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देखिए किस तरह का दिख रहा भारत बंद का पूर्णिया में असर

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Published : Sep 27, 2021, 11:29 AM IST

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केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है. हालांकि पूर्णिया में भारत बंद का व्यापक असर देखने को नहीं मिल रहा है. भाकपा माले के नेता और कार्यकर्ता ही लाल झंडे के साथ सड़कों पर देखे जा रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

पूर्णिया: कृषि कानून बिल (Agricultural Law Bill) के खिलाफ बिहार के पूर्णिया (Bharat Bandh In Purnia) में आज भाकपा-माले के कार्यकर्ताओं ने सुबह से ही सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. हालांकि इस भारत बंद का समर्थन विपक्ष के सभी पार्टी ने देने का आह्वान किया था. लेकिन पूर्णिया की सड़कों पर सिर्फ भाकपा माले के कार्यकर्ता लाल झंडे के साथ देखे जा रहे हैं. सड़क पर न तो राजद, न तो कांग्रेस और न ही जाप के कार्यकर्ता देखे गए.

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केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ अपने आंदोलन को और भी मजबूत करने के लिए आज किसान संगठन ने भारत बंद का आह्वान किया है. इनके समर्थन में सरकार के विपक्ष के सभी पार्टी ने समर्थन देने की बात कही थी. लेकिन पूर्णिया के सड़क पर इस बंदी का कोई खासा असर देखने को नहीं मिल रहा है.

देखें रिपोर्ट.

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भारत बंद को लेकर सिर्फ भाकपा माले नेता और कार्यकर्ता ही सड़क पर देखे जा रहे हैं. रोज की तरह छोटी-बड़ी वाहन भी चलते देखी जा रही है. भाकपा माले नेता से पूछे जाने पर कहा कि समर्थन, तो सभी लोगों का है. कुछ देर में सड़क पर सभी लोग उतरेंगे. माले पार्टी शुरू से समर्थन में सबसे आगे रहती है. हालांकि सड़क पर पुलिस प्रशासन भी नहीं देखे जा रहे हैं. जिससे यह कहा जा सकता है कि पूर्णिया में नाम मात्र ही भारत बंद का समर्थन किया जा रहा है.

'अखिल भारतीय महासभा की ओर से हमलोग प्रदर्शन कर रहे हैं. अन्य पार्टी के लोग भी सड़क पर उतरेंगे. आज लगभग सभी जगह बंद है. लगभग 10 महीने से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन उनका कोई सुनने वाला नहीं है. मैं आज भारत बंद के दिन मांग करता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री किसानों को बुलाकर वार्ता करें. इसके साथ ही काला कृषि कानून को वापस लें. -निजामुद्दीन, माले नेता

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में आज 10 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है. इसे देखते हुए आज (सोमवार) पुलिस ने एतिहात के तौर पर कई जगहों पर यातायात सेवाएं बंद कर दी है. गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगभग एक साल से आंदोलन कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बीते दिनों किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा था कि तीन कृषि कानून जब तक वापस नहीं लिए जाते हैं तब तक वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे.

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