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Bihar Shikshak Niyojan: नई शिक्षक नियमावली की विसंगतियों को लेकर महासम्मेलन, आगे की रणनीति पर चर्चा

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Published : May 5, 2023, 4:32 PM IST

नई शिक्षक नियमावली के विरोध में मंथन करने व आगे आंदोलन की रणनीति बनाने शिक्षक (Teachers conference against new teacher manual ) राजधानी पटना के आईएमए हाॅल में जुटे थे. इस विरोध में भाकपा माले ने भी समर्थन किया है. इसमें माले विधायक महबूब आलम और संदीप सौरभ शामिल हुए और नई शिक्षक नियमावली के विरोध में अपनी बातों को रखा. पढ़ें पूरी खबर..

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नई शिक्षक नियमावली के लेकर शिक्षकों का सम्मेलन

पटना: बिहार सरकार के द्वारा शिक्षक नियोजन को लेकर जारी की गई नई नियमावली और नियमों के विरोध में राज्य भर के सभी शिक्षकों ने राजधानी के आईएमए हॉल में शुक्रवार को शिक्षकों का महासम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें सैकड़ों की संख्या में आए शिक्षकों ने राज्य सरकार के प्रति अपनी नाराजगी दिखाई, साथ ही आगे की रणनीति की चर्चा की गई. इस आयोजन में पूरे राज्य से आए सैकड़ों शिक्षक उपस्थित थे. इस कार्यक्रम का आयोजन बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा की तरफ से किया गया था. आयोजन के दौरान इन शिक्षकों और अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार के प्रति जमकर नारेबाजी भी की.

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बिना सिर-पैर की है नियमावली: आयोजन में हिस्सा लेते हुए पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि जो नई नियमावली आई है. इसका कोई सिर पैर नहीं है. सरकार इस नियमावली से क्या हासिल करना चाहती है? यह साफ नहीं हो रहा है. यह लिफाफेबाजी है कि पुराने शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी तो क्वालिटी एजुकेशन आ जाएगा. पूरे राज्य में चार लाख पुराने शिक्षक हैं. संदीप सौरभ ने कहा कि शिक्षक अपना अधिकार मांग रहे थे. 20 सालों से शिक्षक बहाल है. वह सरकार के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्यों को कर रहे हैं तो सरकार को उनका अधिकार देना चाहिए था. महागठबंधन के घोषणा पत्र में यह बात थी. इसलिए हमारी मांग है कि सरकार जो नियमावली लेकर आई है उसमें संशोधन किया जाए.

पुनर्विचार करे सरकार: संदीप सौरभ का यह भी कहना था कि एसी में बैठे हुए चंद आईएएस ऑफिसर से सरकार ने पॉलिसी बनवा ली है. जबकि हकीकत में क्या सच्चाई है और क्या जरूरत है ? इससे उनका बहुत मतलब नहीं है. इसलिए इसमें परीक्षा का प्रावधान किया गया था. इसलिए हमारी मांग है कि सरकार इस पर पुनर्विचार करें. बिना शर्त राज्य कर्मियों का दर्जा दे. नई बहाली जो लेनी है उसमें भले ही बात हो सकती है. नए शिक्षक सरकार को किस तरह के चाहिए इस पर बात हो सकती है.

"जो नई नियमावली आई है. इसका कोई सिर पैर नहीं है. सरकार इस नियमावली से क्या हासिल करना चाहती है? यह साफ नहीं हो रहा है. यह लिफाफेबाजी है कि पुराने शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी तो क्वालिटी एजुकेशन आ जाएगा. सरकार इस पर पुनर्विचार करें. बिना शर्त राज्य कर्मियों का दर्जा दे. नई बहाली जो लेनी है उसमें भले ही बात हो सकती है" -संदीप सौरभ, विधायक, पालीगंज

सभी विधायकों के पास जाएंगे शिक्षक अभ्यर्थी: संदीप सौरभ ने कहा कि आगामी 13 और 14 मई को राज्य के सभी विधायकों के पास शिक्षक अभ्यर्थी जाएंगे और उनको मेमोरेंडम सौंपेंगे और उन विधायकों से लिखित में लिया जाएगा कि उनका इस मेमोरेंडम पर क्या मंतव्य है? उसके बाद 20 से लेकर 31 मई तक बिहार के सभी जिलों में कन्वेंशन होगा. जिला स्तर पर टीचरों की मीटिंग होगी. जुलाई के पहले सप्ताह में राजधानी पटना में विधानसभा के बाहर घेरा डालो और डेरा डालो अभियान होगा. इसके बाद भी अगर सरकार नहीं सुनती है तब शिक्षक महा हड़ताल करेंगे.

'क्या शिक्षक नियोजन के वक्त सरकार बदहवासी में थी': वहीं बलरामपुर के विधायक महबूब आलम ने कहा कि साढ़े चार लाख नियोजित शिक्षक से अब तक सरकार काम ले रही है. जब सरकार ने इन्हें नियोजित किया तो क्या सरकार उस वक्त बदहवास थी? सरकार ने अपनी नियोजन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही इनको नियोजित किया. अब उनके पास काफी अनुभव है. इसलिए लंबित मांग है कि इन शिक्षकों को नियमित शिक्षक का दर्जा दिया जाए. कई ऐसे शिक्षक हैं जिनकी अवधि 3 से लेकर 5 साल तक की बच गई है और इस वक्त उन्हें बीपीएससी की परीक्षा देने की बात कही जा रही है. फिर रखने और नहीं रखने की बात होगी. यानी तब आप नियोजित को कर्मचारी मानते ही नहीं है. ऐसी वह बदहवास नीतियां हैं इनमें सुधार लाई जाए.

"साढ़े चार लाख नियोजित शिक्षक से अब तक सरकार काम ले रही है. जब सरकार ने इन्हें नियोजित किया तो क्या सरकार उस वक्त बदहवास थी? सरकार ने अपनी नियोजन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद ही इनको नियोजित किया. अब उनके पास काफी अनुभव है. इसलिए लंबित मांग है कि इन शिक्षकों को नियमित शिक्षक का दर्जा दिया जाए" -महबूब आलम, विधायक, भाकपा माले

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