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'मौत की कीमत पर बच्चों को शिक्षा देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं', शिक्षक संघ ने की सरकार से ये अपील

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 8, 2024, 7:49 PM IST

Cold In Bihar: बिहार में ठंड का सितम जारी है. शीतलहर को देखते हुए बिहार के सरकारी स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है ताकि बच्चों को परेशानी ना हो. लेकिन शिक्षक संघ ने स्कूलों को बंद करने को लेकर बिहार सरकार से अनुरोध करते हुए कहा है कि अपने नीतिगत निर्णय पर पुनर्विचार करें. साथ ही कहा गया है कि ठंड के कारण बच्चों की मौत हो रही है और बेहोश हो रहे हैं.

टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने की सरकारी स्कूल बंद करने की मांग
टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ की सरकारी स्कूल बंद करने की मांग
बिहार में ठंड का असर

पटना: बिहार में ठंड का असर दिखने लगा है. कड़कड़ाती ठंड में सरकारी स्कूल खुले रहने के कारण इसका दुष्प्रभाव स्कूली बच्चों पर देखने को मिल रहा है. प्रतिदिन सरकारी विद्यालयों के दर्जनों बच्चे विभिन्न जगहों पर ठंड के कारण विद्यालय में ही बेहोश हो जा रहे हैं और इसके बाद शिक्षक परेशान हो जा रहे हैं.

बिहार में ठंड से मौत!: सोमवार को बरौनी, नालंदा समेत कई जिलों के विद्यालयों में एक बार फिर से ठंड के कारण बच्चे बेहोश हो गए, इसके बाद काफी परेशान दिखे. वही इस पूरे घटनाक्रम के लिए शिक्षक संगठन में सरकार की नीतिगत निर्णय को जिम्मेदार माना है. जबकि चिकित्सकों ने बच्चों को ठंड से बचने का सुझाव बताया है.

टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ का आरोप: टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने कहा कि बिहार के विभिन्न जिलों से अत्यधिक ठंड के कारण स्कूली बच्चों की मौत की खबरें सामने आ रहीं हैं. स्कूलों से बच्चों के बेहोश होने की खबरें सामने आ रही हैं. वह बिहार सरकार से अनुरोध करेंगे की अपने नीतिगत निर्णय पर पुनर्विचार करें.

"बच्चों के स्वास्थ्य से बढ़कर कोई बात नहीं हो सकती. मौत की कीमत पर बच्चों को शिक्षा देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है. कैमूर में 5 बच्चे ठंड की चपेट में आने के बाद से एडमिट हैं. जमुई, जहानाबाद जैसे जिलों से बच्चों की मौत की भी खबरें सामने आई है जो बेहद दुखद है. शासन प्रशासन और शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी को इस पर अविलंब संज्ञान लेना चाहिए."- राजू सिंह,प्रदेश संयोजक,टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ

डॉक्टर से जानें ठंड से बचाव के उपाय: वहीं वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि ठंड की चपेट में आने के लिए बच्चे हाई रिस्क जोन में होते हैं. इसका कारण यह है कि बच्चों के शरीर में चर्बी काफी कम मात्रा में होती है. ऐसे में यदि बच्चे अपने शरीर को गर्म कपड़े से ढके हुए नहीं है तो ठंड की चपेट में आ जाते हैं. ठंडी हवा जब शरीर में लगती है तो बच्चों में हाइपोथर्मिया का अटैक होता है. इसके बाद शरीर में कपकपी उखड़ जाती है और बच्चे बेहोश होकर गिरने लगते हैं.

