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यह राज परिवार 135 सालों से करता आ रहा है मां दुर्गा की आराधना, अष्टमी को होती है विशेष पूजा

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Published : Oct 11, 2021, 9:47 AM IST

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समस्तीपुर में एक परिवार 135 सालों से दुर्गापूजा मनाता आ रहा है. मूल रूप से दरभंगा जिला निवासी यह परिवार बगैर किसी की सहायता से पूरी आस्था के साथ पूजा करता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

समस्तीपुर: आज नवरात्रि का छठा दिन (Sixth Day Of Navratri) है. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है. नवरात्रि के नौ दिन अलग-अलग रूपों में विराजमान देवी की पूजा की जाती है. वहीं बिहार के समस्तीपुर जिले में एक ऐसा परिवार है, जो पिछले 135 सालों से दुर्गापूजा मनाता आ रहा है. लोगों की मान्यता है कि मां के दरबार में मांगी गई सभी मन्नतें जरूर पूरी होती है.

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मूल रूप से दरभंगा जिला निवासी यह परिवार सन् 1896 से बहादुरपुर डयोढ़ी में काफी सादगी व भक्तिमय माहौल में दुर्गापूजा करता आ रहा है. तब से लेकर आज तक यह परिवार बगैर किसी चंदा की मदद से पूरे आस्था के साथ माता की अराधना कर रहा है. जहां प्रत्येक वर्ष माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

देखें रिपोर्ट.

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राज परिवार के सदस्य दिनेश्वर सिंह के अनुसार उनके दादा मोदेश्वर सिंह समस्तीपुर में बैरिस्टर व डिप्टी कलेक्टर थे. उन्होंने 135 वर्ष पूर्व ही इस ड्योढ़ी पर माता की प्रतिमा बनाकर आराधना की शुरुआत की थी. जिसके बाद से यहां आज भी माता की अराधना की जाती है. लोगों का कहना है कि यहां अष्टमी को होने वाली विशेष पूजा के दिन माता के दरबार में पहुंचे सभी भक्तों की मनाकामनाएं जरूर पूरी होती है.


'मेरे अनुभव के हिसाब से यहां 135 सालों से पूजा की जा रही है. इसकी शुरुआत मेरे दादाजी ने किया था. वे यहीं समस्तीपुर में ही पोस्टेड थे. हमलोग राज परिवार से जुड़े हुए हैं. यह पूजा निजी तौर पर की जाती है. किसी अन्य से सहयोग नहीं लिया जाता है.' -दिनेश्वर सिंह, राज परिवार सदस्य

बता दें कि आज नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा की जा रही है. शास्त्रों के अनुसार, देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री हैं. मान्यता यह है कि कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया. इसीलिए मां के छोटे स्वरूप देवी कात्यायनी के रूप में पूजा की जाती है.

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