं. किसी प्रकार की समस्या हो, घर में भूत प्रेत हो या कोई भी बाधा हो इस हवन से लोगों का कल्याण होता है. समस्याएं दूर होती हैं. भक्तों की तकलीफ दूर होती है."- संत जयराम दास उर्फ बेलपतिया बाबा

12 सालों से बिना भोजन के रहने का दावा: वहीं लोगों का कहना है कि बाबा से जो लोग भी अपना दुख प्रकट करते हैं. बाबा निवारण करने का दावा करते हैं. हालांकि 12 वर्षों से बिना अन्य खाए रहना अपने आप में अचंभे का विषय है लेकिन, अध्यात्म और बैराग में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. आदमी बिना गुलकोज के 2 सप्ताह तक जीवित नहीं रह सकता तो भला बाबा ऐसे फूल पत्तियों का सेवन करके कैसे जिंदा है? यह सवाल उठना लाजमी है. लेकिन दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि बाबा जो फूल पत्तियों का सेवन करते हैं उसमें शरीर को उचित मात्रा में सभी विटामिंस और मिनरल्स मिलते हैं.

लाल मिर्च से हवन करने की प्रथा: छपरा के बाबा लाल मिर्च का हवन करते हैं लेकिन मिर्च का हवन करने की परंपरा का निर्वहन और भी कई स्थानों में किया जाता है. कर्नाटक के तीक्ष्ण प्रत्यंगिरा देवी मंदिर में अमावस्या की रात को इसी तरह से मिर्ची का हवन करने की परंपरा है. मान्यता है कि इस तरह के हवन से देवी देवता खुश होते हैं. साथ ही दीर्घायु के लिए भी इस हवन को खास तौर से करने की प्रथा है.

शत्रुओं का नाश करने के लिए हवन : वहीं छत्तीसगढ़ के मां बांम्बलेश्वरी के मंदिर में भी लाल मिर्च से हवन की परंपरा रही है. शत्रुओं का नाश करने के लिए यहां प्राचीन काल से हवन किया जाता रहा है. इसके साथ ही मिठाई, सब्जी और फलों का भी हवन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

बोले डॉक्टर- 'मेडिकल टीम करे स्वास्थ्य जांच': बाबा के इस दावे पर पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि बाबा के दावों की सत्यता की जांच की जानी चाहिए. 12 वर्षों तक बिना अन्न और बिना फल खाए रहना अपने आप में एक आश्चर्य की बात है. ऐसे में मेडिकल बोर्ड बैठाकर इनके स्वास्थ्य की जांच की जानी चाहिए. घास फूस और पत्तियों को पचाने के लिए सेल्यूलोज इंजाइम की आवश्यकता होती है. यह अपेंडिक्स के पास से निकलता है जो प्रायः जानवरों के पास होता है लेकिन सुमन एवोल्यूशन के बाद मनुष्य के खानपान में बदलाव हुए हैं और सैकड़ों वर्षो से अपेंडिक्स के पास का सेल्यूलोज एंजाइम निष्क्रिय हो गया. बाबा जैसा कि बताते हैं कि वह चाय पीते हैं, तो चाय में दूध भी मिल जाता है और चीनी भी मिल जाती है. इससे कहीं ना कहीं प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और फैट की आवश्यकता शरीर में पूरी होती है.

"बाबा इस प्रकार दावा करते हैं तो मेडिकल बोर्ड बैठा कर उनके शरीर की जांच की जानी चाहिए. जांच के माध्यम से पता लग सकता है कि क्या फूल पत्ती को चबाने के लिए उनके शरीर में अपेंडिक्स के पास का सेल्यूलोज एंजाइम निकलने वाला सिस्टम तो सक्रिय नहीं हो गया, या फिर इसका कोई अल्टरनेट शरीर में मौजूद तो नहीं. क्योंकि सामान्य आदमी अधिक फूल पत्ता और घास नहीं पचा सकता है. अगर उनके दावे सच है तो मेडिकल साइंस के लिए यह एक अनोखा विषय होगा."- डॉ दिवाकर तेजस्वी,वरिष्ठ चिकित्सक

वहीं इस मसले पर पर्यावरण विद् धर्मेन्द्र जी ने कहा कि हवन से वायुमंडल कभी शुद्ध नहीं होता है. वातावरण को शुद्ध करने के लिए हमे पीपल और नीम के पेड़ को लगाना चाहिए. तभी जाकर हम शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते हैं.

Last Updated :Jul 28, 2022, 8:57 PM IST
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