पटना: 13 जुलाई को विधानसभा मार्च के दौरान पटना पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया था. जिसमें सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल समेत कई नेताओं को चोट लगी थी. वहीं भगदड़ में बीजेपी के जहानाबाद जिला महामंत्री विजय सिंह की मौत हो गई. इस मामले की सीबीआई या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी जांच की मांग को लेकर भूपेश नारायण ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
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पटना लाठीचार्ज पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार: जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा है. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय संवैधानिक अदालते हैं. संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उनकी शक्ति बहुत अधिक है. अगर उन्हें लगता है कि स्थानीय पुलिस ठीक से काम नहीं कर रही है तो स्थानीय उच्च न्यायालय होने के नाते वे निगरानी कर सकते हैं. साथ ही सक्षम अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन कर सकते हैं.
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याचिका में क्या मांग की गई थी?: बिहार के ही रहने वाले याचिकाकर्ता भूपेश नारायण ने अपनी याचिका में पटना लाठीचार्ज मामले की सीबीआई या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एसआईटी जांच की मांग की थी. इसके साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत अन्य अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर सुरक्षा के लिए निभाई गई भूमिका की जांच करने का भी अनुरोध किया था.
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क्या हुआ था 13 जुलाई को?: दरअसल, 13 जुलाई को विधानसभा मार्च के दौरान जब बीजेपी कार्यकर्ता गांधी मैदान से बिहार विधानसभा की ओर जा रहे थे, तभी डाक बंगला चौराहे के पास पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. इस दौरान भगदड़ में विजय सिंह की मौत हो गई. बीजेपी ने उसकी मौत के लिए पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि पुलिस का कहना है कि लाठीचार्ज से मौत नहीं हुई.
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