"इससे बचने के लिए जरूरी है कि बच्चे खाली पेट स्कूल नहीं जाए और न्यूट्रिशस भोजन करें. इसके साथ ही फुल स्लीव के शर्ट और फुल पैंट पहनकर स्कूल जाएं और पैर में जुटा मोजा पहनें. ठंडी हवा के एक्सपोजर में बच्चे कम रहे इसके लिए क्लास रूम में भी खिड़की दरवाजों को दुरुस्त कर उसे बंद रखें ताकि तेज ठंडी हवाओं का संपर्क सीधे बच्चों के शरीर में ना हो. जिन विद्यालयों में खिड़कियां दरवाजे टूटे हुए हैं वहां बच्चों के हित में इसे मरम्मत करा कर दुरुस्त करने की आवश्यकता है."- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी,वरिष्ठ चिकित्सक

इसे भी पढ़ें- पटना में ठंड के कारण स्कूल संचालन का समय बदला, सुबह 9:30 से 3:30 बजे तक होगी पढ़ाई

बिहार में ठंड का असर

पटना: बिहार में ठंड का असर दिखने लगा है. कड़कड़ाती ठंड में सरकारी स्कूल खुले रहने के कारण इसका दुष्प्रभाव स्कूली बच्चों पर देखने को मिल रहा है. प्रतिदिन सरकारी विद्यालयों के दर्जनों बच्चे विभिन्न जगहों पर ठंड के कारण विद्यालय में ही बेहोश हो जा रहे हैं और इसके बाद शिक्षक परेशान हो जा रहे हैं.

बिहार में ठंड से मौत!: सोमवार को बरौनी, नालंदा समेत कई जिलों के विद्यालयों में एक बार फिर से ठंड के कारण बच्चे बेहोश हो गए, इसके बाद काफी परेशान दिखे. वही इस पूरे घटनाक्रम के लिए शिक्षक संगठन में सरकार की नीतिगत निर्णय को जिम्मेदार माना है. जबकि चिकित्सकों ने बच्चों को ठंड से बचने का सुझाव बताया है.

टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ का आरोप: टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने कहा कि बिहार के विभिन्न जिलों से अत्यधिक ठंड के कारण स्कूली बच्चों की मौत की खबरें सामने आ रहीं हैं. स्कूलों से बच्चों के बेहोश होने की खबरें सामने आ रही हैं. वह बिहार सरकार से अनुरोध करेंगे की अपने नीतिगत निर्णय पर पुनर्विचार करें.

"बच्चों के स्वास्थ्य से बढ़कर कोई बात नहीं हो सकती. मौत की कीमत पर बच्चों को शिक्षा देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है. कैमूर में 5 बच्चे ठंड की चपेट में आने के बाद से एडमिट हैं. जमुई, जहानाबाद जैसे जिलों से बच्चों की मौत की भी खबरें सामने आई है जो बेहद दुखद है. शासन प्रशासन और शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी को इस पर अविलंब संज्ञान लेना चाहिए."- राजू सिंह,प्रदेश संयोजक,टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ

डॉक्टर से जानें ठंड से बचाव के उपाय: वहीं वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि ठंड की चपेट में आने के लिए बच्चे हाई रिस्क जोन में होते हैं. इसका कारण यह है कि बच्चों के शरीर में चर्बी काफी कम मात्रा में होती है. ऐसे में यदि बच्चे अपने शरीर को गर्म कपड़े से ढके हुए नहीं है तो ठंड की चपेट में आ जाते हैं. ठंडी हवा जब शरीर में लगती है तो बच्चों में हाइपोथर्मिया का अटैक होता है. इसके बाद शरीर में कपकपी उखड़ जाती है और बच्चे बेहोश होकर गिरने लगते हैं.

"इससे बचने के लिए जरूरी है कि बच्चे खाली पेट स्कूल नहीं जाए और न्यूट्रिशस भोजन करें. इसके साथ ही फुल स्लीव के शर्ट और फुल पैंट पहनकर स्कूल जाएं और पैर में जुटा मोजा पहनें. ठंडी हवा के एक्सपोजर में बच्चे कम रहे इसके लिए क्लास रूम में भी खिड़की दरवाजों को दुरुस्त कर उसे बंद रखें ताकि तेज ठंडी हवाओं का संपर्क सीधे बच्चों के शरीर में ना हो. जिन विद्यालयों में खिड़कियां दरवाजे टूटे हुए हैं वहां बच्चों के हित में इसे मरम्मत करा कर दुरुस्त करने की आवश्यकता है."- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी,वरिष्ठ चिकित्सक

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