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पूर्णिया के मुन्ना को मिले स्पैनिश मां-बाप, अडॉप्शन सेंटर 'कारा' और भारत का किया शुक्रिया

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Published : Jul 3, 2019, 10:49 PM IST

स्पेनिश दंपती मार्टिन प्लांटे और एस्टर डेल पर्ल सेरा को अडॉप्शन सेंटर 'कारा' ने संतान सुख दिया है. 20 साल की शादी के बाद भारत के मुन्ना को दोनों ने गोद लिया है.

मार्टिन और एस्टर के साथ मुन्ना

पूर्णिया: जिले के अडॉप्शन सेंटर 'कारा' की मदद से सात समंदर पार स्पैनिश दपंति मार्टिन प्लांटे और एस्टर डेल पर्ल सेरा के रुप में, भारतीय मूल के बच्चे मुन्ना को मां-बाप का प्यार मिलेगा.

हजारों किमी का लंबा सफर तय करके पहुंचे स्पेन से भारत
कुछ साल पहले भारत आए इस स्पेनिश जोड़े को रंग-बिरंगी संस्कृति वाला भारत इस कदर भाया कि बच्चा एडॉप्ट करने के ख्याल से मार्टिन और सेरा ने इंडिया को चुना. सात समंदर पार का फासला तय कर स्पेन से पूर्णिया तक का सफर इस स्पेनिश व कनेडियन जोड़े के लिए इतना आसान नहीं था. पूरी अडॉप्शन प्रोसेस में इनके इंडियन फ्रेंड जमाल मुर्शिद ने इनकी बहुत मदद की. हजारों किमी का लंबा सफर तय करके ये विदेशी जोड़ा पूर्णिया भट्टा बाजार स्थित कारा एडॉप्शन सेंटर पहुंचा.

स्पैनिश दंपति को 'कारा' की मदद से मिला संतान सुख

अडॉप्शन सेंटर 'कारा' और भारत का शुक्रिया-मार्टिन
पति मार्टिन और पत्नी एस्टर डेल पर्ल सेरा की मानें तो तकरीबन 20 साल पहले ये जोड़ा शादी के अटूट बंधन में बंधा. मार्टिन के साथ सेरा शादी के बाद भारत घूमने आईं. तभी इस नवविवाहित जोड़े को इंडिया भा गया. एडॉप्शन में दो साल का वक़्त लगा. तमाम कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद दो साल का मुन्ना इस स्पेनिश दंपत्ति को सौंप दिया गया. बच्चे को गोद लेने के बाद मार्टिन ने अडॉप्शन सेंटर 'कारा' भारत, अपने दोस्त जमाल का शुक्रिया किया.

purnea child adoption
मार्टिन और एस्टर के साथ मुन्ना

मुन्ना को हमेशा याद रखनी है अपनी भारतीय पहचान-एस्टर
2 साल के लंबे इंतेजार के बाद मिली खुशी से स्पेनिश जोड़ा फुला नहीं समा रहा. इनकी खुशी और भारत के प्रति इनके लगाव का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने मुन्ना का भारतीय नाम बदलने से इंकार कर दिया है.एस्टर कहती हैं कि चूंकि मुन्ना भारतीय है उसे अपनी पहचान हमेशा याद रखनी है.

purnea child adoption
अडॉप्शन सेंटर 'कारा' के साथ मार्टिन और एस्टर

क्या है 'कारा'
दरअसल समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान कारा एक ऐसी संस्था है, जो 0-9 साल तक के लावारिस बच्चों का लालन -पालन करती है. यहां बच्चों की देखभाल से लेकर स्वास्थ्य, मनोरंजन व पढ़ाई से जुड़ी सुविधाओं के लिए आधे दर्जन से अधिक स्टाफ लगाए गए हैं. वहीं अब तक यह संस्था 12 से अधिक बच्चों को गोद दे चुका है।

Intro:आकाश कुमार(पूर्णिया)
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जन्म लेने पर आज से चंद साल पहले वे क्रूर मां-बाप जो मुन्ना को किसी सुनसान सड़क पर छोड़ गए थे। बच्चे गोद देने वाली संस्था 'कारा' की कृपा से अब वह सात समंदर पार स्पेन में पलेगा। दरअसल चंद साल पहले भारत आए इस स्पेनिश जोड़े को रंग-बिरंगी संस्कृति से फला-फुला भारत इस कदर लुभा गया,
कि कनेडियन- स्पेनिश जोड़े के जहन में जब एक बच्चा एडॉप्ट करने का ख्याल आया तो भारत से अपने रिश्तों को और मजबूती देते हुए मार्टिन व सेरा ने इंडिया को चुना। बगैर वक़्त गवाए सालों के इंतेजार के बाद आज एडॉप्शन के लिए स्पेन से सीधे पूर्णिया चले आए।







