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चुनाव में सुशांत केस बनेगा चुनावी मुद्दा! वोट बैंक साधने की कोशिश में राजनीतिक दल

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Published : Sep 15, 2020, 1:20 PM IST

बिहार में इस समय चुनावी मौसम है और राजनीतिक दल सुशांत मामले को छोड़ना नहीं चाहते. भले ही नेता यह कह रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत मामले पर सियासत नहीं होनी चाहिए. लेकिन बिहार के राजनीतिक दलों के नेता इसका श्रेय लेने से भी पीछे रहना नहीं चाहते.

राजनीतिक दलों के नेता
राजनीतिक दलों के नेता

पटनाः फिल्म स्टार सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मौत का मामला देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है. चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों ने इस मामले को हाथों हाथ लिया और सीबीआई जांच की पुरजोर वकालत की. आखिरकार, गेंद सीबीआई के पाले में गई. अब बिहार के राजनीतिक दलों में इसका श्रेय लेने की होड़ सी लग गई है.

सुशांत सिंह राजपूत की मौत से देश में सियासी बवंडर खड़ा हो गया है. बिहार के तमाम राजनीतिक दल एक फोरम पर आ गए और हत्याकांड को लेकर सीबीआई जांच की मांग उठी. दबाव में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के अनुरोध को मान लिया और अब मामले की जांच चल रही है.

'सरकार मामले की निष्पक्ष जांच चाहती है'
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का मानना है कि बिहार का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा. लेकिन सुशांत सिंह प्रकरण को लेकर जिस तरीके से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहल की और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सरकार ने मामले को सीबीआई को रिकमेंड किया, उससे साफ जाहिर होता है कि सरकार पूरे मामले की निष्पक्ष जांच चाहती है.

'सुशांत सिंह राजपूत को लेकर तेजस्वी यादव ने सबसे पहले सीबीआई जांच की मांग की थी. विपक्ष के दबाव के चलते पूरे मामले को सीबीआई के सुपुर्द किया गया. पूरे बिहार वासियों की सहानुभूति सुशांत सिंह के परिजनों के साथ है.' शिवचंद्र राम, राजद नेता

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उधर लोजपा प्रवक्ता श्रवण कुमार का कहते हैं- सुशांत सिंह मामले पर राजनीति नहीं करेंगे, लेकिन जब तक सुशांत सिंह के परिजनों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक हम इस मुद्दे को छोड़ने वाले भी नहीं हैं.

'सुशांत का मामला हमारे लिए भावनात्मक है'
भाजपा नेता और कला संस्कृति मंच के संयोजक वरुण कुमार सिंह का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत का मामला हमारे लिए भावनात्मक मसला है. हम इस पर सियासत नहीं चाहते, लेकिन जब तक इस मामले को मुकाम तक नहीं पहुंचा देंगे तब तक हमारा अभियान जारी रहेगा.

'राजनीतिक दलों को फायदा मिलने वाला नहीं'
इन तमाम राजनेताओं की बातों से इतर राजनीतिक विश्लेषक डीएम दिवाकर का कहना है कि भले ही राजनीतिक दल जाति विशेष के वोट बैंक को साधने की कोशिश करेंगे. लेकिन कामयाबी नहीं मिलेगी. बिहार की जनता अब समझदार हो चुकी है वह बहुत सोच समझकर फैसले लेती है.

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