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सदर अस्पताल की बदहाली: गर्मी में खराब पड़े हैं पंखें और चापाकल, मरीज त्रस्त

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Published : May 10, 2019, 6:18 AM IST

सदर अस्पताल

सीमांचल के एम्स के नाम से मशहूर कोसी व सीमांचल के इस सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना सात जिलों के तकरीबन हजारों पेसेंट आते हैं. फिर भी यहां अव्यवस्था दिखी.

पूर्णिया: जिले के सदर अस्पताल में बदहाली चरम पर है. इस भीषण गर्मी में ना तो यहां मरीजों के लिए व्यवस्था है और ना पंखें की. सुविधाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाले सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

ईटीवी भारत की तफ्तीश के दौरान अस्पताल में मौजूद ज्यादातर नल और वाटर प्यूरीफायर आउट ऑफ सर्विस पाए गए. मरीजों को अपनी प्यास बुझाने के लिए आसपास के होटलों, मंदिर या फिर बिसलेरी के बोतलों का सहारा लेना पड़ रहा है.

सदर अस्पताल की बदहाली

बद से बदत्तर दिखे हालात
सीमांचल के एम्स के नाम से मशहूर कोसी व सीमांचल के इस सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना सात जिलों के तकरीबन हजारों पेसेंट आते हैं. फिर भी यहां अव्यवस्था दिखी. पड़ताल के दौरान अस्पताल के चापाकलों से एक बूंद तक नहीं गिरी. ताज्जुब की बात तो यह है कि भीषण गर्मी के बावजूद आइसोलेशन विभाग में पंखे नदारद हैं. यहां मरीज हाथ से पंखा झेलते दिखे.

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खराब पड़ा वाटर प्यूरीफायर

ठप पड़ी हैं मशीनें

अस्पताल परिसर में कुल 5 हैंडपंप लगे हैं, जिसमें से 4 ठप हैं. वहीं कुल 3 वाटर प्यूरिफायर हैं, जिनमें से दो आउट ऑफ वर्क पाए गए. ताज्जुब की बात तो यह है कि भीषण गर्मी के बावजूद अस्पताल के कई खराब पंखें नहीं बदले गए. इस कुव्यवस्था से मरीज काफी परेशान हैं.

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चापाकल ठप

क्या कहते हैं परिजन?
मरीजों के परिजनों की मानें तो बीते कुछ दिनों में तेजी से पारा चढ़ा है. बावजूद अस्पताल में पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. एक नल काम भी कर रहा है तो उससे निकलने वाला पानी पीने योग्य नहीं है. मरीज को छोड़कर बाहर से पानी लाना इनके लिए काफी चुनौतियों भरा साबित हो रहा है. इनकी मानें तो पानी लाने के लिए बाहर जाते वक्त भी इन्हें अपने मरीज की स्थिति बिगड़ जाने का डर सताता है.

व्यवस्था सुधारने का दिया आश्वासन
इस बाबत जब सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर मधुसूदन प्रसाद से पूछा गया तो उन्होंने समस्या को स्वीकार किया. साथ ही बेहद जल्द सभी खराब पड़े नल, वाटर प्यूरीफायर और पंखों को ठीक कर समस्या को निबटाने की बात कही.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive report।

सुविधाओं को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाले सदर अस्पताल से बदइन्तेजामी की कड़वी सच्चाई कैमरे के सामने आई है। जहां ईटीवी भारत की तफ्तीश में अस्पताल में मौजूद ज्यादातर नल और वाटर प्यूरीफायर आउट ऑफ वर्क पाए गए। मरीजों को अपनी प्यास बुझाने के लिए होटल ,मंदिर या फिर बिसलेरी के बोतलों का सहारा लेना पड़ रहा है। ताज्जुब की बात तो यह है कि भीषण गर्मी के बावजूद आइसोलेशन विभाग में पंखे न होने से हाथ के पारंपरिक पंखे ही यहां मरीजों का एक मात्र सहारा हैं। हालांकि ईटीवी के इस पड़ताल के बाद अस्पताल प्रबंधन की नींद खुली। सीएस ने संजीदगी से लेते हुए बेहद जल्द इस समस्या से निबटने की बात कही।


