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चाचा से अलग होने के बाद चिराग की 'अग्निपरीक्षा', साख बचाने के लिए हर हाल में जीतना होगा तारापुर सीट!

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Published : Oct 23, 2021, 3:35 PM IST

चाचा-भतीजे के अलग होने के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पहला चुनाव है. ऐसे में उन्हें यह साबित करना होगा कि उन्होंने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का जो फैसला लिया था, वह कितना सही साबित हुआ है. चुनाव में चिराग लगातार बिहार में बढ़ती बेरोजगारी पलायन और बढ़ते अपराध को मुद्दा बनाया गया है. वे हर सभा में नीतीश कुमार की सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कह रहे हैं.

चिराग पासवान
चिराग पासवान

पटना: बिहार विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव (By-elections) हो रहे हैं. तारापुर और कुशेश्वरस्थान (Tarapur and Kusheshwarsthan) दोनों सीटें जेडीयू विधायक के निधन से खाली हुई है. एक तरफ जहां सत्ताधारी जेडीयू (JUD) अपनी दोनों सीटों को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं मुख्य विपक्षी दल आरजेडी (RJD) की कोशिश है कि दोनों सीटों पर जीत हासिल की जाए. उधर एलजेपी (LJP) में टूट के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) भी दमखम दिखा रहे हैं. उनके लिए ये उपचुनाव इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि तारापुर विधानसभा क्षेत्र उनके संसदीय क्षेत्र के तहत ही आता है.

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तारापुर विधानसभा सीट चिराग पासवान के जमुई संसदीय क्षेत्र में आती है, लिहाजा यह सीट चिराग के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है. बड़ा सवाल यही है कि क्या उप चुनाव में चिराग अपनी प्रतिष्ठा बचा पायेंगे या अपने संसदीय क्षेत्र में ही औंधे मुंह गिरेंगे. उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashsupati Paras) खुलकर सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ खड़े हैं. वे तारापुर में भी जेडीयू कैंडिडेट के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे. एलजेपी (रामविलास) का दावा है कि वह दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.

चंदन सिंह का बयान

प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि कुशेश्वरस्थान और तारापुर में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता विधानसभा क्षेत्र के हर गांव, हर प्रखंड यहां तक कि गांव के हर घर को टच कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा पहले से ही एक बूथ दस यूथ कार्यक्रम चल रहा था. हमारे कार्यकर्ताओं और नेता पूरी शिद्दत के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. हमारा विजन डॉक्यूमेंट बिहारी फर्स्ट बिहार फर्स्ट है.

चंदन सिंह ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दोनों विधानसभा क्षेत्र में सालों से विकास नहीं हुआ है, जबकि 16 साल से उनके नेतृत्व में सरकार चल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुशेश्वरस्थान में पगडंडी के अलावा कुछ नहीं है, हम पूरी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं और जीत हासिल करेंगे.

2020 में चिराग पासवान ने अपने दम पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था. एलजेपी के टिकट से मीना देवी चुनावी मैदान में उतरीं और तीसरे नंबर पर रहीं. एलजेपी को 11264 मत मिले. यानी कुल मत का 6.4 फीसदी. इसके साथ ही चिराग पासवान अपने क्षेत्र की सीट पर तीसरे नंबर पर रहे. पहले नंबर पर जेडीयू कैंडिडेट मेवालाल चौधरी 7225 मतों से आरजेडी कैंडिडेट दिव्या प्रकाश को हराकर चुनाव जीते थे, लेकिन तब की एलजेपी में काफी बिखराव हो चुका है. 2020 के विधानसभा चुनाव में चाचा-भतीजा एक साथ चुनाव लड़े थे.

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चिराग ने इस बार कुमार चंदन को तारापुर से चुनावी रण में उतारा है. वहीं सत्ताधारी जेडीयू की तरफ से राजीव कुमार सिंह, आरजेडी से अरूण कुमार साह और कांग्रेस से राजेश कुमार मिश्रा कैंडिडेट हैं. 2020 और 2021 में काफी अंतर आया है. रामविलास पासवान के निधन के सालभर के अंदर ही पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में पार्टी के 6 में 5 सांसद अलग हो गए हैं. अब चिराग पूरी तरह से अकेले पड़ गये हैं. ऐसे में चिराग के लिए मुश्किलें और भी बढ़ गई है. सहानुभूति बटोरने को लेकर चिराग पासवान ने पूरे बिहार में आशीर्वाद यात्रा निकाली. अब उस आशीर्वाद यात्रा का कितना फायदा मिलता है, यह तो उपचुनाव के नतीजे से ही पता चल पाएगा.

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