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बिहार की बेटी लक्ष्मी झा ने रचा इतिहास, माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया तिरंगा

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Published : Nov 27, 2022, 7:45 PM IST

सहरसा की बेटी ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया तिरंगा,
सहरसा की बेटी ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया तिरंगा,

सहरसा की बेटी ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा लहराया है. और वो बिहार की पहली बेटी बनी हैं, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा लहराया (Laxmi Jha Reach Mount Everest) है. सहरसा की बेटी लक्ष्मी झा ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा लहराया है. उनको इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां सरिता देवी का काफी सहयोग रहा है. जिनकी प्रेरणा से लक्ष्मी ने एवरेस्ट पर फतह करने में सफलती पाई. पढ़ें पूरी खबर...

सहरसा: माउंट एवरेस्ट तक पहुंचने वाली बिहार की पहली बेटी लक्ष्मी झा बनी हैं. काला पत्थर पीक पहुंचकर उन्होंने तिरंगा फहराया (Tricolor Hoisted At Mount Everest Base Camp) है. बिहार के सहरसा का कोसी का इलाका अपने शुरुआती दौर से ही समृद्धि और ज्ञान का भंडार रहा है. यहां एक से एक विभूतियों ने सहरसा और कोसी का नाम देश-दुनिया तक पहुंचाया है. अब इसी कड़ी में जिले के बनगांव की बेटी लक्ष्मी झा ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. वे मात्र 9 दिन के अंतराल में ही नेपाल स्थित काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर तिरंगा झंडा को फहराया है. जिसके बाद वे एवरेस्ट तक पहुंचने वाली बिहार की पहली बेटी बनी है, जिससे बिहार के नाम के साथ-साथ जिले का नाम रौशन हुआ है.

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माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा फहराया : बताया जाता है कि लक्ष्मी झा के इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां सरिता देवी का काफी सहयोग रहा है. जिनकी प्रेरणा एवरेस्ट पर फतह करने में उनका सहायक बनी. दरअसल, बनगांव निवासी स्व० विनोद झा और सरिता देवी के चार बच्चों में सबसे छोटी लक्ष्मी झा जब बच्ची थी तभी उनके पिता की मौत हो गई. रोजी-रोटी का कोई सहारा नहीं होने के कारण उसकी मां गांव के ही कई घरों में चूल्हा-चौका संभालकर परिवार की गाड़ी खिंचती रही. साथ ही चारों बच्चों का लालन-पालन भी करती रही. लक्ष्मी ने काफी मेहनत से पढ़ाई कर मैट्रिक और इंटर के बाद बीए की परीक्षा पास किया. फिर ग्रुप डी की परीक्षा को पास कर पटना स्थित सचिवालय में सहायक कर्मचारी बनी.

मां की प्रेरण से बेटी को मिली कामयाबी : वर्ष 2019 में उन्होंने सचिवालय में नौकरी प्राप्त की. जहां से वे अपने सपने एवरेस्ट पर चढ़ने की ओर कदम बढ़ाया. जिसके बाद उनकी जिंदगी में बदलाव आया. उनका नामांकन उत्तराखंड स्थित पर्वतारोहण के नेहरू इंस्टिट्यूट में हुआ. जहां से वर्तमान में हरियाणा में पदस्थापित डीएसपी अनीता कुंडुन से उनकी मुलाकात हुई. जिनके सहयोग और मार्गदर्शन से वे आगे बढ़ती रही. जिसके बाद बीते दिनों नेपाल स्थित काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई को पूरा किया. हालांकि वे एवरेस्ट की शिखर तक नहीं पहुंची है. चूंकि एवरेस्ट शिखर तक जाने में 40 से 45 लाख रुपए के खर्च के साथ कड़े अभ्यास की आवश्यकता है. वे फिलहाल दोनों ही स्थिति में अपने आपको सुरक्षित नहीं महसूस कर पा रही हैं लेकिन उनकी इच्छा एवरेस्ट के शिखर पर भारत के झंडे को फहराना है.

माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया तिरंगा : गौरतलब है कि बिहार में पर्वतारोहण के लिए कोई ट्रेनिंग सेंटर ही कार्यरत नहीं है. ऐसे में बिहार के लोगों को पर्वतारोहण की ट्रेनिग लेने के लिए दूसरे राज्य का सहारा लेना पड़ता है. जिससे यहां के बेटे- बेटियां काफी पिछड़ जाती हैं. ऐसे में लक्ष्मी झा ने अपने जुनून और सपने को साकार करते हुए काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंची हैं. ऐसे में लक्ष्मी झा ने अपने जुनून और सपने को साकार करते हुए काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंची हैं. वे कहती हैं कि अगर आर्थिक मदद मिले तो वे एक दिन एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचकर तिरंगा को जरूर फराएंगी.

'अगर आर्थिक मदद मिले तो वे एक दिन एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचकर तिरंगा को जरूर फराएंगी.' - लक्ष्मी झा, पर्वतरोही

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