Body:दरअसल सूबे में बढ़ती बेतहासा गर्मी को देखते हुए ईटीवी भारत आज सदर अस्पताल की सुविधाओं की पड़ताल करने पहुंचा। लिहाजा इसके बाद तफ्तीश के इस क्रम में अस्पताल में मौजूद बदइन्तेजामी की जो तस्वीरें कैमरे के सामने आईं। वह हैरत में डालने वाली थी। खराब पड़े नल ,पंखे व अस्पताल प्रबंधन के उदासीन रवैये के बाद यहां लोगों का पारा बेतहासा बढ़ती गर्मी और चिलचिलाती धूप से भी कहीं ज्यादा गर्म था।



सीमांचल के एम्स के नाम से मशहूर कोसी व सीमांचल के इस सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना सात जिलों के तकरीबन हजारों पेसेंट के लिए जिले का रूख करते हैं। बावजूद इसके इस भीषण गर्मी में बदइन्तेजामी की जो तस्वीरें सामने आईं। वह हैरत में डालने वाली थीं। अस्पताल परिसर में लगे कुल 5 हैंडपंप नलों में से 4 नल खराब पड़ें हैं। वहीं अस्पताल परिसर में कुल 3 वाटर प्यूरिफायर लगे हैं। जिनमें से दो आउट ऑफ वर्क पाए गए। ताज्जुब की बात तो यह है कि भीषण गर्मी के बावजूद अस्पताल के कई खराब पंखें नहीं बदले गए। तो वहीं आइसोलेशन विभाग में भर्ती मरीज व उनके परिजनों का एक मात्र सहारा पारंपरिक पंखे ही हैं। जिसे लेकर मरीजों में खासी नाराजगी है।




मरीज के परिजनों की मानें तो बीते कुछ दिनों में तेजी से सूबे का पारा चढ़ा है। बावजूद अस्पताल में पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं। एक नल काम भी कर रहा है तो उससे निकलने वाला अधिक आयरन इफेक्टेड पानी पीने योग्य नहीं। और न ही किसी तरह की शीतल पेयजल की व्यवस्था है। लिहाजा इस भीषण गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए या तो वे किसी होटल या मंदिर में लगे नल का सहारा ले रहे हैं। या फिर बिसलेरी के बोतल खरीदने के अलावा इनके पास कोई दूसरा चारा नहीं।
मरीज को छोड़कर बाहर से पानी लाना इनके लिए काफी चुनौतियों भरा साबित हो रहा है। इनकी मानें तो पानी लाने बाहर जाते वक्त इन्हें अपने मरीज की स्थित बिगड़ जाने का दर भी सताता रहता है।



वहीं अस्पताल के आइसोलेशन विभाग में एडमिट किशनगंज से पूर्णिया सदरल अस्पताल पहुंची नाजिया बेगम की मानें तो यह बेतहासा गर्मी उन्हें बगैर बिजली के पंखे के ही गुजारनी पड़ रही है। अस्पताल प्रबंधन से लाखों शिकायतों के बाद भी जब इलेक्ट्रॉनिक पंखे नहीं लगाए गए। थक हारकर इन्होंने पारंपरिक पंखे ले आना ही ज्यादा बेहतर समझा। बीते दस दिनों से इस विभाग के आधा दर्जन मरीज इसी तरह भीषण गर्मी काटने को मजबूर हैं। वहीं मेल वार्ड के दो बेड़ों के पंखे कई रोज से खराब होने के कारण मरीजों का एक-एक पल काटना दूभर है।




इस वाबत सदर अस्पताल के अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर मधुसूदन प्रसाद ने ईटीवी भारत से बातचीत में इस समस्या को कुबूल किया। बेहद जल्द सभी खराब पड़े नल व वाटर प्यूरीफायर की मरम्मती कराकर पानी की इस समस्या को निबटाने की बात कही। वहीं पंखे की मरम्मती कराकर एक दो रोज के भीतर गर्मी की समस्या से निजात दिलाने की बात कही।


Conclusion:
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