Body:दरअसल सात समंदर पार का फासला तय कर स्पेन से पूर्णिया तक का सफर इस स्पेनिश व कनेडियन जोड़े के लिए इतना आसान नहीं था। इस विदेशी जोड़े व कोलकाता के मालदा में रहने वाले इनके इंडियन फ्रेंड जमाल मुर्शिद की मानें तो भारतीय बच्चे को गोद लेकर इंडिया के साथ एक नए और मजबूत रिश्ते की शुरुआत करने को लेकर स्पेन इस विदेशी दंपत्ति को बड़ी ही बेसब्री से इंतेजार था। लिहाजा जैसे ही बच्चे गोद देने वाली इंडिया की जानी-मानी संस्था 'कारा' की ओर से एडॉप्शन के सारे दरवाजे खुले। मीलों के सफर के बाद यह जोड़ा स्पेन की फ्लाइट से सीधे इंडिया पहुंचा।



इस तरह दिल्ली से एक नई फ्लाइट लेकर यह विदेशी जोड़ा सीधे बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचा। वहीं पूर्णिया भट्टा बाजार स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान तक पहुंचने में गूगल मैप ने अहम भूमिका निभाई। इस तरह इस जोड़े को स्पेन से दिल्ली इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे तक के 7,937 किलोमीटर के सफर को तय करने में 15 घण्टें लगे। वहीं दिल्ली से कोलकाता स्थित बागडोगरा एयरपोर्ट तक पहुंचने में तकरीबन 1200 किलोमीटर और यहां से एनएच व टाउन सड़क के रास्ते पूर्णिया भट्टा बाजार स्थित एडॉप्शन सेंटर तक पहुंचने में करीब 160 किलोमीटर के 4 घण्टें का सफर तय करने में कुल मिलाकर तकरीबन 9300 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ा।



स्पेन से पूर्णिया पहुंचे कनेडियन मूल के मार्टिन प्लांटे व स्पेनिश मूल की एस्टर डेल पर्ल सेरा की मानें तो तकरीबन 20 साल पहले ये जोड़ा शादी के अटूट बंधन में बंधा। और मार्टिन अपनी वाइफ के साथ स्पेन में रहने लगे। एस्टर की मां का इंडिया की आर्थिक राजधानी मुंबई से गहरा नाता था। लिहाजा एस्टर व उनकी मां का मुंबई सहित बाकी स्टेट्स में हमेशा ही आना-जाना लगा रहा था। वहीं दूसरी ओर समृद्ध परंपरा और सम्पन्न संस्कृति वाले भारत से स्पेनिश मूल की एस्टर सेरा भी कहां बचने वाली थीं। लिहाजा मार्टिन के साथ सेरा शादी के बाद भारत घूमने आई । तब इस नवविवाहित जोड़े को इंडिया इस कदर लुभा गया, कि इस स्पेनिश जोड़े को के जहन में जब बच्चे गोद लेने का ख्याल आया। बगैर वक़्त गवाए इस जोड़े ने इंडिया में रह रहे एक दोस्त की मदद ली।




लिहाजा कोलकाता के मालदा में रह रहे जमाल मुर्शिद ने इस स्पेनिश जोड़े को ऑनलाइन प्रक्रियाओं के तहत कानूनी रूप से बच्चे गोद देने वाली संस्था 'कारा' की जानकारी दी। इस विदेशी जोड़े की मानें तो बच्चों के एडॉप्शन में दो साल का वक़्त लगा। तमाम कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद दो साल का मुन्ना इस स्पेनिश दंपत्ति को सौप दिया गया।



2 साल का इंतेजार ही सही 'कारा' के कमाल से यह स्पेनिश जोड़ा फुला नहीं समा रहा। इस दंपत्ति की ख़ुशी व भारत के प्रति लगाव का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि की इस विदेशी जोड़े ने भारतीय मूल के मुन्ना के बेहतर देखभाल के लिए हिंदी सीखनी और बोलनी शुरू कर दी है। इस जोड़े ने इस नायाब तोहफे के लिए इंडिया को ईटीवी के कैमरे पर हिन्दी में शुक्रिया भारत कहा।


जानिए क्या है दत्तक संस्थान....

दरअसल समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान एक एक ऐसी संस्था है। जो 0-9 साल के के लावारिश बच्चों का लालन -पालन करती है। यहां बच्चों की देखभाल से लेकर स्वास्थ्य, मनोरंजन व पढाई से जुड़ी सुविधाओं के लिए आधे दर्जन से अधिक स्टाफ लगाए गए हैं । वहीं अब तक यह संस्था 12 से अधिक बच्चों को गोद दे चुका है।





Conclusion:
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